आज हम भारत का स्वतंत्रता दिवस का महत्व और इतिहास जानेंगे लेकिन उससे पहले हम ये जानेंगे कि भारतीय स्वतंत्रता दिवस क्यों मनाया जाता है ?
भारत का स्वतंत्रता दिवस 15th अगस्त को मनाया जाता है| ये भारत का राष्ट्रिय त्यौहार है इस दिन हमारा भारत ब्रिटिश शासन से आजाद हुआ था.
सन् 1947 को हमारा भारत आजाद हुआ था|
भारत कि आजादी कि ख़ुशी में 15 अगस्त को सरकार, सरकारी अवकाश देती है| 15 अगस्त 1947 के दिन भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु जी ने दिल्ली में लाल किले केलाहौरी गेट के ऊपर, भारतीय राष्ट्रीय ध्वजफहराया था| जिसकी शुरुआत नेहरु जी ने ही कि थी.
जिसके चलते प्रत्येक वर्ष भारत के प्रधानमंत्री लाल किले पर झन्डा फहराते है| भारत कि आजादी के दिन को लोग भारत का स्वतंत्रता दिवस के रुप में मनाते है| भारतीय स्वतंत्रता दिवस का भारत के लिए बहुत बड़ा महत्व है.
भारत का स्वतंत्रता दिवस की कहानी बहुत बड़ी है न जाने कितने लोगों ने इस दिन के लिए भारतीय स्वतंत्रता दिवस के लिए अपनी जान दी, शहीद हुए और हमें आज एक स्वतंत्र देश प्रदान किया| खुद तो मौत को गले लगाया और हमें एक आजाद देश, अनमोल तोहफे के रूप में दिया है.
आज भी उन शहीदों कि याद में आँखों से आंसू आ जाते है जिन्होंने भारत कि आजादी के लिए अपनी जान दी थी| महात्मा गाँधी जी के नेतृत्व में जब भारतीय स्वतंत्रता युद्ध में लोगों ने बड़ी जिद्दो जहद के साथ बिना किसी हिंसक क्रिया के सविनय अवज्ञा आन्दोलन में भाग लिया.
आजादी के बाद ब्रिटिश भारत को धर्म के आधार पर विभाजित कर दिया गया और भारत और पाकिस्तान का जन्म हुआ| दोनों देशों में धर्म को लेकर साम्प्रदायिक दंगे हुए.
इतनी बड़ी तबाही के बाद जो भारत कि संख्या थी करीब 1.45 करोड़ और सन् 1951 कि विस्थापित जनगणना के अनुसार विभाजन के एकदम बाद 72,26,000 मुसलमान ने भारत छोड़ा और 72,49,000 हिन्दू और सिख पाकिस्तान छोड़कर भारत आए थे.
स्वतंत्रता दिवस को झंडा फहराने के साथ साथ संस्कृति आयोजन भी होते है| भारतीय लोग स्वतंत्रता दिवस पर अपने घरों और वाहनों आदि पर राष्ट्रिय ध्वज लगा कर देश प्रेम का उत्सव मनाते है.
परिवार दोस्तों आदि के साथ छतों पर चढ़ कर पतंग उड़ाते है देश भक्ति फिल्में देखते है छतों पर देशभक्ति गीत चलाते है.
जरूर पढ़ें » महात्मा गांधी का जीवन परिचय – (02 अक्टूबर 1869 – 30 जनवरी 1948)
भारत की आजादी कि कहानी या फिर भारत की स्वतंत्रता का इतिहास तो बात उन दिनों कि है जब यूरोपीय व्यापारियों ने 17वीं सदी से ही भारतीय उपमहाद्वीप में पैर जमाना आरम्भ कर दिया था.
अपनी सैन्य शक्ति में बढ़ोतरी करते हुए इष्ट इण्डिया कंपनी ने 18वीं सदी के अन्त तक स्थानीय राज्यों को अपने वशीभूत अपने हाथों के नीचे करके अपने आप को जग जाहिर और स्थापितकर लिया था.
सन् 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता दिवस कि लड़ाई के बाद भारत सरकार अधिनियम एक्ट 1858 के अनुसार भारत पर सीधा आधिपत्य ब्रिटानी ताज (ब्रिटिश क्राउन) अर्थात ब्रिटेन की राजशाही का हो गया.
दशकों बाद नागरिक समाज ने धीरे-धीरे अपना विकास किया और इसके परिणामस्वरूप सन् 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (I.N.C.) निर्माण हुआ.
प्रथम विश्वयुद्ध (1st world war) के बाद का समय ब्रिटानी सुधारों के काल के रूप में प्रसिद्ध है जिसमें मोंटेगू-चेम्सफोर्ड सुधारगिना जाता है| लेकिन इसे भीरोलेट एक्ट की तरह दबाने वाले अधिनियम के रूप में देखा जाता है जिसके कारण स्वरुप भारतीय समाज सुधारकों द्वारा स्वशासन का आवाहन किया गया.
इसके परिणामस्वरूप महात्मा गांधी के नेतृत्व में असहयोग और सविनय अवज्ञा आंदोलनों तथा राष्ट्रव्यापी अहिंसक आंदोलनों की शुरूआत हो गयी.
सन् 1930 के दौरान ब्रिटानी कानूनों में धीरे-धीरे सुधार जारी रहे; परिणामी चुनावों में कांग्रेस ने जीत दर्ज की|
अगला दशक काफी राजनीतिक उथल पुथल वाला रहा|
द्वितीय विश्व युद्ध में भारत की सहभागिता कांग्रेस द्वारा असहयोग का अन्तिम फैसला और अखिल भारतीय मुस्लिम लीग द्वारा मुस्लिम राष्ट्रवाद
कि शुरुआत हुई.
सन् 1947 में स्वतंत्रता के समय तक राजनीतिक तनाव बढ़ता गया। इस उपमहाद्वीप के आनन्दोत्सव का अंत भारत और पाकिस्तान के विभाजन के रूप में हुआ.
ये बात उस समय में बहुत ही कम लोगों को पता है कि भारत आजाद होने से पहले भी एक बार आजाद हो चूका था मगर कुछ लोगों के चलते हमारी आजादी को कुछ समय के लिए फिर से रोक दिया गया था.
ये बात उन दिनों की है जब सन् 1929 लाहौर सत्र में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज (पुरा भारत आजाद) घोषणा की और 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस के रूप में घोषित किया गया.
कांग्रेस ने भारत के लोगों से कहा कि सविनय अवज्ञा करने के लिए स्वयं प्रतिज्ञा करने व पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्ति तक समय-समय पर जारी किए गए कांग्रेस के निर्देशों, कांग्रेस के आदेशों का पालन करने के लिए कहा.
उस समय स्वतंत्रता दिवस समारोह का आयोजन भारतीय नागरिकों के बीच राष्ट्रवादी ईधन झोंकने के लिये किया गया व स्वतंत्रता देने पर विचार करने के लिए ब्रिटिश सरकार को मजबूर करने के लिए भी किया गया.
कांग्रेस ने सन् 1930 और सन् 1956 के बीच 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया गया|
इसमें कुछ लोग मिलकर स्वतंत्रता की शपथ लेते थे। वे लोग भारत को आजाद करने के लिए मरने मारने के लिए तैयार रहते थे| पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपनी आत्मकथा में इनका भी वर्णन किया है कि ऐसी बैठकें किसी भी भाषण या उपदेश के बिना, शांतिपूर्ण व गंभीर होती थीं.
महात्मा गांधी जी ने कहा कि बैठकों के अलावा, इस दिन को, कुछ रचनात्मक काम करने में खर्च किया जाये जैसे कि कताई काटना या हिंदुओं और मुसलमानों का पुनर्मिलन या निषेध काम, या अछूतों की सेवा करना.
15 अगस्त सन् 1947 में आजादी के बाद भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को प्रभाव में आया; तब के बाद से 26 जनवरी को गणतन्त्र दिवस के रूप में मनाया जाता है.
ये बात उन दिनों की है जब भारत में सन् 1946 में, ब्रिटेन कीलेबर पार्टी (सरकार) का राजकोष, हाल ही में समाप्त हुए द्वितीय विश्व युद्ध के बाद बुराहाल हो गया था| तभी ब्रिटिश को एहसास हुआ कि न तो उनके पास घर पर जनादेश था और न ही अंतर्राष्ट्रीय समर्थन जिसके कारण वे तेजी से बेचैन होते भारत को नियंत्रित करने के लिए देसी बलों की विश्वसनीयता भी खोते जा रहे थे.
फ़रवरी 1947 में प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली ने ये घोषणा की कि ब्रिटिश सरकार जून 1948 से ब्रिटिश भारत को पूर्ण आत्म-प्रशासन का अधिकार प्रदान करेगी.
अंतिम वायसरायलॉर्ड माउंटबेटन ने राजपाठ को वापस भारत को देने की तारीख को आगे बढ़ा दिया क्योंकि उन्हें लगा कि, कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच लगातार विवाद के कारण अंतरिम सरकार का पतन हो सकता है.
ब्रिटिश सरकार ने सत्ता हस्तांतरण की तिथि के रूप में, द्वितीय विश्व युद्ध, में जापान के आत्मसमर्पण की दूसरी सालगिरह 15 अगस्त को चुना।
ब्रिटिश सरकार ने ब्रिटिश भारत को दो राज्यों में विभाजित करने के विचार को 3 जून 1947 को स्वीकार कर लिया व ये भी घोषित किया कि उत्तराधिकारी सरकारों को स्वतंत्र प्रभुत्व दिया जाएगा और ब्रिटिश राष्ट्रमंडल से अलग होने का पूर्ण अधिकार होगा.
यूनाइटेड किंगडम (U.K.) की संसद के भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 (10 और 11 जियो 6 सी. 30) के अनुसार 15 अगस्त 1947 से प्रभावी (अब बांग्लादेश सहित) ब्रिटिश भारत को “भारत और पाकिस्तान” नामक दो नए स्वतंत्र उपनिवेशों में विभाजित किया और नए देशों के संबंधित घटक असेंबलियों को पूरा संवैधानिक अधिकार दे दिया.
18 जुलाई 1947 को इस अधिनियम को शाही स्वीकृति प्रदान कर दी गयी।
दुनिया का सबसे बड़ा बंटवारा था भारत और पाकिस्तान का बंटवारा|
भारत और पाकिस्तान के बंटवारे में लाखों मुस्लिम, सिख और हिन्दू शरणार्थियों ने स्वतंत्रता के बाद तैयार नई सीमाओं को पैदल पार कर सफर
तय किया था.
पंजाब में जहाँ सीमाओं ने सिख क्षेत्रों को दो हिस्सों में विभाजित किया, वहां बड़े पैमाने पर खून की नदियाँ बही, बंगाल और बिहार में भी हिंसा भड़क गयी पर महात्मा गांधी के होने के कारण सांप्रदायिक हिंसा हुई.
नई सीमाओं के दोनों और 2 लाख 50 हज़ार से 10 लाख लोग हिंसा में मारे गए| पूरा देश स्वतंत्रता दिवस मना रहा था, वहीं, गांधी जी खून खच्चर को रोकने की कोशिश में कलकत्ता में रुक गए पर 14 अगस्त 1947 को पाकिस्तान का स्वतंत्रता दिवस घोषित हुआ और पाकिस्तान नामक नया देश अस्तित्व में आया; मुहम्मद अली जिन्ना ने कराची में पहले गवर्नर जनरल के रूप में शपथ ली.
भारत की संविधान सभा ने नई दिल्ली में संविधान हॉल में 14 अगस्त को 11 बजे अपने पांचवें सत्र की बैठक की। सत्र की अध्यक्षता राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने की। उस समय जवाहर लाल नेहरू ने भारत की आजादी की घोषणा करते हुए ट्रिस्ट विद डेस्टिनी नामक भाषण दिया.
सभा के सदस्यों ने औपचारिक रूप से देश की सेवा करने की शपथ ली। महिलाओं के एक समूह ने भारत की महिलाओं का प्रतिनिधित्व किया व औपचारिक रूप से विधानसभा को राष्ट्रीय ध्वज भेंट किया.
अधिक समारोह नई दिल्ली में हुए जिसके बाद भारत एक स्वतंत्र देश बन गया| नेहरू जी ने पहले प्रधानमंत्री के रूप में पद ग्रहण किया और वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने पहले गवर्नर जनरल के रूप में अपना पदभार संभाला.
महात्मा गांधी के नाम के साथ लोगों ने इस अवसर को मनाया। गांधी ने हालांकि खुद आधिकारिक घटनाओं में कोई हिस्सा नहीं लिया। इसके बजाय उन्होंने हिंदू और मुसलमानों के बीच शांति को प्रोत्साहित करने के लिए कलकत्ता में एक भीड़ से बात की, उस दौरान महात्मा गाँधी 24 घंटे उपवास पर रहे.
15 अगस्त 1947 को सुबह 11:00 बजे संघटक सभा ने भारत की स्वतंत्रता का समारोह आरंभ किया जिसमें अधिकारों का हस्तांतरण किया गया। जैसे ही मध्यरात्रि की घड़ी आई भारत ने अपनी स्वतंत्रता हासिल की और एक स्वतंत्र राष्ट्र बन गया.
स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने इस दिन ट्रिस्ट विद डेस्टिनी (नियति से वादा) नामक अपना प्रसिद्ध भाषण दिया|
कई सालों पहले, हमने नियति से एक वादा किया था, और अब समय आ गया है कि हम अपना वादा निभायें, पूरी तरह न सही पर बहुत हद तक तो निभायें। आधी रात के समय, जब दुनिया सो रही होगी, भारत जीवन और स्वतंत्रता के लिए जाग जाएगा। ऐसा क्षण आता है, मगर इतिहास में विरले ही आता है, जब हम पुराने से बाहर निकल नए युग में कदम रखते हैं, जब एक युग समाप्त हो जाता है, जब एक देश की लम्बे समय से दबी हुई आत्मा मुक्त होती है। यह संयोग ही है कि इस पवित्र अवसर पर हम भारत और उसके लोगों की सेवा करने के लिए तथा सबसे बढ़कर मानवता की सेवा करने के लिए समर्पित होने की प्रतिज्ञा कर रहे हैं।...आज हम दुर्भाग्य के एक युग को समाप्त कर रहे हैं और भारत पुनः स्वयं को खोज पा रहा है। आज हम जिस उपलब्धि का उत्सव मना रहे हैं, वो केवल एक क़दम है, नए अवसरों के खुलने का। इससे भी बड़ी विजय और उपलब्धियां हमारी प्रतीक्षा कर रही हैं।भारत की सेवा का अर्थ है लाखों-करोड़ों पीड़ितों की सेवा करना। इसका अर्थ है निर्धनता, अज्ञानता, और अवसर की असमानता मिटाना। हमारी पीढ़ी के सबसे महान व्यक्ति की यही इच्छा है कि हर आँख से आंसू मिटे। संभवतः ये हमारे लिए संभव न हो पर जब तक लोगों कि आंखों में आंसू हैं, तब तक हमारा कार्य समाप्त नहीं होगा।आज एक बार फिर वर्षों के संघर्ष के बाद, भारत जागृत और स्वतंत्र है। भविष्य हमें बुला रहा है। हमें कहाँ जाना चाहिए और हमें क्या करना चाहिए, जिससे हम आम आदमी, किसानों और श्रमिकों के लिए स्वतंत्रता और अवसर ला सकें, हम निर्धनता मिटा, एक समृद्ध, लोकतान्त्रिक और प्रगतिशील देश बना सकें। हम ऐसी सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक संस्थाओं को बना सकें जो प्रत्येक स्त्री-पुरुष के लिए जीवन की परिपूर्णता और न्याय सुनिश्चित कर सके?कोई भी देश तब तक महान नहीं बन सकता जब तक उसके लोगों की सोच या कर्म संकीर्ण हैं। - ट्रिस्ट विद डेस्टिनी भाषण, जवाहरलाल नेहरू
इस भाषण को 20वीं सदी के महानतम भाषणों में से एक माना जाता है।
जी हाँ वैसे तो स्वतंत्रता दिवस भारत का राष्ट्रिय त्यौहार है और इसे पुरे भारत द्वारा बनाया जाता है वहीँ स्वतंत्रता दिवस को अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी बनाया जाता है जो प्रवासी भारतीयों विशेषकर भारतीय आप्रवासियों (जो लोग भारतीय हैं लेकिन भारत में नहीं हैं) के क्षेत्रों में परेड और प्रतियोगिताओं के साथ दुनिया भर में स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है|
न्युयोर्क और अन्य अमेरिकी शहरों में कुछ स्थानों में 15 अगस्त प्रवासी और स्थानीय आबादी के बीच में भारत दिवस बन गया है। यहां लोग 15 अगस्त के आस पास या सप्ताह के अंतिम दिन पर भारत दिवस मनाते हैं व प्रतियोगिताएँ रखते हैं.
भारत का स्वतंत्रता दिवस को देश भर मनाता है |भारत देश का ये त्यौहार सब त्यौहार से अलग है इस दिन भारत आजाद हुआ था बड़ी बात तो ये है की अगर भारत आजाद ही न हुआ होता तो आज हमारा कोई भी त्यौहार बिना आजादी के साथ होता और शायद हमें किसी भी त्यौहार को मनाने की अनुमति न होती.
देश के राष्ट्रपति स्वतंत्रता दिवस की पूर्वसंध्या पर “राष्ट्र के नाम संबोधन” देते हैं। इसके बाद अगले दिन दिल्ली में लाल किले पर तिरंगा (झंडा) फहराया जाता है। जिसे 21 तोपों की सलामी दी जाती है। इसके बाद प्रधानमंत्री देश को संबोधित करते हैं.
आयोजन के बाद स्कूली छात्र छात्रा तथा राष्ट्रीय कैडेट कोर के सदस्य राष्ट्र गान गाते हैं। लाल किले में आयोजित देशभक्ति से भरे इस रंगारंग कार्यक्रम को देश के सार्वजनिक प्रसारण सेवा दूरदर्शन (चैनल), द्वारा देशभर में सजीव (लाइव) प्रसारित किया जाता है.
स्वतंत्रता दिवस की संध्या पर राष्ट्रीय राजधानी तथा सभी शासकीय भवनों को रंग बिरंगी विद्युत सज्जा से सजाया जाता है, जो शाम का सबसे आकर्षक आयोजन होता है.
इस दिन बच्चे बड़े सब घरों में पतंग उडाने में लगे रहते हैं और अच्छे अच्छे पकवान बना कर खुशियाँ मनाते हैं.
वैसे तो स्वतंत्रता दिवस पुरे भारत का त्यौहार है मगर इसे राज्य और स्थानीय स्तर पर अपने अपने तरीकों से बनाया जाता है जैसे की देश के सभी राज्यों की राजधानी में इस अवसर पर विशेष झंडावंदन कार्यक्रम आयोजित किया जाता है, तथा राज्य के सुरक्षाबल राष्ट्रध्वज को सलामी देते हैं.
पहर एक राज्य में वहाँ के अपने मुख्यमंत्री ध्वजारोहण करते हैं। स्थानीय प्रशासन, जिला प्रशासन, नगरीय निकायों, पंचायतों में भी इसी प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। शासकीय भवनों को आकर्षक पुष्पों से तिरंगे की तरह सजाया जाता है। छोटे पैमाने पर शैक्षिक संस्थानों में, आवासीय संघों में, सांस्कृतिक केन्द्रों तथा राजनैतिक सभाओं का आयोजन किया जाता है.
हर राज्य की एक लोकप्रियता है उनकी स्वतंत्रता की भावना का प्रतीक है उन्हें रंगबिरंगी पतंगे उड़ाना (अधिकतर दिल्ली वगुजरातमें) पसंद है। आसमान में हजारों रंग बिरंगी पतंगें देखी जा सकती हैं, ये चमकदार पतंगें हर भारतीय के घर की छतों और मैदानों में देखी जा सकती हैं और ये पतंगें इस अवसर के आयोजन का अपना विशेष तरीका है.
आजादी के बाद कुछ लोग नहीं बहुत से लोग इस आजादी के खिलाफ थे, आजादी के तीन साल बाद ही, नागा नेशनल काउंसिल (NNC) ने उत्तर पूर्व भारत में स्वतंत्रता दिवस के बहिष्कार का आह्वान किया.
इस क्षेत्र में अलगाववादी विरोध प्रदर्शन 1980 के दशक में तेज हो गए और उल्फा बोडोलैंड के नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ़ बोडोलैंड की ओर से आतंकवादी हमलों व बहिष्कारों की ख़बरें आती रहीं.
1980 के दशक से जम्मू-कश्मीर में उग्रवाद में वृद्धि के साथ, अलगाववादी प्रदर्शनकारियों ने बंद करके, काले झंडे दिखाकर और ध्वज जलाकर वहां स्वतंत्रता दिवस का बहिष्कार किया.
इसी के साथ लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिदीन और जैश-ए-मोहम्म्द जैसे आतंकवादी संगठनों द्वारा धमकियाँ भी जारी की गयीं और स्वतंत्रता दिवस के आसपास हमले भी किए गए हैं.
स्वतंत्रता दिवस के उत्सव के बहिष्कार की विद्रोही माओवादी संगठनों द्वारा वकालत की गई। विशेष रूप से आतंकवादियों की ओर से आतंकवादी हमलों की आशंका में सुरक्षा उपायों को, विशेषकर दिल्ली, मुंबई व जम्मू-कश्मीर के संकट ग्रस्त राज्यों के प्रमुख शहरों में, खड़ा कर दिया जाता है.
हवाई हमलों से बचने के लिए लाल किले के आसपास के इलाके कोनो फ्लाई ज़ोन (उड़न निषेध क्षेत्र) घोषित किया जाता है और अतिरिक्त पुलिस बलों को अन्यशहरों में भी तैनात किया जाता है.
इन सबके चलते आज भी भारत स्वतंत्रता दिवस के दिन अपनी सुरक्षा को लेकर लापरवाह नहीं होती है और हर जगह चप्पे चप्पे पर पुलिस तैनात रहती है.
बॉर्डर पर सैनिक तैनात रहती है किसी भी प्रकार की कोई लापरवाही नहीं होती है, भारत में स्वतंत्रता दिवस के दिन अगर किसी पर शक संदेह होता है तो उसकी तैकिकात होती है.
स्वतंत्रता दिवस के कुछ दिन पहले ही पुलिस और सैनिक अपने अपने काम पर लग जाते है और भारत की रक्षा करते है.
भारत के इतिहास में महत्व रखने वाला दिन है भारत की आजादी| भारत के इतिहास में ये बात लिखी हुई है की भारत कैसे आजाद हुआ और क्या क्या संघर्ष हुए थे.
जब यूरोपीय व्यापारियों ने 17वीं सदी से ही भारतीय उपमहाद्वीप आगमन शुरू किया और अपनी सैन्य शक्ति में बढ़ोतरी करते हुए इष्ट इण्डिया कंपनी ने 18वीं सदी के अन्त तक सभी राज्यों को अपने वशीभूत अपने आपको स्थापितकर लिया था.
सन् 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता कि लड़ाई के बाद भारत सरकार के अधिनियम एक्ट 1858 के अनुसार भारत पर सीधा आधिपत्य ब्रिटानी ताज (ब्रिटिश क्राउन) अर्थात ब्रिटेन की राजशाही का हो गया था.
सन् 1885 में भारतीय कांग्रेस का निर्माण हुआ|
प्रथम विश्वयुद्ध (1st world war) के बाद ब्रिटानीयों में सुधार हुआ जिसमें मोंटेगू-चेम्सफोर्ड सुधार गिना जाता है| इसके परिणामस्वरूप महात्मा गांधी के नेतृत्व में असहयोग और सविनय अवज्ञा आंदोलनों तथा राष्ट्रव्यापी अहिंसक आंदोलनों की शुरूआत हो गयी.
सन् 1930 के समय ब्रिटानी कानूनों में धीरे-धीरे सुधार जारी रहे; परिणामी चुनावों में कांग्रेस ने जीत दर्ज की|
द्वितीय विश्व (second world war) युद्ध में भारत की सहभागिता कांग्रेस द्वारा असहयोग का अन्तिम फैसला और अखिल भारतीय मुस्लिम लीग द्वारा मुस्लिम राष्ट्रवाद कि शुरुआत हुई.
स्वतंत्रता के समय तक राजनीतिक तनाव पहले से ज्यादा बढ़ता गया। जिसके फलस्वरूप सन् 1947 में इस उपमहाद्वीप के आनन्दोत्सव का अंत भारत और पाकिस्तान के विभाजन के रूप में हुआ.
भारत की पहली बार आजादी
भारत जब सन् 1929 लाहौर सत्र में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज (पुरा भारत आजाद) घोषणा कर दी थी और 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस के रूप में घोषित किया गया.
कांग्रेस ने भारत के लोगों से कहा कि सविनय अवज्ञा करने के लिए स्वयं प्रतिज्ञा करने व पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्ति तक समय-समय पर जारी किए गए कांग्रेस के निर्देशों, कांग्रेस के आदेशों का पालन करना होगा.
उस समय स्वतंत्रता दिवस समारोह का आयोजन भारतीय नागरिकों के बीच राष्ट्रवादी ईधन झोंकने के लिये किया गया व स्वतंत्रता देने पर विचार करने के लिए ब्रिटिश सरकार को मजबूर करने के लिए भी किया गया.
उस समय लोग मरने मारने को तैयार रहते थे| प० जहर लाल नेहरु जी की किताब में इस दौर का वर्णन है|
महात्मा गांधी जी ने कहा कि बैठकों के अलावा, इस दिन को, कुछ रचनात्मक काम करने में खर्च किया जाये जैसे कि कताई काटना या हिंदुओं और मुसलमानों का पुनर्मिलन या निषेध काम, या अछूतों की सेवा करना.
15 अगस्त सन् 1947 में आजादी के बाद भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को प्रभाव में आया; तब के बाद से 26 जनवरी को गणतन्त्र दिवस के रूप में मनाया जाता है.
भारत की आजादी पर कुछ दोहे है जो आपको अच्छे लगेंगे|
“जय हिन्द जय भारत”
भारत की संस्कृति, भारत अपनी संस्कृति के लिए पूरी पृथ्वी पर विख्यात है ये किसी को भी बताने की जरुरत नहीं है की स्वतंत्र भारत की अपनी संस्कृति सबसे अलग है और भारत सबसे महान देश है.
स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर पुरे भारत में हिंदी देशभक्ति के गीत और क्षेत्रीय भाषाओं में टेलीविजन और रेडियो चैनलों पर प्रसारित किए जाते हैं.
देशभक्ति गीतों को झंडा फहराने के समारोह के साथ भी बजाया जाता है। देशभक्ति की फिल्मों का प्रसारण भी होता है.
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार ऐसी फिल्मों के प्रसारण की संख्या में कमी आई है। नयी पीढ़ी के लिए तीन रंगो में रंगे डिज़ाइनर कपड़े भी इस दौरान दिखाई दे जाते हैं। उन्हें अपने अंदाज में स्वतंत्रता दिवस मनाने में खूब ख़ुशी मिलती है.
कई जगह तो खुदरा स्टोर स्वतंत्रता दिवस पर बिक्री के लिए छूट प्रदान करते हैं। कुछ समाचार चैनलों ने इस दिवस के व्यवसायी करण की निंदा की है.
भारतीय डाक सेवा 15 अगस्त को स्वतंत्रता आंदोलन के नेताओं, राष्ट्रवादी विषयों और रक्षा से संबंधित विषयों पर डाक टिकट प्रकाशित करता है इंटरनेट पर, 2003 के बाद गूगल अपने भारतीय होमपेज पर एक विशेष गूगल डूडल के साथ स्वतंत्रता दिवस मनाता है.
भारत का सबसे ज्यादा मनाये जाने वाला त्यौहार है स्वतंत्रता दिवस जिस दिन बिना किसी भेद भाव के स्वतंत्रता दिवस का आनंद लिया जाता है.
जिन सैनिकों ने अपनी जान गवा कर आज हम भृत्यों को आजादी दी है और महात्मा गाँधी जी की वजह से आज हम पूरी तरह स्वतंत्र है उनकी याद में हमें कुछ समय मौन व्रत भी रखना चाहिए.
देशभक्तों की क़ुरबानी की कद्र करनी चाहिए उनकी दी आहुति को शत बार नमन करना चाहिए.
मेरी आपसे गुजारिस है की भारत की आजादी की कीमत को समझो, अपने भारत की स्वतंत्रता दिवस के लिए दी गयी आहुतियों की कद्र करों, भारत का स्वतंत्रता दिवस कितना बड़ा महत्व रखता है हमारे लिए ये तो आप जानते ही है तो अपने आप को कमजोर न पड़ने दो आज भी आपके अन्दर जोश होना चाहिए कुछ कर दिखाने का और यदि आपको ये लेख पसन् आया हो तो अपने मित्रों आदि के साथ फेसबुक, व्हाट्सएप्प, गूगल+, ट्विटर पर शेयर करना न भूलें.
और “हमारा भारत महान था, महान है और महान रहेगा”.
– लेखक “Shanu Gupta”
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nice article