HindiParichay.com क्रिकेट बेटिंग को बढ़ावा नहीं देता है और न ही किसी भी प्रकार की क्रिकेट बेटिंग से संबंधित जानकारी देती है। क्रिकेट बेटिंग एक अपराध है क्योंकि ये किसी भी प्रकार से भारतीय कानून के अंतर्गत नहीं आता है। क्रिकेट बेटिंग को लेकर बहुत से लोगों को सही मतलब नहीं है उन्हे लगता है कि क्रिकेट बेटिंग भारत में मान्य हैं।
“नहीं” भारत में क्रिकेट बेटिंग बिलकुल गैर कानूनी है। क्रिकेट बेटिंग के चक्कर बहुत से लोग जाईल जा चुके है और आगे भी जाते रहेंगे।
क्रिकेट का असली मजा तो टीवी और प्ले ग्राउंड में ही आता है लेकिन साथ में जब सारे खिलाड़ी ईमानदारी के साथ खेल खेले क्योंकि एक खिलाड़ी से लाखों लोगों का लगाव जुड़ा होता है। आज भी लोग सट्टा लगाने से बाज नहीं आते है और इसे सीखने के लिए गूगल पर सर्च करते हैं।
FICCI के CEO कमलेश विजय लॉं कमीशन की रिपोर्ट्स के अनुसार कहते है कि भारत में क्रिकेट की सट्टेबाजी पर पूरी तरह रोक लगा देनी चाहिए या फिर इसे कानूनी तौर पर मान्य कर देना चाहिए।
यदि इसे लीगल किया जाता है तो सरकार को revenue भी मिलेगा और लोगों को रोजगार भी। साथ ही अभी जो लॉ एंड ऑर्डर की प्रॉब्लम है, वह भी खत्म हो जाएगी। आज भी यूरोप, ऑस्ट्रेलिया जैसे कई देश हैं, जहां क्रिकेट बेटिंग लीगल है।
सट्टेबाजी में भारत में भी काफी लोग शामिल हैं लेकिन भारतीय सरकार को इसका कोई फायदा नहीं मिलता। लॉ एंड ऑर्डर की भी दिक्कत होती है। यदि सट्टेबाजी लीगल हो जाएगी जो स्पोर्ट्स की इमेज जो की कहीं कहीं सट्टेबाजी के चलते खराब हो चुकी है वो अपने आप ठीक हो जाएगी| लॉ कमीशन ने क्रिकेट में सट्टेबाजी को देश में लीगल करने की वकालत की हैं।
सट्टेबाजी पर पुलिस समय-समय पर कारवाई करती है। इंदौर पुलिस के एएसपी (क्राइम) और साइबर प्रभारी अमरेंदर सिंह का कहना है कि, अब एप्स और वेबसाइट के जरिए क्रिकेट में सट्टेबाजी की जा रही है। लिंक के जरिए यह लोग एक-दूसरे से जुड़ते हैं। कई एप्स, वेबसाइट विदशों से संचालित की जा रही हैं।
बेटिंग एजेंट को एडवांस देकर अकाउंट खुलवाना पड़ता है। अकाउंट की एक लिमिट होती है। सट्टा लगाने वाले व्यक्ति को लाइन कहा जाता है। यही पंटर (एजेंट) के जरिए बुकी से संपर्क कराता है। मैच की पहली गेंद से लेकर आखिरी तक टीम के जीत के भाव चढ़ते-उतरते हैं। एक लाख को एक पैसा, 50 हजार को अठन्नी, 25 हजार को चवन्नी कहा जाता हैं।
Cricket Betting Sites In India
मान लीजिए भारत का भाव 60/62 (भारत फेवरेट)। ऐसे में यदि पंटर ने एक लाख रुपए भारत की जीत पर लगाए है तो उसे 60 हजार रुपए मिलेंगे। जो पंटर 1 लाख रुपए का सट्टा लगाता है तो वह बुकी को कहता है कि एक पेटी 60 में लगाया। बुकी कहता है, एक पेटी 60 में खाया। यदि मैच में भारत जीत जाता है तो पंटर को 60 हजार रुपए मिलते है, वहीं भारत हार जाता है तो पंटर को 1 लाख रुपए देने पड़ेंगे।
60/62 का भाव होने पर यदि कोई भारत के फेवरेट रहने पर भी दूसरी टीम पर 1 लाख रुपए का सट्टा लगाता है तो पंटर 62 में 1 पेटी खाया कहता है और बुकी कहता है 62 में 1 पेटी लगाया। ऐसे में यदि फेवरेट न होने पर भी जिस टीम पर पैसा लगाया है वो जीतती है तो पंटर को एक लाख रुपए मिलेंगे। वहीं हार जाती है तो उसे बुकी को सिर्फ 62 हजार रुपए देना पड़ेंगे। लोढ़ा पैनल ने कहा था, इसे वैध कर दो 2013 में आईपीएल में स्पॉट फिक्सिंग की जांच के लिए गठित लोढ़ा पैनल ने सिफारिश की थी कि क्रिकेट में बेटिंग (सट्टेबाजी) को कानूनी दर्जा दे दिया जाए।
कमेटी का कहना था कि सट्टेबाजी पर पूरी तरह से लगाम लगा पाना मुश्किल है। इसलिए इसे लीगल कर देना चाहिए जिससे सरकार राजस्व कमा सकती है।
फिक्की की एक रिपोर्ट के मुताबिक क्रिकेट में सट्टेबाजी को कानूनी बना देने से सरकार को हर साल 12 से 19 हजार करोड़ रुपए का राजस्व मिलेगा। अभी यह पैसा सट्टेबाजी की जेब में जाता है।
दोस्तों hindiparichay.com कभी भी आपको ये सलाह नहीं देती है कि आप किसी भी प्रकार से सट्टेबाजी की तरफ न देखे। सट्टेबाजी कानून अपराध है और इस पर जेल की सजा भी हैं।
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