आज के इस लेख में मैं आपको बताऊंगा की करवा चौथ के दिन करवा चौथ का व्रत कैसे किया जाता है अथवा जानेंगे इसकी पूजा विधि.
करवा चौथ का व्रत हिन्दू धर्म में माना जाता है| करवा चौथ के व्रत को शादीशुदा औरते रखती है| लेकिन जो स्त्री शादीशुदा नहीं है वो भी इस व्रत को रख सकती हैं जिससे उन्हे एक अच्छा पति मिल सके| करवा चौथ के व्रत की महत्वता अपने आप में ही एक बड़ी बात है.
करवा चौथ का व्रत शादीशुदा औरतों के लिए बहुत बड़ी बात होती है| करवा चौथ का व्रत एक पत्नी अपने पति की लंबी आयु के लिए रखती है| जो स्त्री जिसकी शादी हो चुकी हो केवल वही स्त्री ही नहीं कुंवारी स्त्री भी इस व्रत को रखती है.
वैसे तो पति भी अपनी पत्नी के लिए व्रत रख सकते हैं लेकिन ये पति पर निर्भर करता है|
हिन्दू धर्म में 1-2 प्रतिशत शादीशुदा महिलाएं ही शायद इस व्रत को न रखती हो| बाकी पूरे हिंदुस्तान में सभी हिन्दू महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए इस व्रत को रखती हैं.
चलिए आगे में आपको बताता हूँ की करवा चौथ का व्रत कब क्यों और कैसे मनाया जाता है ?
करवा चौथ का व्रत भारत में मनाया जाता है| करवा चौथ का व्रत हिन्दू धर्म में मनाया जाता है| ये भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है| करवा चौथ की पूजा अथवा करवा चौथ का व्रत पत्नी अपने पति की लंबी आयु के लिए रखती है.
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ का त्योहार मनाया जाता है। वहीं कुंवारी लड़कियां भी अच्छे वर के लिए इस दिन व्रत रखती हैं|
2018 में करवा चौथ शनिवार, 27 अक्टूबर 2018 को मनाया जाएगा।
इस दिन महिलाएं पूरे दिन व्रत रखती हैं और रात को चांद देखकर उसे अर्घ्य देकर व्रत खोलती हैं.
करवा चौथ पूजा मुहूर्त:
करवा चौथ चंद्रोदय समय
माना जाता है कि इस दिन यदि सुहागिन स्त्रियां व्रत रखें तो उनके पति की उम्र लंबी होती है और उनका गृहस्थ जीवन सुखमय होता है|
वैसे तो पूरे देश में इस त्यौहार को बड़ी खुशी के साथ मनाया जाता हैं लेकिन उत्तर भारत खासकर पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश आदि में तो इस दिन अलग ही नजारा होता है.
करवा चौथ के व्रत के बारे में सभी महिलाओ को पता होता है लेकिन किसी किसी महिला को ये नहीं पता होता की करवा चौथ का व्रत कैसे रखें या फिर करवा चौथ के व्रत की पूजा विधि क्या है ?
आज हम आपको यह बताएँगे की करवा चौथ का व्रत कैसे रखना है ? करवा चौथ की पूजा विधि निंम्नलिखित है:-
आइए जानते हैं की करवा चौथ में किस तरह करनी है पूजा|
करवा चौथ के व्रत में शिव, पार्वती, कार्तिकेय, गणेश जी तथा चंद्रमा का पूजन करना होता है| चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अघ्र्य देकर पूजा होती है.
पूजा के बाद मिट्टी के करवे में चावल,उड़द की दाल, सुहाग की सामग्री रखकर सास अथवा सास के समकक्ष किसी सुहागिन के पांव छूकर सुहाग सामग्री भेंट करनी चाहिए.
महाभारत से संबंधित पौराणिक कथा के अनुसार पांडव पुत्र अर्जुन तपस्या करने नीलगिरी पर्वत पर चले जाते हैं। दूसरी ओर बाकी पांडवों पर कई प्रकार के संकट आन पड़ते हैं.
द्रौपदी भगवान श्रीकृष्ण से उपाय पूछती हैं| श्री कृष्ण जी कहते हैं कि यदि वह कार्तिक कृष्ण चतुर्थी के दिन करवाचौथ का व्रत करें तो इन सभी संकटों से मुक्ति मिल सकती है.
द्रौपदी विधि विधान सहित करवाचौथ का व्रत रखती है जिससे उनके समस्त कष्ट दूर हो जाते हैं| इस प्रकार की कथाओं से करवा चौथ का महत्व हम सबके सामने आ जाता है.
करवा चौथ ही नहीं किसी भी व्रत को ले लीजिये उसकी पूजा विधि पर सब निर्भर करता है| किसी भी व्रत में पूजा में व्रत की पूजा विधि का सबसे बड़ा महत्व होता है|
केवल सही पूजा विधि नहीं की जाती है तो इससे पूरा फल प्राप्त नहीं हो पाता है। लेकिन अगर सच्चे मन से पूजा की जाए तो पूजा विधि की जरूरत नही होती है.
तो दोस्तों अब हम जानेंगे की करवा चौथ की पूजा विधि क्या है ? लेकिन उससे पहले हमें जानना होगा की करवा चौथ के दिन के लिए पूजा की सामग्री क्या है ?
हो सके तो करवा चौथ की पूजा के लिए सामग्री एक दिन पहले ही खरीद लें। व्रत वाले दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठ कर स्नान कर स्वच्छ कपड़े पहन लें तथा श्रंगार भी कर लें.
इस अवसर पर करवा की पूजा-आराधना कर उसके साथ शिव-पार्वती की पूजा का विधान है क्योंकि माता पार्वती ने कठिन तपस्या करके शिवजी को प्राप्त कर अखंड सौभाग्यवती होने का सौभाग्य प्राप्त किया था इसलिए शिव-पार्वती की पूजा की जाती है.
करवा चौथ के दिन चंद्रमा की पूजा का धार्मिक और ज्योतिष दोनों ही दृष्टि से महत्व है। व्रत के दिन प्रात: स्नानादि करने के बाद यह संकल्प बोल कर करवा चौथ व्रत का आरंभ करें.
करवा चौथ की पूजा विधि कम शब्दों में आपके सामने है| करवा चौथ की पूजा विधि जिससे आपकी मनोकामना पूरी हो जाएगी|
कहा जाता है की करवा चौथ के दिन, करवा चौथ की कहानी सुनने ओर सुनने से मनोकामना पूर्ण होती है| इसलिए करवा चौथ की कहानी का महत्व बहुत बड़ा है.
तो प्रिय पाठकों ध्यान से पढ़िएगा ये करवा चौथ की कहानी| करवा चौथ की कहानी सुनना व पढ़ना बहुत जरूरी होता है.
एक समय की बात है, एक साहूकार थे जिनके साथ पुत्र ओर एक बेटी थी| बेटी का नाम “विरवती” था| सातों भाइयों में एक बहन का होना बड़े ही सौभाग्य की बात थी.
सभी सातों भाई अपनी बहन “विरवती” से बहुत प्यार करते थे| भाइयों का प्यार इतना था की वे कभी अपनी बहन की आँखों से पानी बहता हुआ भी नहीं देख सकते थे.
सभी भाई अपनी बहन को पहले खाना खिलाते और उसके बाद ही अपना खाना खाते थे| कुछ दिन बीत जाने के बाद उनकी बहन की शादी हो गयी| शादी के कुछ महीनों के बाद करवा अपने घर आयी.
सभी भाई अपनी बहन को घर आया हुआ देख खुश थे| शाम को जब भाई अपने काम से वापस अपने घर आए तो उन्होने देखा की उनकी बहन “विरवती” बहुत व्याकुल थी उनकी बहन ने सुबह से पानी तक नहीं पिया था.
घर की सभी औरतों ने विरवटी की भाभियों ने भी करवा चौथ का व्रत रखा था| सुभह से भूखी प्यासी विरवती बेहोश हो कर जमीन पर गिर गईं| उनकी ये हालत देख कर भाइयों से रहा न गया.
भाइयों ने अपनी बहन की हालत को ठीक करने के लिए उसका व्रत तोड़ना ही ठीक समझा| सभी भाइयों ने एक युक्ति बनाई.
उन्होने एक भाई से बोला की आप जा कर पहाड़ पर अग्नि जला दे जिससे विरवती को लगेगा की चाँद नजर आ गया है ओर जिस खुशी में विरवती कुछ खाना खा लेंगी| अब विरवती को होश आ गया था|
सभी भाइयों ने अपनी बहन को कहा की देखो चाँद नजर आ गया है पूजा करके अपना भोजन शुरू करो.
विरवती की भाभियों को सब युक्ति पता थी| भाभियों ने विरवती को रोका भी लेकिन विरवती के भाइयों के डर से कुछ नहीं कर पायीं.
विरवती ने अपनी भाभियों की बात पर विश्वास नहीं किया और खाना खा लिया जिससे विरवती की पूजा टूट गयी करवा चौथ की पूजा गणेश जी की पूजा के लिए जानी जाती है| विरवती के व्रत टूटने से गणेश जी बुरा मान गए.
विरवती के व्रत को तोड़ने से कुछ देर में विरवती के पति बीमार पढ़ गए| पति की बीमारी में इतना पैसा लगा की विरवती का घर गरीबी में आ गया और पति भी ठीक नहीं हुए.
तब विरवती को अपनी गलती मालूम पड़ी और गणेश जी से माफी मांगते हुए उन्होने दुबारा करवा चौथ की पूजा पूरे विधि विधान से की|
कुछ समय बाद सब पहले जैसा हो गया| बोलो गणेश भगवान की जय, बोलो करवा माई की जय|
किसी महिला को करवा चौथ का व्रत रखते काफी समय हो जाता है तो वो महिला अपनी इच्छानुसार अपने घर में अपने व्रत का उद्यापन करवा सकती है.
करवा चौथ उद्यापन की विधि में महिलाएं अपने अपने घरों में पूड़ी और हलवा बनाती है| पूड़ी और हलवे को एक थाली या परात में चार-चार के ढेर में त्राह जगह रखते हैं| ध्यान रहे चार पूड़ी के उपर थोड़ा थोड़ा हलवे को रखा जाना है.
अपनी इच्छानुसार उसके उपर साड़ी ब्लाउज और कुमकूम और इच्छानुसार रुपए रखने होते हैं| उसके बाद इसे अपनी सास के चरण स्पर्श कराकर तेरह ब्राह्मणों को भोजन करते हैं| उसके बाद कुछ दक्षिणा देते हैं.
अपनी इच्छानुसार आप चाहों तो करवा चौथ के उद्यापन में कुछ सुहागन स्त्रियॉं को भोजन करा सकती है| जिसमे आप करवा चौथ का व्रत रखने वाली स्त्रियॉं को उद्यापन करने वाली महिला द्वारा सुपारी दे दी जाती है.
इस सुपारी को करवा चौथ का व्रत रखने वाली महिला द्वारा अपनी पुजा में रखा जाता है|
करवा चौथ का व्रत रखने वाली महिला शाम को पूजा करने के बाद उद्यापन करने वाली महिला के जीएचआर अपना भोजन ग्रहण करती हैं जिसके बाद उन महिलाओं को उद्यापन करने वाली महिला बिंदी लगाकर और सुहाग की सामग्री देकर बिदा कर देती है.
तो देखा आपने ये थी करवा चौथ उद्यापन करने की विधि|
हमारा भारत अन्य सभी देशों से अलग है हमारे भारत के रीति रिवाज सबसे अलग हैं हमारे भारत के तीज त्योहार सबसे ज्यादा है और सबसे अलग भी है.
अब बात आती है की करवा चौथ के दिन महिला श्रंगार कैसे करें ?
करवा चौथ एक विवाहित महिला के लिए सबसे कीमती दिन होता है| इस दिन महिलाओं का सजना संवरना सबसे अलग ही होता है| महिलाओं का सजना संवारना कुछ दिनों पहले से ही शुरू हो जाता है.
महिलाएं ब्युटि पार्लर जाती है सजने सँवारने की सामाग्री खरीदती है, मेहंदी लगाती है, गहने पहनती हैं| गहनों में मंगल सूत्र होता है | सबसे ज्यादा कीमती उसके बाद उनकी नथ बहुत जरूरी होता है जिससे हर महिला का श्रंगार बाद जाता है.
उम्मीद करता हूँ की आपको करवा चौथ का व्रत से संबन्धित सभी जानकारी मिल ही गयी होगी| यदि कोई जानकारी रह गयी हो और आपको पता है तो कृपया करके कमेंट के माध्यम से हमे बताएं|
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HindiParichay.com की टीम की और से आपको करवा चौथ की हार्दिक शुभकामनाएँ|
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