Essay on Cow in Hindi: आज के दौर में लोगों के पास इतना भी समय नहीं है कि वो अपने ऊपर भी ध्यान दें। उसी तरह कुछ ऐसी चीजें है जिसे हम सभी भूलते जा रहे हैं। आज के समय में कुछ लोग अपने प्राचीन काल की कुछ ऐसी बातें भूलते जा रहे है जिन्हें भूलना नहीं चाहिए।
भारत एक ऐसा देश है जहां प्रत्येक वस्तु का अपना अपना महत्व है। किसी भी चीज को उठा लो उसका एक अपना महत्व है।
आज हम बात कर रहे “गाय” जिन्हे हिन्दू धर्म में अपनी माता का दर्जा दिया गया है। गाय बहुत ही सीधी और सरल माना गया है। कहा जाता है की भगवान श्री कृष्ण जी को गाय बहुत ही प्रिय थी और श्री कृष्ण जी को ग्वाला, गाय चरैया कह कर पुकारा जाता था।
गाय देखने में सुंदर और बेहद ही सीधी होती है। गाय कभी भी किसी को नुकसान नहीं पहुँचाती। गाय से बहुत ही फायदे है प्रत्येक व्यक्ति को गाय जरूर पालनी चाहिए।
गाय पालने के फायदे अनगिनत है। गाय को पालने के पीछे केवल यही नहीं की उनसे हमें फायदे मिलेंगे बल्कि एक नैतिकता का प्रचार प्रसार भी होता है।
गाय का सीधा पन देख कर आपको केवल ममता ही नजर आएगी। गाय इतनी सीधी होती है की अगर कोई उस पर अत्याचार करता भी है तो बिना किसी हिंसा व्यवहार के सब अत्याचार सहन कर लेती है शायद इसी वजह से गाय को माँ कहा जाता है।
गाय का महत्व सम्पूर्ण भारत में है, प्राचीन काल से ही भारत में गाय का पालन चलता आ रहा है। कहा जाता है की गाँव शहर आदि में गाय के दूध को बेचा जा रहा है और अपने घरों में गाय की महत्वता को प्रमुख तौर पर दूध, दही प्रदान करने वाली माना जाता आ रहा है।
गाय से दूध, गोबर, गाय का गोमूत्र, गाय के बच्चे जो की खेती में काम आते है। प्राचीन काल से ही गाय पालना एक दूध का व्यापार भी माना जाता आ रहा है। जिसके पास जितनी भी गाय होती थी वो उतना ही समृद्ध और धनवान होते थे।
गाय एक उपयोगी स्रोत मानी जाती है। अब चाहे दूध, दही, मिष्ठान, गाय का गोबर, गाय का गोमूत्र जोकि दवाइयों में काम आता है। गाय से बीमारों का इलाज किया जाता है, गाय का दूध जोकि बच्चों और बड़ों सभी के लिए गाय का दूध बहुत ही फायदे मंद होता है। गाय के दूध से दही, पनीर, मक्खन, देशी घी, मिठाइयां आदि बनाई जाती है।
गाय का घी पूजा पाठ, खाने और गाय का गोमूत्र आयुर्वेदिक चीजों आयुर्वेदिक औषधियां बनाने के काम में आती है। गाय का गोबर फसलों के लिए उत्तम खाद के तौर पर, घरों में चूल्हे जलाने, ठंड में जला कर हाथ पैर सेकने के काम आते है।
गाय हरी चीजें खाती है और घास फूस खाकर, सर्वोत्तम दर्जे का दूध देती है जिससे अनेकों फायदे हैं। अन्य सभी पशुओं की तुलना में गाय का दूध बहुत ही उपयोगी होता है। बच्चों में विशेष तौर पर गाय का दूध पिलाने की सलाह चिकित्सा हमेशा ही देते है।
गाय का दूध पीने से बच्चों में चंचलता आती है और उनके हड्डियां मजबूत होती हैं। वही भैंस का दूध बच्चों में सुस्ती लाता है और गाय का दूध बच्चों में चंचलता लाता है। कहां जाता है जैसे कि भैंस का बच्चा दूध पीने के बाद सो जाता है और जबकि गाय का बछड़ा अपनी माता का दूध पीने के बाद उछल कूद करता है। गाय के बहुत से उपयोग है गाय से केवल हम सभी को कुछ ना कुछ मिलता ही है।
गाय के चार पैर होते है, गाय का एक मुंह होता है, गाय की दो आँखें होती है, गाय के दो कान होते है, 4 थन, गाय के दो सिंग होते है और दो नथुने होते हैं। गाय के पैर में जो खुर होता है वह जूते का काम करता है। गाय की एक लंबी पूछ होती है और उसमें एक बालों का गुच्छा भी होता है। गाय की एकाद प्रजाति में सिंग नहीं मिलते हैं।
गाय के रंग:
गाय मैं बहुत सारे रंग मिल जाते है। जैन की गाय सफेद होती है। सफेद, काला, लाल, बादामी, भूरा तथा चितकबरी होती है।
गायों की प्रमुख नस्लें:
प्रत्येक जानवर की अपनी-अपनी नस्लें होती है। उसी तरह गाय की भी अपनी नस्लें है।
भारत में मुख्यतः
सहीवाल | पंजाब, हरियाणा, दिल्ली,उत्तरप्रदेश, बिहार |
गिर | दक्षिण काठियावाड़ |
थारपारकर | जोधपुर, जैसलमेर, कच्छ |
करन फ्राई | राजस्थान |
जर्सी गाय | विदेशी गाय |
सभी गाय सामान्य तौर पर सही और अच्छा पौष्टिक मीठा दूध देती है। जर्सी गाय जो कि विदेशी गाय है। इस गाय का शारीरिक संरचना अन्य गाय से बड़ा होता है और यह दूध की मात्रा भी थोड़ा सा ज्यादा ही देती है।
भारत देश में ही गाय को अपनी माता माना जाता है। भारत में गाय को एक देवी के रूप में माना जाता है और एक देवी का दर्जा दिया गया है।
पुरानी कथाओं के अनुसार और हमारे पूर्वजों के आधार पर यह कहा जाता है कि एक गाय के अंदर 33 करोड़ों देवताओं का निवास होता है यही कारण है कि दिवाली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा के अवसर पर गायों की विशेष पूजा की जाती है और उनका मोर पंख आदि से श्रृंगार भी किया जाता है।
गाय शुरू से ही लोगों के आर्थिक समस्या का हल करती रही है। गाय के दूध से गोबर से लोग अपने जीविका को चलाते थे और आज भी चला रहे है। कई जगह जैसे कि गांव में आज भी लोग गाय का दूध घरों में भेजते है और अपनी आजीविका को चलाते है।
प्राचीन काल से ही श्री विष्णु जी जिन्होंने श्री कृष्ण जी का अवतार लिया था वह गाय माता से बहुत ही ज्यादा प्यार करते थे और उनके गांव में हजारों की तादाद में हुआ करती थी शायद इसी वजह से श्री कृष्ण जी को गाय माता का दूध उनसे बना मक्खन अत्यंत प्रिय था।
गाय को शुरू से एक दंपत्ति के तौर पर भी माना गया है जैसे कि राजा महाराजा जब युद्ध करते थे और कही विजय प्राप्त करते थे तो वहां की संपत्ति के साथ-साथ वहां के सारे पशु पक्षी सब अपने कब्जे में कर लेते थे। इसमें गाय माता का सर्वोपरि होता है क्योंकि गाय माता से लाखों फायदे है।
प्राचीन काल में गाय माता का सबसे ज्यादा प्रयोग किया जाता था। उनसे दूध, दही निर्मित अन्य चीजों से अपनी आजीविका को चलाया जाता था लेकिन आज के समय में लोगों के पास अपना-अपना घर चलाने के लिए विभिन्न प्रकार है जिसके चलते लोग अपने निजी जीवन में व्यस्त है और गाय माता की तरफ ध्यान नहीं दे रहे है।
पहले प्रत्येक घर में गाय माता का होना अनिवार्य होता था लेकिन अब बहुत ही कम उम्मीद की जा सकती है कि किसी के घर में गाय माता होती है। वर्तमान समय में गाय माता को सड़कों पर घूमता हुआ देखा गया है और पहले तो घास मिलती थी उन्हें खाने को लेकिन अब प्लास्टिक की बनी चीजें मिलती है जो कि घरों से बाहर फेंकी जाती है। वह उन्हें मिलती है जिसके चलते उनकी मृत्यु हो जाती है और निर्दोष की जान चली जाती है।
कोई मानता नहीं लेकिन सच्चाई यह भी है कि गाय माता भी इंसान की तरह अंदर से रोती है। गाय मां इतनी सीधी होती है कि यदि कोई मारता भी है तो चुपचाप मार खा लेती है और उसका विरोध नहीं करती, शायद इसी वजह से उन्हें माता भी बोला जाता है कि मां तो कभी मारती ही नही।
गाय माता की सुरक्षा में लोगों को कुछ ना कुछ करना चाहिए कोई ऐसा कठोर नियम का संचालन करना चाहिए जिससे कि गाय माता पर अत्याचार ना हो।
गाय हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, हमें अपनी गाय माता की रक्षा करनी चाहिए और अपने अपने घरों के आगे एक पानी का मोदी बनानी चाहिए जिससे कि यदि कोई गाय माता घर के आगे से गुजरे तो उन्हें पानी पीने के लिए मिल जाए। हमारी आस्था और अर्थव्यवस्था गोवंश पर ही निर्भर करती है। कुल मिलाकर गाय का मनुष्य के जीवन में बहुत ही महत्व है।
धन्यवाद
लेखक: SHANU GUPTA
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