महात्मा गांधी पर निबंध, इतिहास व जीवन परिचय
इस लेख में हम आपको महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay in Hindi) बताएंगे। महात्मा गांधी जी को पूरा भारत वर्ष अच्छी तरह जानता है। महात्मा गांधी जी को बापू जी भी कहा जाता है। महात्मा गांधी जी का भारत को स्वतंत्र कराने में बहुत बड़ा योगदान है। महात्मा गांधी जी का जन्म 02 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर (गुजरात) (समुद्र तट) में हुआ था। आज बापू जी हमारे बीच नहीं है लेकिन उनकी याद आज भी हमारे साथ है।
महात्मा गांधी जी ने हमारे भारत की आजादी के लिए बहुत कुछ किया था जिसे वर्णन करना बहुत गर्व की बात होगी। महात्मा गांधी बचपन से ही शुद्ध शाकाहारी थे उन्होंने अपनी माता के कहे अनुसार अपनी मृत्यु तक अहिंसा और शाकाहारी रहने का व्रत कायम रखा था।
Mahatma Gandhi Essay in Hindi
महात्मा गांधी पर निबंध और महात्मा गांधी की शिक्षा
महात्मा गांधी बचपन से ही एक औसत छात्र रहे थे। गाँधी जी ने बचपन बड़ी सादगी से बिताया और सन् 1887 में बम्बई यूनिवर्सिटी से मैट्रिक पास किया और उसके आगे की शिक्षा भावनगर के शामलदास स्कूल से ग्रहण की। दोनों ही परीक्षाओं में वह शैक्षिक स्तर पर आये। वह एक औसत छात्र रहे। 4 सितम्बर 1888 ई, को गांधी जी बैरिस्टरी की शिक्षा के लिए लन्दन गए जहां उन्होंने यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ़ लन्दन में दाखिला (Admission) लिया। महात्मा गांधी जी का परिवार उन्हें बारिस्टर बनाना चाहता था।
गांधी जी शाकाहारी थे तो उन्होंने शाकाहारी मित्रों की खोज की और थियोसोफिकल नामक सोसाइटी के कुछ मुख्य सदस्यों से मिले। इस सोसाइटी की स्थापना विश्वबंधुत्व (संपूर्ण एकता) के लिए 1875 ई में हुई थी और तो और इसमें बौद्ध धर्म सनातन धर्म के ग्रंथों का संकलन भी था।
महात्मा गांधी का जीवन परिचय हिंदी में
महात्मा गांधी की वकालत की शुरुआत
- 👉 इंग्लैंड और वेल्स बार एसोसिएशन द्वारा बुलाये जाने पर गांधी जी वापस बम्बई लौट आये और यहां अपनी वकालत शुरू की।
- 👉 मुंबई (बम्बई) में गांधी जी को सफलता नहीं मिली जिसके कारण गांधी जी को अंशकालिक शिक्षक के पद पर काम करने के लिए अर्जी दाखिल की किन्तु वो भी अस्वीकार हो गयी।
- 👉 जीविका के लिए गांधी जी को मुकदमों की अर्जियां लिखने का कार्य आरम्भ करना पड़ा परन्तु कुछ कारणवश उनको यह काम भी छोड़ना पड़ा।
- 👉 1893 ई में गांधी जी एक वर्ष के करार के साथ दक्षिण अफ्रीका गए।
- 👉 दक्षिण अफ्रीका में ब्रिटिश सरकार की फर्म नेटल से यह वकालत करार हुआ था।
Mahatma Gandhi Per Nibandh
महात्मा गांधी की शादी: About Mahatma Gandhi in Hindi
सन् 1883 में गांधी जी का कस्तूरबा जी से विवाह हुआ। उस समय गांधी की उम्र केवल साढ़े तेरह वर्ष थी (13.5 years) और कस्तूरबा गांधी की 14 वर्ष की थी। उनके माता पिता के चाहने पर यह बाल विवाह द्वारा तय करा गया था। गांधी और कस्तूरबा जी की उम्र कम थी और उस समय बाल किशोरी दुल्हन को अपने माता पिता के घर रहने का नियम था। कुछ 2 साल बाद सन् 1885 में गांधी जी 15 साल के हो गये थे और तभी उन्हें पहली संतान ने जन्म लिया था, लेकिन कुछ ही समय पश्चात उसकी मृत्यु हो गयी और उसी वर्ष गांधी जी के पिता करमचंद गांधी जी की मृत्यु हो गयी।
महात्मा गांधी जी की दक्षिण अफ्रीका यात्रा: About Gandhiji in Hindi
महात्मा गांधी जी ने अपने जीवन में बहुत से उतार चढ़ाव देखे थे। ऐसे ही उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों पर हो रहे भेदभाव का सामना करना पड़ा था। प्रथम श्रेणी (first category) कोच की वैध (VALID) टिकट होने के बाद भी उन्हें तीसरी श्रेणी (3rd category) के डिब्बे में भी जाने से मना कर दिया गया था और तो और पायदान पर बैठने पर भी एक यूरोपियन व्यक्ति को अच्छा नहीं लगा तो उसने गांधी जी को मारा भी था।
गांधी के इस अपमान के बाद भी उन्होंने कई प्रकार की बेइज्जती सही और कई समस्याओं का सामना भी किया। अफ़्रीका के कई होटलों को उनके लिए बंद कर दिया गया। उन होटलों में भारतीयों को जो काले लगते थे उन्हें भी जाना मना कर दिया था। इन घटनाओं में एक घटना ये भी थी जिसमें एक न्यायाधीश ने उन्हें अपनी पगड़ी उतारने के लिए भी कहा। दक्षिण में हो रहे अन्याय को गांधी को बहुत ठेस पहुंची थी जिस कारण गांधी जी ने अपना सम्पूर्ण जीवन भारतीयों के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ लड़ने में बिताया।
महात्मा गांधी जी का भारतीयों की आजादी के लिए संघर्ष
इतना सब कुछ सहने के बाद गांधी सन् 1916 ई में अपने भारत वापस आये और अपनी कोशिशों में जी जान से लग गए। उस समय भारत को बहुत बड़ा झटका लगा था जब कांग्रेस के लीडर लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की मृत्यु हो गयी थी।
चंपारण और खेड़ा | Mahatma Gandhi Ka Nibandh
1918 ई गांधी जी की पहली उपलब्धि चंपारण (Champaran) और खेड़ा सत्याग्रह आन्दोलन में मिली। नील की खेती जिसे करने से किसानों को कोई फायदा नहीं हो रहा था। नील की खेती करने से किसानों के कर्जे बढ़ते जा रहे थे और हालात इतने बुरे थे कि खाने पीने का भी इंतजाम नहीं हो पा रहा था। किसान आत्महत्या कर रहे थे, कर्ज बढ़ते जा रहे थे, कमाई का कोई और साधन नहीं रह गया था। बस फिर क्या था गांधी जी से यह अन्याय देखा नहीं गया।
गांव में गंदगी, अस्वस्थता और अन्य कई तरह की बीमारियां भी फैलने लगी थी। खेड़ा (Kheda), गुजरात (GUJARAT) में भी यही समस्या थी।
गांधी जी ने वहां एक आश्रम बनाया, वहां पर गांधी जी के सभी साथी और अपनी इच्छा से कई लोग आकर समर्थक के रूप में कार्य करने लगे। गांधी ने सबसे पहले तो वहां पर सफाई करवाई और स्कूल और अस्पताल बनवाए जिससे ग्रामीण लोगों में विश्वास उत्पन्न हुआ। गांधी को पुलिस ने शोर शराबे से हुई परेशानी के कारण थाने में बंद भी कर दिया जिसका विरोध पूरे गांव वालों ने किया, बिना किसी कानूनी कार्यवाही के थाने से छुड़ाने को लेकर गांव वालों ने थाने के आगे धरना प्रदर्शन भी किया।
महात्मा गांधी ने अदालत में जमींदारों के खिलाफ टिप्पणी और हड़ताल का नेतृत्व भी किया और गांव के लोगों पर हुए कर वसूली व खेती पर नियंत्रण, राजस्व में बढ़ोतरी को रद्द करने जैसे कई मुद्दों पर एक समझौते पर हस्ताक्षर करवाए।
महात्मा गांधी के आंदोलन के नाम
⇓ खिलाफत आन्दोलन सन् 1919 ⇓
अब गांधी जी को ऐसा लगने लगा था कि कांग्रेस कहीं न कहीं हिन्दू व् मुस्लिम समाज में एकता की कमी की वजह से कमजोर पड़ रही हैं जिससे की कांग्रेस की नैया डूब भी सकती है। तो गांधी ने दोनों समाजों हिन्दू व मुस्लिम समाज की एकता की ताकत के बल पर ब्रिटिश की सरकार को बाहर भगाने के प्रयास में जुट गए। इस उम्मीद में वे मुस्लिम समाज के पास गए और इस आंदोलन को विश्वस्तरीय रूप में चलाया गया जो की मुस्लिम के कालिफ [CALIPH] के खिलाफ चलाया गया था।
गांधी जी सम्पूर्ण राष्ट्रीय के मुस्लिमों की कांफ्रेंस [ALL INDIA MUSLIM CONFERENCE] रखी थी और वो खुद इस कांफ्रेंस के प्रमुख व्यक्ति भी बने। गांधी की इस कोशिश ने उन्हें राष्ट्रीय नेता बना दिया और कांग्रेस में उनकी एक खास जगह बन गयी। कुछ समय बाद ही गांधी जी की बनाई एकता की दीवार पर दरार पड़ने लगी जिस कारण सन् 1922 ई में खिलाफत आंदोलन पूरी तरह से बंद हो गया। गांधी जी सम्पूर्ण जीवन ‘हिन्दू मुस्लिम की एकता के लिए, कार्य करते रहे मगर गांधी जी असफल रहे।
असहयोग आंदोलन सन् 1920 ई | Mahatma Gandhi Biography in Hindi
गांधीजी अहिंसा के पुजारी थे और शांतिपूर्ण जीवन जीना पसंद करते थे। पंजाब में जब जलियाँवाला नरसंहार जिसे सब अमृतसर नरसंहार के नाम से भी जाना जाता हैं। उस घटना ने लोगों के बीच काफी क्रोध और हिंसा की आग लगा दी थी। दरअसल बात ये थी कि अंग्रेजी सरकार ने सन् 1919 ई रॉयल एक्ट लागू किया। उसी दौरान गांधी जी कुछ सभाएं भी आयोजित करते थे। एक दिन गांधी जी ने शांति पूर्ण एक सभा पंजाब के अमृतसर में जलियांवाला बाग में एक आयोजित की थी और उस शांतिपूर्ण सभा को अंग्रेजों ने बहुत ही बुरी तरह रौंदा था जिसका वर्णन करते भी आंखों से आंसू आता है।
सन् 1920 ई में असहयोग आंदोलन आरंभ किया गया। इस आंदोलन का अर्थ था कि किसी भी प्रकार से अंग्रेजों की सहायता न करना और किसी भी प्रकार की हिंसा का प्रयोग न की जाये। इस अंग्रेजों को गांधी जी का प्रमुख अंग्रेजों भी कहा जाता हैं।
असहयोग अंग्रेजों सितम्बर 1920ई – फरवरी 1922 तक चला।
गांधी जी को पता था कि ब्रिटिश सरकार भारत में राज करना चाहती है और वो भारत के सपोर्ट के बिना असंभव है। महात्मा गांधी को ये भी पता था की ब्रिटिश सरकार को कहीं न कहीं भारत के लोगों की सहायता ही पड़ती है। यदि इस सहायता को बंद करा दिया जाये तो ब्रिटिश सरकार अपने आप ही वापस चली जायेगी या फिर भारतीयों पर जुल्म नहीं करेगी।
महात्मा गांधी ने ऐसा ही किया उन्होंने सभी भारतीयों को बुलाया और अपनी बात को स्पष्ट रूप से समझाया और सभी भारतीयों को गांधी जी की बात पर विश्वास भी हुआ और उन्होंने गांधी जी की कही हुई बातों की गांठ बांध ली, सभी लोग बड़ी मात्रा में शामिल हुए और इस आंदोलन में अपना योगदान दिया।
सभी भारतीयों ने ब्रिटिश सरकार की सहायता करने से मना कर दिया, उन्होंने अपनी नौकरी त्याग दी अपने बच्चों को सरकारी स्कूल और कॉलेजों से निकाल लिया, सरकारी नौकरियां, फैक्ट्री, कार्यालय भी छोड़ दिया। लोगों के उस फैसले से कुछ लोग गरीबी व अनपड की मार से झुलसने लगे थे, स्थिति तो ऐसी उत्पन्न हो गयी थी की भारत तभी आजाद हो जाता परन्तु एक घटना जिसे हम चौरा –चौरी के नाम से जानते है जिसकी वजह से गांधी जी को अपना आंदोलन वापस लेना पड़ा और आंदोलन को वहीं समाप्त करना पड़ा।
Mahatma Gandhi Ji Per Nibandh
चौरा-चोरी की घटना
ये घटना उत्तर प्रदेश में हुई थी जिसने सब की जिंदगी बदल कर रख दी थी। उत्तर प्रदेश के चौरी चौरा नामक स्थान पर जब भारतीय शांतिपूर्ण रूप से रैलियां निकाल रहे थे तब अंग्रेजों ने उन पर गोलियां चला दी और कई भारतीयों की मृत्यु भी हो गयी, जिसके कारण भारतीयों ने गुस्से में पुलिस स्टेशन में आग लगा दी और 22 पुलिस सैनिकों को मार दिया। महात्मा गांधी जी का कहना था की “हमें सम्पूर्ण आंदोलन के दौरान किसी भी हिंसात्मक प्रक्रिया का प्रयोग नहीं करना था और हम अभी किसी भी प्रकार से आज़ादी के लायक नहीं हैं” जिस के कारण महात्मा गांधी जी अपने आंदोलन को वापस ले लिया था।
सविनय अवज्ञा आंदोलन / डंडी यात्रा / नमक आंदोलन सन् 1930 | Civil Disobedience Movement / Dandi March / Salt Movement in Hindi
सविनय अवज्ञा का अर्थ होता है किसी भी बात को न मानना और उस बात की अवहेलना करना| सविनय अवज्ञा आन्दोलन भी गांधी ने लागू किया था| ब्रिटिश सरकार के खिलाफ ये आन्दोलन था.
इस आन्दोलन में मुख्य कार्य यही था की ब्रिटिश सरकार जो भी नियम लागू करेगी उसे नही मानना और उसके खिलाफ जाना जैसे : ब्रिटिश सरकार ने नियम बनाया था की कोई नही अन्य व्यक्ति या फिर कोई कंपनी नमक नही बनाएगी.
तब 12 मार्च 1930 को दांडी यात्रा द्वारा नमक बना कर इस कानून को तोड़ दिया था वे दांडी नामक स्थान पर पहुंच कर नमक बनाया था और कानून का उलंघन किया था.
महात्मा गांधी ने साबरमती आश्रम जो की गुजरात के अहमदाबाद नामक शहर के पास ही है 12 मार्च, सन 1930 से 6 अप्रैल 1930 तक ये यात्रा चलती रही.
31 जनवरी 1929 को भारत का झंडा लाहौर में फेहराया गया था इस दिन को भारतीय नेशनल कांग्रेस ने आज़ादी का दिन समझ कर मनाया था| यह दिन लगभग सभी भारतीय संगठनों द्वारा भी माने गया था| इसके बाद ही नमक आन्दोलन हुआ था.
400 किलोमीटर (248 मील) तक का सफ़र अहमदाबाद से दांडी, गुजरात तक चलाया गया था|
गाँधी जी, सुभाष चन्द्र बोस, और पंडित जवाहरलाल नेहरू के आज़ादी की मांग के विचरों को भी सिद्ध किया और अपने विचारों को 2 सालों की वजह 1 साल के लिए रोक दिया| इस आन्दोलन की वजह से 80000 लोगों को जेल जाना पड़ा.
लार्ड एडवर्ड इरविन ने गांधी जी के साथ विचार विमर्श किया| इस इरविन गांधी जी की संधि 1931 में हुई|
सविनय अवज्ञा आन्दोलन को बंद करने के लिए ब्रिटिश सरकार ने अपनी रजामंदी दे दी थी.
महात्मा गांधी को भारत के राष्ट्रीय कांग्रेस के एक मात्र प्रतिनिधि के रूप में लन्दन में आयोजित गोलमेज सम्मलेन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया था| यह सम्मलेन निराशाजनक रहा इस आयोजन का कारण भारतीय कीमतों व अल्पसंख्यको पर केन्द्रित होना था.
लार्ड विलिंग्टन ने भारतीय राष्ट्रियवादियों को नियंत्रित और कुचलने के लिए नया अभियान आरम्भ किया और गांधी को फिर से गिरफ्तार भी कर लिया गया था और उनके अनुयायिओं को उनसे मिलने तक भी नही जाने दिया| मगर ये युक्ति भी बेकार गयी.
हरिजन आंदोलन और निश्चय दिवस क्या है ? – Mahatma Gandhi Essay in Hindi
1932, डा० बाबा साहेब आंबेडकर जी के चुनाव प्रचार के माध्यम से, सरकार ने अछुत लोगों को एक नए संविधान में अलग निर्वाचन दे दिया.
इसके विरुद्ध गांधी ने 1932 में 6 दिन का अनशन ले लिया था जिसने सफलतापूर्वक दलित से राजनैतिक नेता पलवंकर बालू द्वारा की गयी|
मध्यस्थता वाली एक सामान्य व्यवस्था को अपनाया गांधी जी ने अछूत लोगों को हरिजन का नाम दिया.
डॉ० बाबासाहेब आंबेडकर ने गांधी जी की हरिजान वाली बात की निंदा की और कहा की दलित अपरिपक्व है और सुविधासंपन्न जाती वाले भारतियों ने पितृसत्तात्मक भूमिका निभाई है.
अम्बेडकर और उनके सहयोगी दलों को महसूस हुआ की गांधी जी दलितों के अधिकार को समझ नही पा रहे हैं या फिर दलित अधिकार को कम आंक रहे हैं.
गाँधी जी ने ये भी बाते आंकी की वो दलितों के लिए आवाज उठा रहे हैं | पुन संधि में ये साबित हो गया की गाँधी जी नहीं अम्बेडकर ही हैं दलितों के असली नेता.
उस समय छुआछुत सबसे बड़ी समस्या थी| हरिजन लोगों को मंदिरों में जाने भी नहीं दिया जाता था| केरल राज्य का जनपद त्रिशुर दक्षिण भारत की एक प्रमुख नगरी है, जनपद में एक प्रतिष्ठित मंदिर भी हैं.
गुरुवायुर मंदिर जिसमे कृष्ण भगवान् बल रूप के दर्शन कराती मूर्तियाँ हैं परन्तु वहन पे भी हरिजन लोगो को जाने नहीं दिया जाता था.
भारत छोड़ो आन्दोलन सन् 1942 – Quit India Movement in Hindi – महात्मा गांधी पर निबंध
सभी आंदोलनों में ये सबसे ज्यादा प्रभावी आन्दोलन था| ये आन्दोलन आखिरी आन्दोलन तो नहीं कहलाया जायेगा लेकिन फिर भी ये सबसे बड़ा कदम था| सन् 1940 के दशक तक सभी बड़े बूढ़े बच्चे सभी अपने देश की आज़ादी के लिए लड़ने मरने को तैयार थे.
उस समय सभी भारतीय बिना किसी प्रवाह के मरने और मारने को तैयार हो गए थे| उनमे बहुत गुस्सा भरा था और ये गुस्सा सन् 1942 ई में बहुत ही प्रभावशाली रहा परन्तु इस आंदोलन को संचालन करने में हुई कुछ गलतियों के कारण ये आन्दोलन भी असफल रहा.
प्रमुख बात ये थी कुछ लोग अपने काम और विद्यार्थी अपनी पडाई में लगे रहे उस समय उन्हें लगा की अब तो भारत आजाद हो ही जायेगा तो उन्होंने अपने कदम धीरे कर लिए मगर यही बहुत बड़ी गलती थी.
इस प्रयास से ब्रिटिश सरकार को ये तो पता चल ही गया था की अब भारत पर उनका राज नहीं चल सकता और भारत फिर आजाद होने के लिए फिर प्रयास करेगा.
गांधी जी की मृत्यु कब और किस प्रकार हुई थी?
महात्मा गांधी जी को किसने मारा था?
लोगों की सोच का कुछ नही कहा जा सकता है उसी तरह महात्मा गांधी जी के अपने भी थे और कुछ दुश्मन भी थे।
कुछ लोगों को महात्मा गांधी जी में गलत बातों को देखा और उसी वजह से जब 30 जनवरी 1948 को गांधी जी अपने बिड़ला भवन में चहलकदमी (walking) कर रहे थे| तब उनको गोली मार दी गयी थी.
गांधी जी को मारने वाले का नाम नथुराम विनायक गोडसे था ये राष्ट्रीयवादी थे जिनके कट्टर पंथी हिन्दू महासभा के साथ सम्बन्ध थे जिसने गांधी जी को पाकिस्तान को भुगतान करने के मुद्दे पर भारत को कमजोर बनाने के लिए दोषी करार दिया.
गौडसे और उनके सह् षड्यंत्रकरी नारायण आप्टे को केस चलाकर जेल भेज कर सजा दी गयी थी| उन्हें 15 नवम्बर 1949 को फांसी दी गयी थी.
गाँधी जी की याद की तौर पर राजघाट जो की NEW DELHI में है, यहाँ पर गाँधी जी के स्मारक पर देवनागरी भाषा में हे राम लिखा हुआ है|
कहा जाता है की गाँधी जी को जब गोली लगी थी तब उनके मुख से हे राम निकला था| – ऐसा जवाहर लाल नेहरु जी ने रेडिओ के माध्यम से देश को बताया था|
गांधी जी की अस्थियों को रख दिया गया और उनकी सेवाओं की याद में पुरे देश में घुमाया गया| इन अस्थियों को इलाहाबाद में संगम नदी में 12 फरवरी 1948 को जल में प्रवाह कर दिया था.
शेष अस्थियों को 1997 में तुषार गाँधी जी ने बैंक में नपाए गए एक अस्थि – कलश की कुछ सामग्री को अदालत के माध्यम से इलाहबाद के संगम नामक नदी में प्रवाह कर दिया था.
30 जनवरी 2008 को दुबई में रहने वाले एक व्यापारी ने गाँधी जी के अर्थी वाले एक अन्य कलश को मुंबई संग्रहालय में भेजने के उपरांत उन्हें गिरगाम चौपाटी नामक स्थान पर जल में विसर्जित कर दिया गया.
एक अन्य अस्थि कलश आगा खान जो पुणे में है (जहाँ उन्होंने 1942 से कैद किया गया था 1944 तक) वहां समाप्त हो गया था और दूसरा आत्मबोध फेल्लोशीप झील में मंदिर में लॉस एंजिल्स रखा हुआ है.
इस परिवार को पता था की राजनैतिक उद्देश्यों के लिए इस पवित्र रख का दुरूपयोग भी हो सकता था लेकिन उन्हें यहाँ से हटाना नहीं चाहती थी क्यूंकि इससे मंदिरों को तोड़ने का खतरा पैदा हो सकता था.
महात्मा गांधी जी की मृत्यु किसने की?
गांधी जी की मृत्यु करने वाले नाथूराम गोडसे थे। गांधी जी को बिड़ला भवन के अंदर शाम को 5 बजे जब वह सरदार पटेल के साथ मीटिंग में थे। तभी गांधी जी को पता चला की वो शाम की प्रार्थना के लिए 20 मिनट देरी कर चुके है। स्टेज पर जाते हुए गांधी जी के आगे नाथूराम गोडसे आ गए और उन्होंने गांधी जी को रोका ओर बोलने से पहले ही गांधी के आगे मनु जी आ गए ओर बोला की आगे से हट जाओ नाथूराम गोडसे जी गांधी जी प्रार्थना के लिए पहले ही लेट चुके है लेकिन नाथूराम गोडसे ने मनु को धक्का दिया और गांधी जी के सीने में 3 गोलियां दाग दी जिनमें से 2 गोली शरीर को आर पार कर गयी लेकिन एक गोली उनके सीने में ही रही।
नाथूराम गोडसे का कहना था की गांधी जी ने पाकिस्तान को भुगतान करने के मुद्दे पर भारत को कमजोर बनाने के लिए दोषी ठहराया था और महात्मा गांधी जी के कुछ फैसले उन्हें अच्छे नहीं लगे जिसकी वजह से उन्हें और उनके साथियों को गांधी जी की मृत्यु करनी पड़ी। गांधी जी ने बहुत से गलत फैसले लिए थे ऐसा नाथूराम गोडसे जी का कहना था। नाथूराम गोडसे चाहते तो वहां से भाग सकते थे लेकिन उन्होंने भागना स्वीकार नहीं किया। 78 वर्षीय गांधी जी की मृत्यु कर दी गई। गांधी की मृत्यु के बाद पूरा भारत सदमे में था।
गांधी जी की मृत्यु के लिए 8 लोगों को दोषी ठहराया गया। जिसमें सभी के नाम निम्नलिखित है।
विनायक दामोदर सावरकर | सबूत नहीं मिलने की वजह से अदालत ने जुर्म दोषी नहीं ठहराया ओर बाइज्जत बारी किया। |
शंकर किस्तैया | उच्च न्यायालय ने अपील करने पर छोड़ने का निर्णय लिया। |
दिगम्बर बड़गे | सरकारी गवाह बनने के कारण बली कर दिए गए। |
गोपाल गोडसे | आजीवन कारावास हुआ। |
मदनलाल पाहवा | आजीवन कारावास की सजा हुई। |
विष्णु रामकृष्ण करकरे | आजीवन कारावास की सजा दी गयी। |
नारायण आप्टे | फांसी की सजा दी गयी। |
नाथूराम विनायक गोडसे | फांसी दे दी गयी। |
गांधी जी की मृत्यु पर आपका क्या कहना है? क्या नाथुरम गोडसे ने सही किया? आप मुझे कमेंट बॉक्स में बताएं।
उम्मीद करता हूँ कि महात्मा गांधी पर निबंध और जीवनी आपको अच्छे से समझ आ ही गया होगा। तो आप बिना किसी देरी के महात्मा गांधी की जीवनी अपने मित्रों अपने सम्बन्धियों आदि के साथ शेयर कर दीजिये। महात्मा गांधी जी ने हमारे लिए कितना कुछ करा है क्या हम उनके बारे में उन लोगों को नहीं बता सकते जिनको महात्मा गांधी का इतिहास नहीं पता? आप से उम्मीद करता हूँ कि आप हमारे इस लेख को जितना हो सके उतना शेयर करेंगे। “धन्यवाद”
– महात्मा गांधी का जीवन परिचय | Mahatma Gandhi Essay in Hindi
Top tips. And also great information ?
महात्माजी गांधी हमेशा पूरी दुनिया को प्रेरित करते रहेंगे , धन्यवाद् इतनी अच्छी जानकारी हम तक पहुचने केलिए!!
Ess kahani me kuchh gadbad hai
Ye ki jab Gandhi (1930). me mar gay the tab kaese (1932).me 6.din ka anshan let liye the
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30 जनवरी 2008 को दुबई में रहने वाले एक व्यापारी ने गाँधी जी के अर्थी वाले एक अन्य कलश को मुंबई संग्रहालय में भेजने के उपरांत उन्हें गिरगाम चौपाटी नामक स्थान पर जल में विसर्जित कर दिया गया.