होली पर निबंध के इस लेख को शुरू करने से पहले आपको HindiParichay.com की और से होली की ढेर सारी शुभकामनाएं…! आज हम आपको होली के बारे में जानकारी देंगे।
प्रिय मित्रों, मैं आपको बता दूँ की होली 2020 आ चुका है तो आप सभी अपनी पिचकारियाँ बिल्कुल तैयार कर लीजिये और गुब्बारे पानी के टब से बाहर निकाल लीजिये। दोस्तों, होली का त्यौहार आ चुका है तो अपने दोस्तों आदि के साथ होली पर खूब मौज-मस्ती कीजिए।
मगर दोस्तों कृपया करके अपने दोस्तों आदि के साथ होली पर कोई गलत कार्य न करें और न ही किसी को गलत कार्य करने दीजिए।
होली का त्यौहार बड़ी ही खुशियों का त्यौहार होता है। इस दिन सभी दुःख दर्द और लड़ाई झगड़े भुला कर एक दूसरे को रंग लगाया जाता है।
होली से एक दिन पूर्व छोटी होली होती है और इस दिन होलिका दहन होती है। आज इस लेख में मैं आपको होली से जुड़ी सारी जानकारी बताने का पूरा प्रयास करूंगा। तो आइए होली पर निबंध (Holi Essay in Hindi) के लेख को पढ़ना शुरू करते है।
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होली का त्यौहार रंगों का त्यौहार है भारतीय वर्ष में जब वसंत ऋतु का आगमन होता है तब होली का त्यौहार मनाया जाता है। होली को भारत देश में बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है।
भारतीय त्योहारों में होली को खुशियाँ बांटने और आपसी बैर रंजिशें मिटाने का दिन भी माना जाता है। होली के त्यौहार पर लोग सभी प्रकार के आपसी गीले शिकवे भुला कर दोस्ती का हाथ बढ़ाता है।
होली का त्यौहार वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला भारतीय त्योहार है। होली अत्यंत प्राचीन पर्व है और प्रत्येक वर्ष फाल्गुन के महीने में मनाया जाता है। होली के दिन छोटे, बड़े और युवा रंगो से खेलते है। होली रंगों का त्योहार है जिसे हर साल फाल्गुन मास के महीने में (मार्च) हिन्दू धर्म के लोग बड़ी धूमधाम से मनाते है।
उत्साह से भरा ये त्यौहार एक दूसरे के प्रति स्नेह और प्रेम को बढ़ाता है। होली के दिन लोग आपस में मिलते है, अपने रिश्तेदारों, पड़ोसियों आदि के गले लगते है और एक दूसरे को रंग गुलाल लगाते है।
होली के त्यौहार के दिन छोटे बच्चों के लिए निबंध साथ में कुछ होली की शुभकामनाएं भी आप सभी के लिए लिखी गयी है। उम्मीद करता हूँ आपको ये पसंद आएंगे।
होली पर छोटे तथा बड़े निबंध: बच्चों और बड़ों के लिए Long and Short Essay on Holi in Hindi For Class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 और 12 के लिए लिखा गया है।
होली का त्यौहार रंगों का त्यौहार होता है। होली फाल्गुन मास में मनाई जाती है। होली का त्योहार हिन्दू धर्म के अनुसार मनाया जाता है। होली के दिन घरों घरों में गुझिया, पापड़, पकोड़े, ठंडाई, हलवा, पानी-पूरी, खीर पूरी सब्जी जैसे पकवान आदि बनाए जाते हैं।
होली का त्योहार लोगों में एक दूसरे के प्रति चल रहे लड़ाई झगड़े आदि को खत्म कर एक नयी मित्रता की शुरुआत करती है। होली के दिन सभी, बच्चे, बड़े, बुजुर्ग अपने परिवार और आपसी लोगों के साथ बाहर आस पड़ोस के लोगों के साथ होली खेलते है।
होली के दिन यह कोई मायने नहीं रहता है की होली का त्यौहार केवल हिन्दू ही मनाते है। होली का त्यौहार सभी जाति धर्म के लोग अपनी इच्छा के अनुसार मनाते है।
होली के त्यौहार में जाति धर्म की बेड़ियां बीच में नहीं आती है। जो चाहे जिसे चाहे रंग लगा सकता है मगर ध्यान रहे अगर कोई नहीं चाहता रंगों से खेलना तो उनके साथ केवल गले मिलकर और जो आपसे बड़े हैं तो पैर छूकर होली की बधाई दें।
होली के दिन रंगों से इसलिए खेला जाता है क्योंकि दुनिया के सभी रंग आपस में एक हो जाते है जो मनुष्य के बीच “एकता” के संबंध को दर्शाते है।
होली का त्यौहार वसंत ऋतु के समय फाल्गुन मास के अंतिम दिन मनाई जाती है। फाल्गुन मास के खत्म होते ही किसान लोग बहुत ही खुश होते हैं क्योंकि इस दिन तक उनकी मेहनत और काफी लम्बे समय का इंतजार रंग लाता है।
उनकी मेहनत रंग लाती है, उनके द्वारा उगाई गई फसल पूरी तरह काटने के लिए तैयार रहती है।
होली के एक दिन पूर्व जिसे सभी छोटी होली के नाम से भी जानते हैं उस दिन होलिका का दहन हुआ था। होलिका राजा “हिरण्यकश्यप” की बहन थी। “हिरण्यकश्यप” राक्षस की तरह था जो ये चाहता था की लोग उसे भगवान समझे और उसकी पूजा करें।
अपने प्राणों से भी ज्यादा “हिरण्यकश्यप” को महत्व दें मगर भगवान को कुछ और ही मंजूर था। “हिरण्य कश्यप” के घर एक बालक ने जन्म लिया जिसका नाम प्रहलाद था जो बचपन से ही भगवान विष्णु जी को मानता था उनकी पूजा करता था.
प्रहलाद के विष्णु जी को भगवान मानने को लेकर “हिरण्यकश्यप” बड़ा ही चिंतित हो उठा। उसने कई बार अपने पुत्र को बोला की विष्णु भगवान नही है। तुम्हारा असली भगवान तुम्हारा अपना पिता है।
मगर प्रहलाद ने किसी की बात नहीं सुनी वो बचपन से ही श्रीहरी का जाप करता रहता था। लाख बार समझाने पर जब प्रहलाद ने अपनी जिद नहीं छोड़ी तो “हिरण्यकश्यप” ने प्रह्लाड को मारने के कई प्रयत्न किये मगर असफल रहे।
प्रहलाद को जलती हुई तेल की कड़ाई में डाल दिया गया। मगर वो भी भगवान विष्णु की कृपया से जल बन गया। प्रहलाद के विद्यालय में राक्षश को भेजा उसे मारने के लिए मगर राक्षस भगवान विष्णु जी की कृपा से प्रहलाद को छू तक नहीं पाया।
“हिरण्यकश्यप” के कहने पर प्रह्लाद की माँ ने न चाहते हुए भी अपने पुत्र को विष (जेहर) वाला दूध पीने के लिए दिया और रोने लगी। मगर पहलाद ने वो दूध भी पी लिया और भगवान विष्णु जी की कृपा से प्रहलाद को कुछ नहीं हुआ।
“हिरण्यकश्यप” ने प्रहलाद को रस्सी से बंधवा कर नदी में फैकना चाहा मगर पत्थर पानी पे तैरने लगा और प्रहलाद पत्थर के सहारे नदी के किनारे आ पहुंचा.
अंत में आकर “हिरण्य कश्यप” ने अपनी बहन होलिका को याद किया और “हिरण्य कश्यप” के कहने पर होलिका ने प्रहलाद को अपनी गोद में लिया और अग्नी में बैठ गयी.
होलिका को भगवान शिव जी की तरफ से एक चुनरी भेटं दी थी जिसकी वजह से होलिका को अग्नि कुछ भी नहीं करती| मगर भगवान की मंजूरी पर वही चूनरी प्रहलाद पर जा पड़ी और होलिका भस्म हो गयी.
तभी से इस दिन को होलिका के देहन के रूप में मनाया जाने लगा.
बाद में “हिरण्य कश्यप” को भगवान विष्णु जी के हाथों सजा मिल गई| होलिका दहन के दिन लोग लकड़ियाँ इकठ्ठी कर और घांस फूस आदि के जरिये एक घेरे में आग लगा कर खुशियाँ बांटते हैं.
घरों की औरते बेटियाँ आदि होलीका की पुजा करती हैं इस दिन लोग अपनी सभी बुराइयों को होलीका में जला देतें हैं होलीका की पूजा के बाद अगले दिन लोग अपने परिवार आस पड़ोस रिश्तेदार के साथ होली खेलतें हैं| होली के दिन अच्छाई की जीत और बुराई की हार हुई थी.
रंग-बिरंगा त्योहार है होली का त्यौहार, होली का त्यौहार हिन्दू धर्म के लोगों में मनाया जाता है। होली का त्योहार प्रत्येक वर्ष फाल्गुन मास में मनाया जाता है। वसंत ऋतु की शुरुआत ही होली से होती है। होली रंगो का त्यौहार है।
होली के दिन लोग अपने घरों में गुलाल, अबीर अन्य प्रकार के रंग लेकर अपने आस-पड़ोस के लोगों के घरों में जाकर उनसे होली की शुभकामनाएं देकर होली मनाते है और होली के दिन अनेकों प्रकार के मिष्ठान आदि बनाया जाता है।
प्राचीन काल से ही होली का त्यौहार मनाया जाता आ रहा है। होली के दिन सभी संस्थानों में स्कूलों कॉलेजों अन्य प्रकार के सभी कार्य स्थलों का अवकाश होता है। होली के दिन पहले छोटी होली मनाई जाती है जिसे स्कूल के बच्चों द्वारा मनाया जाता है। स्कूल के बच्चों व अन्य सभी प्रकार के कार्य स्थलों पर छोटी होली पर आपस में रंग लगाया जाता है।
छोटी होली के दिन होलिका दहन होता है। होलिका के दहन के पीछे एक बहुत ही बड़ी कहानी है जिसमें श्री विष्णु जी की महिमा का गुणगान किया गया है।
होलिका की कहानी में केवल इतना ही है कि हिरण्यकश्यप नामक राजा जो कि अपने आप को भगवान समझता था और विष्णु जी से नफरत किया करता था। उनके यहां पर एक प्रह्लाद नामक बालक का जन्म हुआ। हिरण्यकश्यप उसे अपनी ही तरह एक राजा बनाना चाहते थे और एक भगवान का दर्जा दिलाना चाहते थे लेकिन प्रह्लाद को श्री विष्णु जी की भक्ति में आनंद आता था।
विष्णु जी की महिमा और विष्णु जी का आशीर्वाद हमेशा प्रह्लाद के ऊपर बना रहता था जिसकी वजह से हिरण्यकश्यप बहुत ही परेशान था।
हिरण्यकश्यप ने अनेकों तरीके से अपने प्रह्लाद को समझाया लेकिन प्रह्लाद को भगवान विष्णु जी के आगे कुछ नहीं नजर आया अंत में हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को मारने की कोशिश की जिसमें प्रह्लाद को उसकी बुआ होलिका द्वारा एक अग्निकांड में बैठाया गया।
होलिका को तो भगवान शिवजी का वरदान था कि उसे कोई भी अग्नि नुकसान नहीं पहुंचा सकती थी लेकिन अन्य किसी व्यक्ति को अग्नि पहचान जाएगी तो उसी तरह होलिका प्रहलाद को लेकर अग्नि में बैठ गई मगर भगवान विष्णु जी ने होलिका का वरदान उठाकर प्रह्लाद के सर रख दिया और अग्नि से बचकर वापस आया मगर होलिका का अग्नि में सर्वनाश हो गया और तभी से लोगों का भगवान विष्णु में विश्वास और भी ज्यादा बढ़ गया जिसकी वजह से वह होलिका का दहन एक त्यौहार में बदल गया जिसे प्रत्येक वर्ष भारतवर्ष में मनाया जाता है।
होली के दिन लोगों द्वारा सभी भेदभाव, मनमुटाव, दुश्मनी आदि को भुलाकर एक नए रिश्ते की शुरुआत करना ही होली का त्योहार कहलाता है।
होली के दिन विभिन्न प्रकार के रंगों का प्रयोग किया जाता है क्योंकि कोई भी किसी से अलग नहीं है सब एक समान है किसी में भी किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं है और होली का त्यौहार प्यार और अच्छे रिश्ते को बनाने का एक नया मार्ग होता है। होली की खुशियों और शुभकामनाओं को सभी में बाँटना चाहिए।
होली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का दिन माना जाता है| होली का त्यौहार वसंत ऋतु के समय फाल्गुन मास के अंतिम दिन मनाया जाता है.
होली पर लोगों के घरों में इस दिन गुझिया, पापड़, पकोड़े, ठंडाई, हलवा, पानी-पूरी, खीर पूरी सब्जी जैसे पकवान आदि बनाएं जातें हैं| होली हिन्दुओं का त्यौहार हैं ये भारत में मनाया जाता है.
इस दिन लोग रिश्तेदारों के साथ परिवार वालों के साथ रंगों से खेलते हैं| दोस्तों से मिलते हैं, खूब मौज मस्तियाँ करते हैं| आते जाते हुए लोगों को बुरा न मानो होली है कह कर रंगों से रंग देतें है.
इस दिन कोई बुरा नहीं मानता और शायद कुछ बड़े लोग बुरा मान भी जाते हैं मगर होली के दिन कोई गुस्सा नहीं करते है.
छोटी होली को स्कूल में मानया जाता है स्कूल के बच्चे अपने साथ पढ रहे बच्चो और अपने अध्यापकों के साथ भी होली खेलना पसंद करते है.
होली से एक दीन पहले होलिका दहन होती हैं| होलिका राजा “हिरण्य कश्यप” की बहन थी और “हिरण्य कश्यप” अपने आप को भगवान समझता था| “हिरण्य कश्यप” का पुत्र भगवान विष्णु जी को मानता था.
“हिरण्य कश्यप” अपने बेटे की इस बात पर उसे कई बार विष्णु जी की पूजा करने के लिए मना करता रहा मगर प्रहलाद ने नहीं सुनी और कई बार “हिरण्य कश्यप” ने प्रहलाद को मारने की कोशिश की मगर असफल रहा.
फिर मौक़ा पा कर अपनी बहन होलिका के साथ अग्नी में प्रहलाद को बिठा दिया| होलिका को भगवान शिव की कृपा से एक चुनरी हांसिल थी जिसकी वजह से होलिका को अग्नि कुछ नहीं कर सकती थी.
मगर भगवान विष्णु जी की कृपा से प्रहलाद को कुछ नहीं हुआ और होलिका जल कर भस्म हो गयी और बुराई पर अच्छाई की जीत हुई| इसलिए कहा जाता है की बुरा करोगे तो बुरा होगा.
होली पर पूजा करने की विधि: होलिका दहन करने से पहले विधिवत पूजा होनी है और दहन के लिए शुभ मुहूर्त देखा जाता है फिर होलिका को अग्नि दी जाती है।
पूजा के लिए इस दिन जल, रोली, फूल माला, चावल गुड़ और नई पकी फसल के पौधों की बालियां रखें। होलिका दहन के शुभ मुहूर्त के समय चार मालाएं होलिका को अर्पित की जाती है। इसके बाद तीन या सात बार होलिका की परिक्रमा होनी चाहिए.
शास्त्रों के अनुसार होलिका दहन पूर्णिमा तिथि में प्रदोष काल के दौरान करना चाहिए और ध्यान रखें कि जब भद्राकाल चल रहा हो तो इस दौरान होलिका दहन नहीं होना चाहिए। भद्राकाल के समय होलिका दहन शुभ नहीं माना जाता है।
पंचाग के अनुसार इस बार होलिका दहन का शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 26 मिनट से लेकर 8 बजकर 55 मिनट तक रहेगा। (2020)
होलिका पूजन करने के लिए होली से आठ दिन पहले ही होलिका दहन वाले स्थान को गंगाजल से शुद्ध कर उसमें सुखी लकड़ी, सूखी खास, सूखे उपले, व होली का डंडा स्थापित कर दिया जाता है.
जिस दिन यह कार्य किया जाता है, उस दिन को होलाष्टक प्रारंभ का दिन भी कहा जाता है। जिस स्थान पर होली का डंडा स्थापित किया जाता है, वहां के संबंधित क्षेत्रों में होलिका दहन होने तक कोई शुभ कार्य संपन्न नहीं किया जाता.
उसके बाद होलाष्टक से लेकर होलिका दहन के दिन तक हर दीन कुछ लकड़ियां इकट्ठी करके उसमें डाली जाती है। इस प्रकार होलिका दहन से पहले यहां लकड़ियों का ढेर बन जाता है। फिर मोहल्ले के व गाँव के सभी निवासी होलिका दहन करके अच्छे जीवन की कामना करते है और बच्चों की मंडली होली खेलने में लग जाती है।
5 दिनों तक मनाए जाने वाले होली के इस पावन पर्व पर सभी के घरों में गुझियाँ, ठंडाई, पकोड़े, पानी-पूरी, खीर, पूरी सब्जी, भजिए-श्रीखंड और पूरन-पोली बनाकर होली का त्यौहार मनाया जाता है।
होली पर कविता हिंदी में
देखो-देखो होली है आई चुन्नू-मुन्नू के चेहरे पर खुशियां हैं आई मौसम ने ली है अंगड़ाई। शीत ऋतु की हो रही है बिदाई ग्रीष्म ऋतु की आहट है आई सूरज की किरणों ने उष्णता है दिखलाई देखो-देखो होली है आई। बच्चों ने होली की योजना खूब है बनाई रंगबिरंगी पिचकारियां बाबा से है मंगवाई रंगों और गुलाल की सूची है रखवाई जिसकी काका ने अनुमति है नहीं दिलवाई। दादाजी ने प्राकृतिक रंगों की बात है समझाई जिस पर सभी बच्चों ने सहमति है जतलाई बच्चों ने खूब मिठाइयां खाकर शहर में खूब धूम है मचाई देखो-देखो होली है आई। होली ने भक्त प्रहलाद की स्मृति है करवाई बच्चों और बड़ों ने कचरे और अवगुणों की होली है जलाई होली ने कर दी है अनबन की सफाई जिसने दी है प्रेम की जड़ों को गहराई। बच्चों! अब है परीक्षा की घड़ी आई तल्लीनता से करो पढ़ाई वरना सहनी पड़ेगी पिटाई अथक परिश्रम, पुनरावृत्ति देगी सफलता अपार जन-जन की मिलेगी बधाई होगा प्रतीत ऐसा होली-सी खुशियां हैं फिर लौट आई देखो-देखो होली है आई। साभार- देवपुत्र लेखक - श्रीमती ममता असाटी
होली खुशियों का त्यौहार है मगर में होली के बारे में कुछ बातें आपको बताने जा रहा हूँ जो बेहद जानने योग्य हैं।
जल विभाग की तरफ से ये समाचार सामने आया है की होली पे कई लीटर पानी बर्बाद हो जाता है और इस बार भी ऐसा ही होना है तो कृपया करके होली पर जहां तक हो सके पानी का इस्तेमाल न करें और गुलाल आदि से होली मनाये।
होली के दिन शराब पी कर गाडी वाहन आदि न चलायें इस दिन केवल होली मना कर खुशियाँ बाटना होता है मगर किसी गलती की वजह से किसी और के घर को दुःख झेलना पड़ता है।
आपसे अनुरोध है कृपया करके शराब का सेवन न करें और यदि आप ऐसा करते हैं तो घर में ही रह कर होली का आनंद ले।
प्रिय छात्रों, मुझे उम्मीद है की होली पर निबंध का यह लेख आपको अच्छा लगा होगा, आपको होली की सारी जानकारी मिल गई होगी।
अगर आपको अभी भी होली के विषय में कुछ पूछना है तो आप कमेंट के माध्यम से पूछ सकते हो और जितना हो सके इस लेख को फेसबुक, ट्विटर, गूगल+, व्हाट्सएप्प इत्यादि पर शेयर जरुर करें. “धन्यवाद” आपको होली की हार्दिक शुभकामनाएं..!
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बहुत ही उम्दा लेख है, मैंने पढा मुझे इतना पसन्द आया कि मैंने भी एक लिख डाला ?
THANK YOU SIR
rango ka tyohar hai holi
HAPPY HOLI