Dev Diwali 2021: दीपावली के 15 दिन के बाद ही देव दीपावली का त्योहार मनाया जाता है। इस त्यौहार को मानने वालों की संख्या लाखों में है। लेकिन बहुत से लोग है जो इस त्योहार के बारे में नहीं जानते है।
दीपावली के दिन भगवान श्री राम जी अयोध्या वापस आने की खुशी में घी के दीपक जला कर अयोध्या नगरी को सुसज्जित किया गया था। ठीक उसी दिन के 15 दिन बाद ही देव दीपावली 2021 को मनाया जाने लगा था। देव दीवाली का त्योहार कार्तिक पूर्णिमा का त्योहार है। यह कार्तिक मास में मनाया जाने वाला त्यौहार है। इसे केवल उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में मनाया जाता है.
देव दिवाली 2021 विश्व के सबसे प्राचीन शहर काशी (Varanasi) की संस्कृति एवं परम्परा है। Dev Diwali 2021 को दीपावली के पंद्रह दिन बाद ही मनाया जाता है।
देव दिवाली के दिन गंगा नदी के किनारे जो रास्ते बने हुए है रविदास घाट से लेकर राजघाट के आखिर तक वहाँ लाखों – करोड़ों दीपक जला कर गंगा नदी की पूजा की जाती है और गंगा माँ की आरती भजन के साथ साथ उनका सम्मान किया जाता है। वाराणसी का ये नजारा देखने के लिए दुनिया भर की भीड़ इकट्ठी होती है। वहाँ और पुजारी जी जो की मंदिर की पूजा अर्चना करते है, गंगा मैया की आरती और पूजा का सर्वश्रेठ सम्मान उन्हे मिलता है। गंगा माँ जी की आरती को देखने के लिए दुनिया भर की भीड़ पहले से ही इकट्ठी हो जाती है।
Dev Diwali 2020 Date | November 29th, 2020 |
Dev Diwali Date 2021 | Thursday, 18 November 2021 |
देव दिवाली कब है 2021 में? | 18 नवम्बर 2021 |
18 नवम्बर 2021 गुरूवार को देव दिवाली मनाई जाने वाली है। देव दिवाली का शुभ महूरत 05:09 pm to 07:47 Pm हैं। इस बार देव दिवाली फिर से धूम धाम से मनाई जाने वाली है। देव दिवाली के दिन पूजा कैसे करनी है और किस समय करनी है इन सब की जानकारी आपको नीचे पढ़ने को मिलेगी।
ऐसा तो सभी जानते है कि देव दिवाली, दीपावली के 15वें दिन मनाई जाती है। पुरानी कहावतों के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि इस दिन देवी देवता धरती पर आकर दीपक जलाते है। देव दिवाली के दिन भगवान शिव और नारायण की पूजा की जाती है। देव दिवाली 2021 में 18 नवम्बर को मनाई जाएगी। देव दिवाली कहलीजिए या देव दीपावली बात सामान्य है।
दिवाली, दीपावली आदि आपने सुना ही होगा लेकिन शायद आप देव दिवाली के बारे में आज पहली बार पढ़ रहे होंगे। तो मैं आपको बता देता हूँ कि देव दिवाली भी दिवाली जैसे ही मनाई जाने वाला त्यौहार है। देव दिवाली वाराणसी में मनाया जाने वाला त्यौहार है। देव दिवाली का त्यौहार भगवान शिव जी का त्रिपुरासुर का वध करने पर देव दिवाली मनाई जाने लगी है।
सन् 1915 में पंचगंगा घाट वाराणसी पर देवदीपावली की परंपरा की शुरुआत की गयी। सबसे पहले यहां हजारों दिये जलाकर शुरुआत की गयी थी। प्राचीन परंपरा और संस्कृति में आधुनिकता की शुरुआत से कांशी ने विश्व स्तर पर एक नये अध्याय का आविष्कार किया था। जिससे यह विश्व विख्यात आयोजन लोगों को आकर्षित करने लगा है।
इस आविष्कार के चलते दुनिया भर के लोग यहां आते है और पूजा पाठ का आनंद उठाते है। देवदीवाली पर देवताओं के इस उत्सव में परस्पर सहभागी होते हैं- काशी, काशी के घाट, काशी के लोग। देवताओं का उत्सव देवदीवाली, जिसे काशीवासियों वाराणसी ने सामाजिक सहयोग से महोत्सव में परिवर्तित कर विश्व प्रसिद्ध कर दिया है। करोड़ों दीपकों और झालरों की रोशनी से रविदास घाट से लेकर आदिकेशव घाट व वरुणा नदी के तट एवं घाटों पर स्थित देवालय, महल, भवन, मठ-आश्रम जगमगा उठते हैं, वो दृश्या ऐसा प्रतीत होता है की जैसे काशी में पूरी आकाश गंगा ही उतर आयी हो।
धार्मिक एवं सांस्कृतिक नगरी काशी के ऐतिहासिक घाटों पर कार्तिक पूर्णिमा को माँ गंगा की धारा के समान्तर ही प्रवाहमान होती है। पुरानी सत्य पर आधारित कहानियों के अनुसार कहा जाता है की कार्तिक मास में कार्तिक पूर्णिमा के दिन देवतागण दिवाली मनाते हैं व इसी दिन देवताओं का काशी में प्रवेश हुआ था।
जब तीनों लोकों में त्रिपुरासुर राक्षस का राज चला करता था। त्रिपुरासुर राक्षस एक गंदे व्यवहार था और इसके चलते पूरी जनता उससे परेशान थी। यहां तक की देव गण भी उससे परेशान थे तब जाकर देवतागणों ने भगवान शिव का आवाहन किया उनकी पूजा की और उनसे वरदान मांगा और वरदान में भगवान शिव से त्रिपुरासुर राक्षस का उद्धार करने की विनती की।
भगवान शिव ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन त्रिपुरासुर राक्षस का वध कर उसके अत्याचारों से सभी को मुक्त कराया और त्रिपुरारी कहलाये। प्रसन्न होकर देवताओं ने स्वर्ग लोक में दीप जलाकर दीपोत्सव मनाया था तभी से कार्तिक पूर्णिमा को देव दिवाली मनायी जाने लगी।
काशी में देव दिवाली का त्यौहार मनाये जाने के सम्बन्ध में एक और मान्यता भी है कि राजा दिवोदास ने अपने राज्य काशी में देवताओं के प्रवेश को प्रतिबंधित कर दिया था। कार्तिक पूर्णिमा के दिन रूप बदल कर भगवान शिव ने काशी के पंचगंगा घाट पर आकर गंगा स्नान कर ध्यान किया था, यह बात जब राजा दिवोदास को पता चली तो उन्हें अपने किए पर शर्मिंदगी महसूस हुई और फिर उन्होंने देवताओं के प्रवेश पर लगे प्रतिबंध को समाप्त कर दिया। तब जाकर इसी दिन सभी देवताओं ने काशी में प्रवेश कर लाखों की संख्या में दीप जला कर देवदीवाली मनाई थी।
Dev Diwali 2021 एक दिव्य त्योहार है। मिट्टी के बने लाखों दीपक गंगा नदी के पवित्र जल पर तैरते है। यह एक अजब ही नजारा दिखाता है।
देव दीपावली के पावन अवसर पर एक समान संख्या के साथ विभिन्न घाटों और आसपास के राजसी आलीशान इमारतों की छतों, सीढ़ियों दरवाजों के दोनों किनारों पर धूप और मंत्रों की पवित्र जप का एक अलग ही नजारा आता है और ये दृश्य ऐसा होता है की जैसे भगवान स्वयं ही असमान से जमीन पर आ गए हो।
गंगा माँ की लहरों की आवाज के साथ पंडित जी के मंत्रों की ध्वनि अलग ही सुनाई देती है। इस अवसर पर एक धार्मिक उत्साह होता है। एक बाहरी व्यक्ति के लिए यह एक अद्भुत स्थल है, लेकिन जो भारतीयों के लिए यह पवित्र गंगा की पूजा करने का समय है।
देवदीवाली कार्तिक (नवंबर-दिसंबर) के हिंदू महीने की पूर्णिमा पर आता है।
देव दीपावली भी शुरू होता है जो कार्तिक महोत्सव, शरद पूर्णिमा के दिन लंबे महीने की परिणति है। कई रवानगी दीपावली समारोह सचमुच देवताओं के लिए फिट का वर्णन किया है। इन समारोह में कई लाख मिट्टी के दीपक घाट की सीढ़ियों पर सूर्यास्त पर जलाया जाता है.
देव दीपावली तीर्थयात्रियों व काशीवासियों द्वारा गंगा के संबंध में दीवाली के पन्द्रहवें दिन को वाराणसी में हर साल मनाया जाता है।
चंद्रमा को पूरा ध्यान में रखते हुए यह कार्तिक पूर्णिमा पर कार्तिक के महीने में आयोजित किया जाता है। हिंदू धर्म में देव दीपावली देवताओं का धरती पर आकर दीपक जला कर भगवान शिव की महिमा में मंत्र पढ़ना एक भव्य इतिहास को सुशोभित करता है। देव दीपावली मनाने का कारण त्रिपुरासुर दानव को भगवान शिव द्वारा मारने पर देव दीपावली को मनाया जाता है। देवदीवाली कार्तिक पूर्णिमा पर देवताओं की विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है.
Dev Deepawali Varanasi 2021: शिव जी ने राक्षस का वध किया, उसके बाद सारे भगवान इस दिन एक साथ फिर से शामिल हुए। देवास उत्साह में अपने आगमन का जश्न मनाया और इस तरह देवदिवाली अस्तित्व में आया था।
त्रिपुरारी पूर्णिमा : श्रीमद् भागवत के 7 वें स्कंध कहानी बताता।
तारक और विधुन्मालि के मदद से तीन तत्व का निर्माण किया जो सोने, चांदी और लोहे की थी। राक्षस ने स्थानों को नष्ट करने, उड़ान भरी। देवास तो राहत के लिए भगवान शिव का दरवाजा खटखटाया। भगवान शिव का निवास कैलाश पर्वत को नष्ट करने के लिए तीन राक्षस को उकसाया। एक नाराज शिव तो तीन तत्व नष्ट कर दिये। इसके बाद वह त्रिपुरारी के रूप में जाना जाने लगा। देवों के देव दिवाली आनन्द के साथ मनाया जाता है।
दीपावली के त्यौहार की बात तो इतनी ही है। लेकिन दीपावली की जो भावना एक जैसी ही है। आदि अहंकार, क्रोध, लोभ, वासना, के आधार सहज ज्ञान और भीतर देवत्व के परिणामस्वरूप अभिव्यक्ति – देवता भगवान की वापसी का जश्न मनाया। हालांकि, हम मनुष्यों हमारे भीतर के राक्षस को समाप्त करने से देव दिवाली मनाते हैं।
काशी में दिवाली का वर्तमान स्वरूप पहले नहीं था, पहले लोग कार्तिक पूर्णिमा को धार्मिक महत्व के कारण घाटों पर स्नान-ध्यान को आते और घरों से लाये दीपक गंगा तट पर रखते व कुछ गंगा की धारा में प्रवाहित करते थे। घाट तटों पर उचे बांस-बल्लियों में टोकरी टांग कर उसमें आकाशदीप जलाते थे। जो देर रात्रि तक जलता रहता था। इसके माध्यम से वह धरती पर देवताओं के आगमन का स्वागत एवं अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि प्रदान करते है.
देव दिवाली का महत्व अपने आप में है लेकिन मैं आपको बता दूँ की स्वामीनारायण संप्रदाय भगवान स्वामीनारायण की मां, भक्ति माता उत्तर प्रदेश, उत्तर भारत में सन् 1798 में आज ही के दिन पैदा हुआ थी। देव दीपावली के दिन पर हिंदू धर्म में अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं भी शामिल हैं:
12वीं सदी में निम्बार्काचार्य, दर्शन के प्रस्तावक और सनक संप्रदाय इस दिन पैदा हुये थे। उन्होंने कहा कि श्री कृष्ण की पूजा करने के क्रम में राधा की तरह एक आदर्श भक्त बन सकते है। मंदिरों में श्री कृष्ण के साथ राधा की मूर्ति संस्कार के लिए पहली बार था।
लगभग 150 साल पहले, सौराष्ट्र के एक गांव में आज ही के दिन पैदा हुए थे। एक जैन, वह परम मुक्ति के लिए एक सत्पुरुष की परम आवश्यकता घोषित कर दिया। भगवान के साथ एक पूर्व जन्म में तुलसी, रुक्मणी का विवाह इस दिन को मनाया जाता है।
देव दीपावली के कार्यक्रम में फूल की माला बिछाने के बाद गणपति वंदना द्वारा शुरू किया जाता है।
देव दीपावली 21 ब्राह्मण और वैदिक मंत्रों और 41 लड़कियों द्वारा प्रस्तुत किया जाता है।
दीप-दान करने के बाद, महा आरती दिन का मुख्य आकर्षण बन जाता है जो दशाशव्मेध घाट पर आयोजित होता है। वाराणसी के महान हस्तियों द्वारा नृत्य प्रदर्शन होता है इस तरह सभी सांस्कृतिक कार्यक्रमों घटना नृत्य और गंगा आरती के तहत आयोजित किया जाता है। इस तरह के अस्सी घाट, सुपार्श्वनाथ घाट, पन्चगंगा घाट, केदार घाट, अहिल्या बाई घाट, मान मंदिर घाट के रूप में लगभग सभी घाटों भीड़ और खुशी से भर जाते हैं। देवी गंगा की एक 12 फुट प्रतिमा इस दिन पर आकर्षण का केंद्र बन जाता है। लोग इस अवसर पर बहुत प्रसन्न होते है और नाव में यात्रा भी करते हैं।
इस महान उदाहरण भक्तों और तीर्थयात्रियों पर कार्तिक स्नान के रूप में जाना गंगा के पवित्र जल में सुबह में पवित्र स्नान करते हैं। वाराणसी में कई घरों में भोजन को बांटा जाता है और रामायण का पाठ भी किया जाता है। एक समारोह के मुताबिक सभी भगवान श्री राम की रामचरितमानस का पाठ भी किया है.
देव दीपावली के पावन अवसर पर, गंगा सेवा निधि व दशाश्वमेध घाट पर अमर जवान ज्योति पर फूल माला नीचे डाल दिया जाता है जिसमें शहीदों को सम्मान देने के क्रम में एक कार्यक्रम सफल होता है। देव दीपावली भक्तों और तीर्थयात्रियों को हर साल लाखों का ध्यान खींचता है। क्योंकि घाटों पर विशाल सभा की, पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था की सुरक्षा के उद्देश्य के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किया जाता है।
देव दिवाली 2021 में 18 नवम्बर 2021
भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध कर दिया था जिसकी खुशी में प्रत्येक वर्ष मनाई जाती है।
देव दिवाली के दिन सुबह जल्दी उठ कर गंगा जी में स्नान करने से पुण्य प्राप्त।
देव दिवाली दीपावली के 15 वें दिन मनाई जाती है।
देव दिवाली “वाराणसी में मनाया जाने वाला त्यौहार है।
Happy Dev Diwali 2021 Quotes in Hindi
देव दिवाली आई खुशियाँ लाई, बच्चे बोला पटाखे जलायेगें, लडका बोला नये कपडे खरीदेगें, लडकी बोली रंगोली सजायेगें आंगन मे, बाबा बोले घरसजायेगें, मम्मी बोली मिठाई बनायेगे, इस घर कि प्यारी खुशियो के साथ, हेप्पी देव दिपावली
Happy Dev Diwali Wishes in Hindi
सोचा किसी आपने से बात करे, आपने किसी खास को याद करे, किया जो फेसला शुभ-कामना देने का, दिल ने कहा क्यो ना आप से शरुआत करे, देव दिवाली 2021 की हार्दिक शुभकामनाएं
Happy Dev Diwali Quotes in Hindi
आपके सारे गम खुशीयो मे तोल दु, अपने सारे राज आपके सामने खोल दु, कोई मुझसे पहले ना बोल दे इसलिए सबसे पहले बोल दु, देव दिवाली 2021 की हार्दिक शुभकामनाएं
Happy Dev Diwali Shayari in Hindi
पल-पल सुनहरे फ़ुल खिले, कभी ना हो काटों का सामना, जिन्दगी आपकी खुशीयो से भरी रहे, दिपावली पर हमारी यही शुभ-कामना। हैप्पी देव दिवाली
Happy Dev Diwali SMS in Hindi
दीप का ऊजाला,पटाखो का रंग, धुप कि खुशबु, प्यार भरी उमंग, मिठाई का स्वाद, आपनो का प्यार, मुबारक हो आपको दिवाली का त्योहार…!!
Happy Dev Diwali Messages in Hindi
आपको आशीर्वाद मिले गणेश से, विध्या मिले सरस्वती से, धन मिले लक्ष्मी से, खुशी मिले रब से, प्यार मिले इस दिल से, यही दुआ हे… दिल से, इस घर कि प्यारी खुशियो के साथ, हैप्पी देव-दीपावली
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