धनतेरस

धनतेरस पर निबंध

धनतेरस पर निबंध आपके लिए उपलब्ध है| धनतेरस पर निबंध अधिकतर स्कूल, कॉलेज समारोह आदि में सुनाया जाता है.

वैसे तो धनतेरस पांच दिनों तक चलने वाले दिवाली महोत्सव के पहले दिन का पर्व है| धनतेरस महोत्सव, भी Dhantrayodashi या धन्वंतरी Trayodashi के रूप में जाना जाता है, कार्तिक (अक्टूबर / नवंबर) के हिंदू महीने में कृष्ण पक्ष के शुभ तेरहवीं चंद्र दिन पर पड़ता है.

शब्द धनतेरस में, “धन” धन के लिए खड़ा है| धनतेरस पर देवी लक्ष्मी की जा रही समृद्धि प्रदान करते हैं और अच्छी तरह से करने के लिए पूजा की जाती है। इसलिए धनतेरस व्यापार समुदाय के लिए एक बहुत अधिक महत्व रखती है.

धनतेरस का त्यौहार सम्पूर्ण भारत में हिन्दू धर्म में मनाया जाता है| मैं आपकी जरूरतों को समझते हुए आपके लिए धनतेरस पर निबंध लेकर आया हूँ.

छोटे बच्चों और बड़े बच्चों की जरूरतों को देखते हुए मैंने धनतेरस पर निबंध आपकी इच्छानुसार 100, 250, 500 शब्दों में लिखे गए हैं.

जरुर पढ़े ⇒ धनतेरस का महत्व, अर्थ, पूजा विधि और मन्त्र

धनतेरस कब है 2020 में

धनतेरस इस वर्ष 13 नवम्बर 2020 को मनाया जाने वाला है। वर्ष 2020 लगभग सभी के लिए बेकार वर्ष ही साबित हो रहा है। कोरोना और मंदी के कारण लोगों में निराशा रही है लेकिन समय रहते ही सब ठीक हो जाएगा। समय सबसे बड़ा मलहम है और आज कोरोना से भारत ने बहुत ही अच्छी तरह लड़ाई लड़ी है और ये लड़ाई आज भी जारी है और हो सके तो धनतेरस पर लोगों के घर धन की वर्षा हो।

धनतेरस पर निबंध हिंदी में 100 शब्दों में

धनतेरस का त्यौहर हिन्दू धर्म के अनुसार कार्तिक मास में मनाया जाता है| ये त्यौहार भारतीय संस्कृति में स्वास्थ्य का स्थान धन से ऊपर माना जाता रहा है|

यह कहावत आज भी प्रचलित है कि ‘पहला सुख निरोगी काया, दूजा सुख घर में माया’ इसलिए दीपावली में सबसे पहले धनतेरस को महत्व दिया जाता है| जो भारतीय संस्कृति के हिसाब से बिल्कुल अनुकूल है.

पुरानी कहानियों के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन भगवान धन्वतरि अपने हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए.

मान्यता है कि भगवान धन्वंतरि विष्णु के अंशावतार हैं| संसार में चिकित्सा विज्ञान के विस्तार और प्रसार के लिए ही भगवान विष्णु ने धन्वंतरि का अवतार लिया था| भगवान धन्वंतरि के प्रकट होने के उपलक्ष्य में ही धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है.

धनतेरस पर निबंध 250 शब्दों में – धनतेरस का महत्व हिंदी में

मुझे ये कहते हुए बहुत ही खुशी होती है की मेरा जन्म भारत जैसे देश में हुआ है और ये बहुत ही स्वभागी की बात है की भारत देश में सबसे ज्यादा त्यौहार मनाए जाते हैं.

भारत में अधिकतर त्यौहार हिन्दू धर्म में मनाए जाते रहे है| भारतीय संस्कृति में धन की जगह सबसे ज्यादा स्वास्थ्य का स्थान होता है.

पुराणो में इस बात का स्पष्ट किया गया है की “पहला सुख निरोगी काया, दूजा सुख घर में माया” इसलिए दीपावली के त्यौहार से पहले धनतेरस का त्यौहार मनाया जाता है.

शास्त्रों आदि की माने तो समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक मास के कृष्ण त्रयोदशी के दिन भगवान धन्वंतरि अपने हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए.

अपने पूर्वजों कि माने तो कहा जाता है कि भगवान धन्वंतरि विष्णु के अंशावतार हैं| संसार में चिकित्सा विज्ञान के विस्तार और प्रसार के लिए ही भगवान विष्णु ने धन्वंतरि का अवतार लिया था.

भगवान धन्वंतरि के प्रकट होने के उपलक्ष्य में ही धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है.

धनतेरस के दिन चाँदी और अन्य धातु को खरीदना शुभ माना जाता है| धनतेरस के दिन कुबेर देवता के लिए घर के पूजा स्थल पर दीप जलाए और मृत्यु के देवता यमराज के लिए घर के मुख्य द्वार पर दीप जलाए.

धनतेरस के दिन काँच आदि नहीं खरीदना चाहिए| हो सके तो इस दिन तांबे और चाँदी की वस्तुएँ खरीदनी चाहिए| धनतेरस पूरे साल में कार्तिक मास में आता है.

दिवाली के दो दिन पहले ही बाजार में इतनी चहल पहल हो जाती है की लगता है की दिवाली का त्यौहार उसी दिन हो|

धनतेरस पर निबंध 500 शब्दों में – Essay on Dhanteras in Hindi

धनतेरस का त्यौहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में त्रयोदशी को मनाया जाता है| हिन्दू धर्म के सभी त्यौहारों में ये भी एक त्यौहार है जिसे बड़ी ही उत्सुकता के साथ मानाया जाता है धनतेरस का त्यौहार दिवाली से दो दिन पहले होता है.

धनतेरस का महत्व हिन्दू धर्म के अनुसार बहुत होता है| पुरानी कहानियों के अनुसार कहा जाता है की समुद्र मंथन से आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे उन्होने सभी देवताओं को अमृतपान कर अमर बना दिया था.

धन्वतरि भगवान के अनुसार व्यक्ति का सबसे बड़ा धन उसकी सेहत है उसका स्वास्थ है यह कहावत आज भी प्रचलित है कि “पहला सुख निरोगी काया, दूजा सुख घर में माया” इसलिए दीपावली में सबसे पहले धनतेरस को महत्व दिया जाता है.

धनतेरस के दिन भगवान धन्वन्तरी की पूजा की जाती है और शाम के समय दीपक जला कर घर, दुकान आदि को सजाते हैं| मदिर गौसालाल, नदी के घाट, कूँआ, बगीचे और तालाब के किनारे दीपक जलाते हैं.

धनतेरस के दिन लोग ताम्बे, पीतल, चांदी के गृह-उपयोगी नये बर्तन व आभूषण खरीदते हैं.

बदलते दौर के साथ लोगों की पसंद और जरूरत भी बदली है| इसलिए धनतेरस के दिन अब बर्तनों और आभूषणों के आलावा वाहन, मोबाइल, वॉशिंग मशीन, कंप्यूटर आदि भी ख़रीदे जाने लगे हैं.

वर्तमान समय में धनतेरस के दिन वाहन खरीदने का सबसे सुभ दिन माना जाने लगा है इस दिन लोग गाड़ी खरीदना शुभ मानते हैं| कई लोग इस दिन कम्पूटर और बिजली के उपकरण भी खरीदते हैं.

लोगों को इस दिन अपनी पसंद की चीजे खरीदना अच्छा लगता है| धनतेरस की एक बहुत ही दिलचस्प कहानी है जिसका वर्णन करना मुझे बहुत ही अच्छा लगेगा.

धनतेरस की शुभकामनाएं

धनतेरस 2020: प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास में आने वाला त्यौहार है। धनतेरस का त्यौहार दिवाली से 1 दिन पहली मनाया जाता है।

धनतेरस की कथा हिंदी में – धनतेरस की कहानी इन हिंदी

एक बार की बात है सभी देवताओं को राजा बली का भय रहता था| उस समय शुक्राचार्य बलि के पक्ष में थे| विष्णु जी देवताओं के इस डर को खत्म करना चाहते थे|

भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया और राजा बलि के यज्ञ स्थल पर पहुंच गए| शुक्राचार्य ने वामन रूप में भी भगवान विष्णु को पहचान लिया और राजा बलि से कहा कि वामन कुछ भी मांगे उन्हें इंकार कर देना| वामन साक्षात भगवान विष्णु हैं जो देवताओं की सहायता के लिए तुमसे सब कुछ छीनने आए हैं.

बलि ने शुक्राचार्य की बातों को नहीं माना | वामन भगवान द्वारा मांगी गई तीन पग भूमि, दान करने के लिए कमंडल से जल लेकर संकल्प लेने लगे|

बलि को दान करने से रोकने के लिए शुक्राचार्य राजा बलि के कमंडल में लघु रूप धारण करके प्रवेश कर गए| इससे कमंडल से जल निकलने का मार्ग बंद हो गया.

वामन भगवान शुक्रचार्य की चाल को समझ गए| भगवान वामन ने अपने हाथ में रखे हुए कुशा को कमण्डल में ऐसे रखा कि शुक्राचार्य की एक आंख फूट गई| शुक्राचार्य छटपटाकर कमण्डल से निकल आए.

इसके बाद बलि ने तीन पग भूमि दान करने का संकल्प ले लिया। तब भगवान वामन ने अपने एक पैर से संपूर्ण पृथ्वी को नाप लिया और दूसरे पग से अंतरिक्ष को| तीसरा पग रखने के लिए कोई स्थान नहीं होने पर बलि ने अपना सिर वामन भगवान के चरणों में रख दिया.

बलि दान में अपना सब कुछ गंवा बैठा|

इस तरह बलि के भय से देवताओं को मुक्ति मिली और बलि ने जो धन-संपत्ति देवताओं से छीन ली थी उससे कई गुना धन-संपत्ति देवताओं को मिल गई| इस उपलक्ष्य में भी धनतेरस का त्यौहार मनाया जाता है.

तो दोस्तों में उम्मीद करता हूँ की आपको मेरा लिखा धनतेरस पर निबंध का लेख बहुत ही अच्छा लगा होगा| अगर आपको धनतेरस का निबंध अच्छा लगा हो तो कृप्या करके अपने मित्रों आदि में शेयर करना न भूलें.

यदि आपको किसी प्रकार की अन्य जानकारी चाहिए तो हमें कमेंट के माध्यम से बता सकते हो हम आपके लिए उस लेख को जल्दी से जल्दी उपलब्ध करेंगे.

धनतेरस के इस लेख को आप ज्यादा से ज्यादा शेयर करें| आप धनतेरस के निबंध को फेसबुक, व्हाट्सएप्प आदि पर शेयर कर सकते हैं.

“धन्यवाद”

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