प्रिय बच्चों, आज आपके लिए बाल दिवस पर कविता लेकर आया हूँ, बाल दिवस पर कवितायें, चाचा नेहरू जी के लिए कविताएं.
इन कविताओं को आप अपने स्कूल, कॉलेज और किसी समारोह में आसानी के साथ बोल सकते हो|
बाल दिवस पर ढेर सारी कविताओं का कलेक्शन है मेरे पास, ये बाल दिवस की कवितायें न केवल बच्चों के लिए हैं बल्कि बड़े लोग भी इन कविताओं में से अपने लिए कविता चुन सकते हैं.
बाल दिवस का महत्व ही अलग है इस दिन भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू जी का जन्म हुआ| नेहरू जी का बच्चों से बहुत लगाव था| जिस वजह से वो अपने जन्मदिन के दिन बच्चों के साथ खेलना कूदना पसंद करते थे.
चाचा नेहरू जी हमारे साथ नहीं है लेकिन उनकी यादें उनकी बातें सभी हमारे साथ हैं| चाचा नेहरू जी का बच्चों से प्यार इतना था की किसी भी बच्चे पर अन्याय होना उन्हे जरा सा भी पसंद नहीं था जैसे की बाल मजदूरी, बाल विवाह इत्यादि| उन्होने बाद में कई नियम बनाए भी थे.
बाल दिवस एक ऐसा दिन है जिस दिन सरकार भारत देश के लिए, बच्चों के भविष्य के लिए नई नई योजनाएँ बनाते है.
भारत का भविष्य बच्चों पर ही निर्भर करता है| अगर बच्चे अच्छे संस्कार माहौल में पलें बड़ें तो हमारे भारत देश को कोई पीछे नहीं कर सकता है|
जरूर पढ़ें » पण्डित जवाहर लाल नेहरू जी पर 10 पंक्तियाँ
NEW POST: बाल दिवस पर पढ़ें ‘बचपन’ को याद करते ये शायरी!
#1. चाचा नेहरु प्यारे थे
चाचा नेहरु प्यारे थे, भारत माता के राजदुलारे थे!, देश के पहले पधानमंत्री थे, स्वतंत्रता के सैनानी थे! अचकन में फूल लगाते थे, हमेशा ही मुस्काते थे! बच्चो से प्यार जताते थे! चाचा नेहरु प्यारे थे! देश विदेश यह घूमते थे, बहुत सारी जानकारी प्राप्त करते थे, फिर भी अपने देश से यह प्यार करते थे! चाचा नेहरु राजकुमारे थे! बच्चे इनको सदा प्यार से, चाचा नेहरू कहते। चाचाजी इन बच्चों के बीच, बच्चे बनकर रहते है॥ एक गुलाब ही सब पुष्पों में, इनको लगता प्यारा। भारत मां का लाल यह, सबसे ही था न्यारा॥ सारे जग को पाठ पढ़ाया, शांति और अमन का। भारत मां का मान बढ़ाया, था यह ऐसा लाल चमन का॥ बाल दिवस की कविता|
वो यारों की यारी में सब भूल जाना
और डंडे से गिल्ली को दूर उड़ाना
वो होमवर्क से जी चुराना
और टीचर के पूछने पर बहाने बनाना
मुश्किल है बचपन को भुलाना
वो एग्जाम में रट्टे लगाना,
फिर रिजल्ट के डर से घबराना!
वो दोस्तों के साथ साईकिल चलाना!
वो छोटी-छोटी बातो पर रूठ जाना
मुश्किल है बचपन को भुलाना
लेखक : अज्ञात
बाल-दिवस है आज साथियो, आओ खेलें खेल । जगह-जगह पर आज मची है, खुशियों की रेलमपेल । वर्षगाँठ चाचा नेहरू की, फिर से आई है आज... उन जैसे नेता पर पूरे भारतवर्ष को है नाज। दिल से इतने भोले थे वो, जितने हम नादान, बूढ़े होने पर भी मन से थे वे सदा जवान । हमने उनसे मुस्काना सीखा, सारे संकट झेल हम सब मिलकर क्यों न रचाए ऐसा सुख संसार जहां भाई भाई हों सभी, छलकता रहे प्यार, न हो घृणा किसी ह्रदय में, न द्वेष का वास, न हो झगडे कोई, हो अधरों का हास, झगडे नहीं परस्पर कोई, सभी का हो आपस में मेल, पड़े जरूरत देश को, तो पहन लें हम वीरों का वेश, प्राणों से बढ़कर प्यारा है हमें अपना देश, दुश्मन के दिल को दहला दें, डाल कर नाक नकेल बाल दिवस है आज साथियों, आओ खेलें खेल...
“प्रभात”
नेहरू चाचा तुम्हें सलाम
अमन-शांति का दे पैगाम
जग को जंग से बचाया
हम बच्चों को भी मनाया
जन्मदिवस बच्चों के नाम
नेहरू चाचा तुम्हें सलाम
देश को दी हैं योजनाएं
लोहा और इस्पात बनाए
बांध बने बिजली निकाली
नहरों से खेतों में हरियाली
प्रगति का दिया इनाम
नेहरू चाचा तुम्हें प्रणाम..
बाल-दिवस है आज साथियो, आओ खेलें खेल । जगह-जगह पर मची हुई खुशियों की रेलमपेल । बरस-गांठ चाचा नेहरू की फिर आई है आज, उन जैसे नेता पर सारे भारत को है नाज । वह दिल से भोले थे इतने, जितने हम नादान, बूढ़े होने पर भी मन से वे थे सदा जवान । हम उनसे सीखे मुसकाना, सारे संकट झेल । हम सब मिलकर क्यों न रचाए ऐमा सुख संसार भाई-भाई जहां सभी हों, रहे छलकता प्यार । नही घृणा हो किसी हृदय में, नहीं द्वेष का वास, आँखों में आँसू न कहीं हों, हो अधरों पर हास । झगडे नही परस्पर कोई, हो आपस में मेल । पडे जरूरत अगर, पहन ले हम वीरों का वेश, प्राणों से भी बढ़कर प्यारा हमको रहे स्वदेश । मातृभूमि की आजादी हित हो जाएं बलिदान, मिट्टी मे मिलकर भी माँ की रक्खें ऊंची शान । दुश्मन के दिल को दहला दें, डाल नाक-नकेल । बाल दिवस है आज साथियो, आओ खेलें खेल । - मनोहर प्रभाकर साभार - चुने हुए राष्ट्रीय गीत संपादक - डा मीना अग्रवाल, विद्या विहार
कितनी प्यारी दुनिया इनकी,
कितनी मृदु मुस्कान।
बच्चों के मन में बसते हैं,
सदा, स्वयं भगवान।
एक बार नेहरू चाचा ने,
बच्चों को दुलराया।
किलकारी भर हंसा जोर से,
जैसे हाथ उठाया।
नेहरूजी भी उसी तरह,
बच्चे-सा बन करके।
रहे खिलाते बड़ी देर तक
जैसे खुद खो करके।
बच्चों में दिखता भारत का,
उज्ज्वल स्वर्ण विहान।
बच्चे मन में बसते हैं,
सदा स्वयं भगवान।
बच्चे यदि संस्कार पा गए,
देश सबल यह होगा।
बच्चों की प्रश्नावलियों से,
हर सवाल हल होगा।
बच्चे गा सकते हैं जग में,
अपना गौरव गान।
बच्चे के मन में बसते हैं,
सदा स्वयं भगवान।
लेखक : कार्तिकेय अमर
कितनी प्यारी दुनिया इनकी,
कितनी मृदु मुस्कान।
बच्चों के मन में बसते हैं,
सदा, स्वयं भगवान।
एक बार नेहरू चाचा ने,
बच्चों को दुलराया।
किलकारी भर हंसा जोर से,
जैसे हाथ उठाया।
नेहरूजी भी उसी तरह,
बच्चे-सा बन करके।
रहे खिलाते बड़ी देर तक
जैसे खुद खो करके।
बच्चों में दिखता भारत का,
उज्ज्वल स्वर्ण विहान।
बच्चे मन में बसते हैं,
सदा स्वयं भगवान।
बच्चे यदि संस्कार पा गए,
देश सबल यह होगा।
बच्चों की प्रश्नावलियों से,
हर सवाल हल होगा।
बच्चे गा सकते हैं जग में,
अपना गौरव गान।
बच्चे के मन में बसते हैं,
सदा स्वयं भगवान।
चाचा नेहरु का बच्चो से है बहुत पुराना नाता जन्मदिन चाचा नेहरु का बाल दिवस कहलाता चाचा नेहरु ने देखे थे नवभारत के सपने उस सपने को पूरा कर सकते है उनके अपने बच्चे बाल दिवस के दिन हम सभी बच्चे मिलकर गीत ख़ुशी के गायेगें चाचा नेहरु के चरणों में फूल मालाये चढ़ायेगें! शालाओं में भी होते है नये नये आयोजन जिसको देख कर आनंदित होते है हम बच्चो के तन मन बाल दिवस के इस पवन पर्व पर एक शपथ ये खाओ ऊँच नीच का भेद भूलकर सबको गले लगाओ!
अल्लाह, ईसा और ईश्वर गुरुनानक का रूप है इनमें कच्ची मिट्टी जैसे होते सच्चाई की धूप है इनमें। जिस घर, आंगन नहीं है बचपन फुलवा भी वहां नहीं महकते चाहे बने हो कई घोंसले नन्हे पंछी नहीं चहकते अल्लाह, ईसा और ईश्वर गुरुनानक का रूप है इनमें। कहने को तो, ये सब बच्चे लेकिन ये सब, सपन सलोने आगे जाकर बने सहारा आज यही, हम सबके खिलौने अल्लाह, ईसा और ईश्वर गुरुनानक का रूप है इनमें। बचपन की है बात निराली बचपन की है छाप निराली ऐसा कर दें सबका बचपन हर दिन होली, रात दिवाली अल्लाह, ईसा और ईश्वर गुरुनानक का रूप है इनमें। बाल दिवस पर कसम उठाएं हर बच्चे में, ईश जगाएं यही कामना बाल दिवस पर संस्कार हर रूप हो, इनमें। अल्लाह, ईसा और ईश्वर गुरुनानक का रूप है इनमें। कच्ची मिट्टी जैसे होते...
राष्ट्रवाटिका के पुष्पों में, एक जवाहरलाल। जन्म लिया जिस दिन लाल ने, दिवस कहाया बाल॥ बच्चे इनको सदा प्यार से, चाचा नेहरू कहते। चाचाजी इन बच्चों के बीच, बच्चे बनकर रहते॥ एक गुलाब ही सब पुष्पों में, इनको लगता प्यारा। भारत मां का लाल यह, सबसे ही था न्यारा॥ सारे जग को पाठ पढ़ाया, शांति और अमन का। भारत मां का मान बढ़ाया, था यह ऐसा लाल चमन का॥
फूलों के जैसे महकते रहो,
पंछी के जैसे चहकते रहों,
सूरज की भांति चमकते रहों,
तितली के जैसे मचलते रहों,
माता-पिता का आदर करो,
सुंदर भावों को मन में भरो,
ये है हमारी शुभ कामना,
ये बचपन हमेशा हँसता रहे
मुस्कुराता रहे…
बाल दिवस की शुभकामनाएं…
#12.
सूरज निकला मिटा अँधेरा, देखो बच्चों हुआ सवेरा... आया मीठी हवा का फेरा, चिड़ियों ने फिर छोड़ा बसेरा... जागो बच्चों अब मत सोओ, इतना सुंदर समय न खोओ...
#13.
बचपन है ऐसा खजाना, आता हैं न जो दुबारा, मुश्किल है इसको भुलाना वो खेलना, कूदना और खाना, मौज-मस्ती में बलखाना…!!!
#14.
अचकन में फूल लगाते थे, हमेश मुस्काते थे. देश विदेश घूमने जाते थे, बहुत सारी जानकारियाँ लाते थे. बच्चो से प्यार जताते थे, इसलिए प्यारे चाचा नेहरू कहलाते थे.
बच्चों के लिए बाल दिवस पर कविता जो आपको सुनने और पढ़ने में अच्छी लगेंगी| बाल दिवस पर कविता को सुनना और बोलना दोनों ही अच्छा लगता है लेकिन याद रहे सिर्फ बोलने और सुनने से काम नहीं चलेगा.
आपको बाल दिवस की ये सारी कविताएँ शेयर भी करनी पड़ेंगी तो आप तैयार हो जाईये| ज्यादा नहीं बस इतनी सी गुजारिश है की बच्चों की ये कवितायें भारत के उस कोने तक जाए जहां बच्चों के भविष्य को लेकर ज्यादा चिंतित नहीं हुआ जाता है|
आपके एक शेयर से किसी बच्चे की जिंदगी बदल सकती है. 🙂
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Good poem
Best poems
Thanks
Best poem
बहुत बढ़िया पोएम है
Nice poem 👏👏👏