आप सभी को होली की हार्दिक शुभकामनाएं। आज के इस लेख में मैं आपको होली की मशहूर कविताएं, होली पर कविता शेयर करने जा रहा हूँ।
होली की कविताएँ बच्चे अपने विद्यालय कॉलेज आदि में प्रयोग कर सकते हैं। आज हम आपके साथ ऐसी होली की कविताएँ शेयर करेंगे जो की आपके दिलों को छू जाएगी।
आपको पता है कि किसी ठंड के अंतिम दिनों में जब लोग होली का त्यौहार मनाने के लिए उत्सुक हो जाते हैं। होली का त्यौहार होता ही ऐसा है की कोई भी खुशी के साथ मनाता है। इसमें किसी भी प्रकार का भेदभाव भुलाकर आपसी मतभेद मिटा देते है।
होली का त्यौहार खुशियों का त्यौहार है इसे मनाने के लिए पूरे एक वर्ष का इंतजार किया जाता है। होली के दिन लोग एक दूसरे को बधाइयाँ देने के लिए मिठाइयां, गुझिया आदि बाँटते है। लोगों को रंग बिरंगे रंगों से खेलने में मजा आता है। कई जगह लोगों को कविताओं से एक दूसरे में खुशियाँ बांटना पसंद आता है।
होली पर कविता में वो रस होता है जो की होली में खुशियों की छाप छोड़ता है। बच्चों को होली का त्यौहार बहुत पसंद होता है, बच्चे सुबह ही होली खेलने में लग जाते है, अपनी बाल्टियाँ भरने में अपने पानी के गुब्बारे भरने में इत्यादि।
तो चलिए, होली कविता के इस लेख को पढ़ना शुरू करते है और होली का आनंद लेते हैं।
नोट: बच्चों और बड़ों के लिए मैंने Holi Essay in Hindi For Class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 के लिए लिखा है, जिसको आप यहाँ पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं।
रंगों का त्योहार है होली खुशियों की बौछार है होली लाल गुलाबी पीले देखो रंग सभी रंगीले देखों पिचकारी भर-भर ले आते इक दूजे पर सभी चलाते होली पर अब ऐसा हाल हर चेहरे पर आज गुलाल आओ यारो इसी बहाने दुश्मन को भी चलो मनाने -गुलशन मदान
2. Holi Poetry Hindi
देखो-देखो होली है आई चुन्नू-मुन्नू के चेहरे पर खुशियां हैं आई मौसम ने ली है अंगड़ाई। शीत ऋतु की हो रही है बिदाई ग्रीष्म ऋतु की आहट है आई सूरज की किरणों ने उष्णता है दिखलाई देखो-देखो होली है आई। बच्चों ने होली की योजना खूब है बनाई रंगबिरंगी पिचकारियां बाबा से है मंगवाई रंगों और गुलाल की सूची है रखवाई जिसकी काका ने अनुमति है नहीं दिलवाई। दादाजी ने प्राकृतिक रंगों की बात है समझाई जिस पर सभी बच्चों ने सहमति है जतलाई बच्चों ने खूब मिठाइयां खाकर शहर में खूब धूम है मचाई देखो-देखो होली है आई। होली ने भक्त प्रहलाद की स्मृति है करवाई बच्चों और बड़ों ने कचरे और अवगुणों की होली है जलाई होली ने कर दी है अनबन की सफाई जिसने दी है प्रेम की जड़ों को गहराई। बच्चों! अब है परीक्षा की घड़ी आई तल्लीनता से करो पढ़ाई वरना सहनी पड़ेगी पिटाई अथक परिश्रम, पुनरावृत्ति देगी सफलता अपार जन-जन की मिलेगी बधाई होगा प्रतीत ऐसा होली-सी खुशियां हैं फिर लौट आई देखो-देखो होली है आई। श्रीमती ममता असाटी साभार - देवपुत्र
नोमू का मुंह पुता लाल से सोमू की पीली गुलाल से कुर्ता भीगा राम रतन का, रम्मी के हैं गीले बाल। मुट्ठी में है लाल गुलाल।। चुनियां को मुनियां ने पकड़ा नीला रंग गालों पर चुपड़ा इतना रगड़ा जोर-जोर से, फूल गए हैं दोनों गाल। मुट्ठी में है लाल गुलाल।। लल्लू पीला रंग ले आया कल्लू ने भी हरा रंग उड़ाया रंग लगाया एक-दूजे को, लड़े-भिड़े थे परकी साल। मुट्ठी में है लाल गुलाल।। कुछ के हाथों में पिचकारी गुब्बारों की मारा-मारी। रंग-बिरंगे सबके कपड़े, रंग-रंगीले सबके भाल। मुट्ठी में है लाल गुलाल।। इन्द्रधनुष धरती पर उतरा रंगा, रंग से कतरा-कतरा नाच रहे हैं सब मस्ती में, बहुत मजा आया इस साल। मुट्ठी में है लाल गुलाल।।
4. सत्यनारायण सत्य
पिचकारी रे पिचकारी रे कितनी प्यारी पिचकारी। छुपकर रहती रोजाना, होली पर आ जाती है, रंग-बिरंगे रंगों को इक-दूजे पर बरसाती है। कोई हल्की, कोई भारी, कितनी प्यारी पिचकारी। होता रूप अजब अनूठा, कोई पतली, कोई छोटी, दुबली दिखती, गोल-मटोल, कोई रहती मोटी-मोटी। देखो सुन्दर लगती सारी, कितनी प्यारी पिचकारी। होली का त्योहार तो भैया, इसके बिना रहे अधूरा, नहीं छोड़े दूजों पर जब तक, मजा नहीं आता है पूरा। करती रंगों की तैयारी कितनी प्यारी पिचकारी। - सुमित शर्मा
होली के त्यौहार को मनाने के लिए अनेकों विधियां हैं। होली का त्यौहार केवल रंगों से ही नहीं मनाया जाता उसे अपने तरीके से किसी भी तरह मनाया जा सकता है जैसे कि होली की कविताएं, होली पर निबंध, होली के भाषण, होली पर शायरी आदि जोकि आपस में लोगों द्वारा साझा किया जाता है।
होली के त्यौहार के दिन होली केवल उनके साथ ही मनाई जा सकती है जो आपके सामने होते हैं और जो आपसे बहुत दूर है उनके साथ होली कैसे मनाएं?
जैसे कि मान लीजिए हमारे सैनिक भाई जो हमारी रक्षा के लिए 24 घंटे भारतीय सीमा पर तैनात रहते हैं। अगर हमसे होली खेलना चाहेंगे तो कैसे खेलेंगे वह तो हमारे पास आने से और हम उनके पास जा नहीं पाते लेकिन हम खुशियां बांटते हैं, वो कैसे?
मैंने यहां पर बहुत सारी कविताएं लिखी हैं जो कि मेरे द्वारा लिखी गई नहीं है लेकिन में इनका बहुत ही ज्यादा आभारी हूं और उनका नमन करते उनकी कविताओं का उल्लेख अपनी HindiParichay.com पर देना चाहता हूं।
5. Holi Quotes Poems
बड़े प्यार से अम्मा बोली। खूब मनाओ भैया होली।। नहीं करेंगे कभी कुसंग। डालो सभी परस्पर रंग।। एक वर्ष में होली आई। जी भर खेलो खाओ मिठाई।। ध्यान लगाकर सुनो-पढ़ो। नए-नए सोपान चढ़ो।। बच्चे शोर मचाए होली। उछले-कूदें खेलें होली।। बड़े प्यार से अम्मा बोली। खूब मनाओ भैया होली।।
6. Holi Par Kavita
आओ मिलकर खेलें होली सब एक दूजे के संग खाओ गुजिया पी लो भांग हर घर महके खुशियों की तरंग हर गलियों में बाजे ढोल और संग बाजे मृदंग हिमांशु-शानू हो हर अंग खेलें सब लाल, पीले रंगों के संग हर गली में मचा दें हम सब आज रंगों की हुडदंग दे दो नफरत की होलिका में आहूति रंगों से लगा दो हर माथे पर भभूती नफरत के सब मिटा दो रंग प्यार को जगा कर नई उमंग खेलो सब संग प्यार के रंग आओ मिलकर खेलो सब संग सबको मिलकर भांग पिलाएं पी कर कोई हसंता जाए कोई देर तक हुडदंग मचाए खेलों सब खुशियों के संग आओ मिलकर खेलें होली सब एक दूजे के संग!!!
7.
निकल पड़ी मद-मस्त ये टोली, सबकी जुबाँ पे एक ही बोली फिर से सजेगी रंग की महफिल, प्यार की धारा बनेगी होली।
8.
होली के ओजार कई हैं, जोड़ने वाले तार कई हैं रंग बिरंगे बादल से होने वाली बोछार कई है पिचकारी का ज़ोर क्या कम है, बन्दूक में ही रहने दो गोली फिर से सजेगी रंग की महफिल, प्यार की धारा बनेगी गोली| कब तक रूठे रहोगे तुम, बोलो कुछ क्यों हो गुमसुम तुमको रंग लगाने में लगता कट जाएगी दुम कड़वाहट की कैद से निकलो; अब तो बन जाओ हमजोली फिल से सजेगी रंग की महफिल, प्यार की धारा बनेगी होली| मन में नहीं कपट छल हो, ऊँचा बहुत मनोबल हो होली के हर रंग समेटे दिल पावन गंगाजल हो अंतर मन भी स्वच्छ हो पूरा, सूरत अगर है प्यारी भोली फिर से सजेगी रंग की महफिल, प्यार की धारा बनेगी होली| निकल पड़ी मद-मस्त ये टोली, सबकी जुबाँ पे एक ही बोली फिर से सजेगी रंग की महफिल, प्यार की धारा बनेगी होली।
9.
“हिन्दुस्तान का कवि कितना आसान है दुश्मनी को भुलाना बस दुश्मन को घेरना और उसे रंग है लगाना...! अच्छा हुआ दोस्त जो तूने होली पर रंग लगा कर हंसा दिया वरना अपने चेहरे का रंग तो महंगाई ने कब का उड़ा दिया “मेरे रंग तुम्हारा चेहरा होली के दिन बिठाना पहरा दिल तुम्हारा पास है मेरे अब बचाना अपना चेहरा” "अलग-अलग धर्मों के फ्लेग्स ने होली मनाई, एक-दूसरे को खूब रंगा बाद में सबने देखा तो पता चला उनमें से हर एक बन चुका था तिरंगा" "आपको रंगों से एलर्जी है चलिए आपको रंग नहीं लगाएंगे मगर साथ तो बैठिएगा रंगीन बातों से ही होली मनाएंगे"
अक्सर लोग होली के अवसर पर होली पर श्लोक, Holi Par Shlok, होली पर शेरो शायरी, होली के दोहे भी सर्च करते हैं। साथ ही आप होली पर गीत भी देख सकते हैं।
होली खेलें सिया की सखियाँ, जनकपुर में छायो उल्लास.... रजत कलश में रंग घुले हैं, मलें अबीर सहास. होली खेलें सिया की सखियाँ... रंगें चीर रघुनाथ लला का, करें हास-परिहास. होली खेलें सिया की सखियाँ... एक कहे: 'पकडो, मुंह रंग दो, निकरे जी की हुलास' होली खेलें सिया की सखियाँ... दूजी कहे: 'कोऊ रंग चढ़े ना, श्याम रंग है खास.' होली खेलें सिया की सखियाँ... सिया कहें: 'रंग अटल प्रीत का, कोऊ न अइयो पास.' होली खेलें सिया की सखियाँ... सियाजी, श्यामल हैं प्रभु, कमल-भ्रमर आभास. होली खेलें सिया की सखियाँ... "शान्ति" निरख छवि, बलि-बलि जाए, अमिट दरस की प्यास. होली खेलें सिया की सखियाँ...
होली खेले चारों भाई , अवधपुरी के महलों में... अंगना में कई हौज बनवाये, भांति-भांति के रंग घुलाये. पिचकारी भर धूम मचाएं, अवधपुरी के महलों में... राम-लखन पिचकारी चलायें, भारत-शत्रुघ्न अबीर लगायें. लखें दशरथ होएं निहाल, अवधपुरी के महलों में... सिया-श्रुतकीर्ति रंग में नहाई, उर्मिला-मांडवी चीन्ही न जाई. हुए लाल-गुलाबी बाल, अवधपुरी के महलों में... कौशल्या कैकेई सुमित्रा, तीनों माता लेंय बलेंयाँ. पुरजन गायें मंगल फाग, अवधपुरी के महलों में... मंत्री सुमंत्र भेंटते होली, नृप दशरथ से करें ठिठोली. बूढे भी लगते जवान, अवधपुरी के महलों में... दास लाये गुझिया-ठंडाई, हिल-मिल सबने मौज मनाई. ढोल बजे फागें भी गाईं,अवधपुरी के महलों में... दस दिश में सुख-आनंद छाया, हर मन फागुन में बौराया. "शान्ति" संग त्यौहार मनाया, अवधपुरी के महलों में...
12. काव्य की पिचकारी – आचार्य संजीव सलिल
रंगोत्सव पर काव्य की पिचकारी गह हाथ. शब्द-रंग से कीजिये, तर अपना सिर-माथ फागें, होरी गाइए, भावों से भरपूर. रस की वर्षा में रहें, मौज-मजे में चूर. भंग भवानी इष्ट हों, गुझिया को लें साथ बांह-चाह में जो मिले उसे मानिए नाथ. लक्षण जो-जैसे वही, कर देंगे कल्याण. दूरी सभी मिटाइये, हों इक तन-मन-प्राण.
13. अबकी बार होली में – आचार्य संजीव सलिल
करो आतंकियों पर वार अबकी बार होली में, न उनको मिल सके घर-द्वार अबकी बार होली में, बना तोपोंकी पिचकारी चलाओ यार अब जी भर, बना तोपोंकी पिचकारी चलाओ यार अब जी भर, बहुत की शांति की बातें, लगाओ अब उन्हें लातें, न कर पायें घातें कोई अबकी बार होली में, पिलाओ भांग उनको फिर नचाओ भांगडा जी भर, कहो बम चला कर बम, दोस्त अबकी बार होली में, छिपे जो पाक में नापाक हरकत कर रहे जी भर, करो बस सूपड़ा ही साफ़ अब की बार होली में, न मानें देव लातों के कभी बातों से सच मानो, चलो नहले पे दहला यार अबकी बार होली में, जहाँ भी छिपे हैं वे, जा वहीं पर खून की होली, चलो खेलें "सलिल" मिल साथ अबकी बार होली में॥
14. इस होली पर कैसे, करलूं बातें साज की – योगेश समदर्शी
अभी हरे हैं घाव, कहां से लाऊं चाव, नहीं बुझी है राख, अभी तक ताज की खून, खून का रंग, देख-देख मैं दंग, इस होली पर कैसे, करलूं बातें साज की उसके कैसे रंगू मैं गाल जिसका सूखा नहीं रुमाल उन भीगे होठों को कह दूं मैं होली किस अंदाज की इस होली पर कैसे, करलूं बातें साज की...!
होली के दिन लोग अपने घरों से निकलकर एक दूसरे के घरों पर जाते हैं और होली का त्यौहार रंगों के साथ खेलकर अपना त्यौहार संपूर्ण करते हैं ठीक उसी तरह ही अगर लोगों को अपना त्यौहार अपने रिश्तेदारों के साथ मनाना होता है वह होली की कविता का बेस्ट कलेक्शन लेकर व्हाट्सएप, ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम आदि द्वारा शेयर कर देते है।
पहले क्या हुआ करता था कि होली का त्यौहार मनाना होता है तो आपको एक चिट्ठी टेलीग्राम का प्रयोग करना पड़ता था । होली के दिन पकवान, मिष्ठान आदि बनाया जाता है और अपने सभी रिश्तेदारों आज पड़ोसियों में बांटा जाता है साथ ही यदि कोई व्यक्ति जो काफी दूर रहता है तो उन्हें भी आप अपना सामान भिजवा कर अपनी होली का त्यौहार मना सकते हैं।
15. नाना नव रंगों को फिर ले आयी होली – महेन्द्र भटनागर
नाना नव रंगों को फिर ले आयी होली, उन्मत्त उमंगों को फिर भर लायी होली ! आयी दिन में सोना बरसाती फिर होली, छायी, निशि भर चाँदी सरसाती फिर होली ! रुनझुन-रुनझुन घुँघरू कब बाँध गयी होली, अंगों में थिरकन भर, स्वर साध गयी होली ! उर मे बरबस आसव री ढाल गयी होली, देखो, अब तो अपनी यह चाल नयी हो ली ! स्वागत में ढम-ढम ढोल बजाते हैं होली, होकर मदहोश गुलाल उड़ाते हैं होली !
16. रंग गुलाल लिये कर में निकली मतवाली टोली है – अजय यादव
रंग गुलाल लिये कर में निकली मतवाली टोली है ढोल की थाप पे पाँव उठे औ गूँज उठी फिर ’होली है कहीं फाग की तानें छिड़ती हैं कहीं धूम मची है रसिया की गोरी के मुख से गाली भी लगती आज मीठी बोली है बादल भी लाल गुलाल हुआ उड़ते अबीर की छटा देख धरती पे रंगों की नदियाँ अंबर में सजी रंगोली है रंगों ने कलुष जरा धोया जो रोक रहा था प्रेम-मिलन मन मिलकर एकाकार हुये, प्राणों में मिसरी घोली है सबके चेहरे इकरूप हुये, ’अजय’ न भेद रहा कोई यूँ सारे अंतर मिट जायें तो हर दिन यारो होली है...!
17. का संग खेलूं मैं होरी – मोहिन्दर कुमार
का संग खेलूं मैं होरी.. पिया गयल हैं विदेस रे पीहर मा होती तो सखियों संग खेलती झांकन ना दे बाहर अटारिया से सासू का सख्त आदेस रे का संग खेलूं मैं होरी.. पिया गयल हैं विदेस रे लत्ता ना भावे मोको, गहना ना भावे सीने में उठती है हूक रे याद आवे पीहर की रंग से भीगी देहरिया और गुलाल से रंगे मुख-केस रे का संग खेलूं मैं होरी.. पिया गयल हैं विदेस रे अंबुआ पे झुलना, सखियों की बतियां नीर बहाऊं और सोचूं मैं दिन रतियां पिया छोड के आजा ऐसी नौकरिया जिसने है डाला सारा कलेस रे का संग खेलूं मैं होरी.. पिया गयल हैं विदेस रे...
18.
बैगन जी की होली- कृष्ण कुमार यादव टेढ़े-मेढ़े बैगन जी होली पर ससुराल चले बीच सड़क पर लुढ़क-लुढ़क कैसी ढुलमुल चाल चले पत्नी भिण्डी मैके में बनी-ठनी तैयार मिलीं हाथ पकड़ कर वह उनका ड्राइंगरूम में साथ चलीं मारे खुशी, ससुर कद्दू देख बल्लियों उछल पड़े लौकी सास रंग भीगी बैगन जी भी फिसल पड़े इतने में उनकी साली मिर्ची जी भी टपक पड़ीं रंग भरी पिचकारी ले जीजाजी पर झपट पड़ीं बैगन जी गीले-गीले हुए बैगनी से पीले।
19. रंग रंगीली आई होली – सीमा सचदेव
नन्ही गुड़िया माँ से बोली माँ मुझको पिचकारी ले दो इक छोटी सी लारी ले दो रंग-बिरंगे रंग भी ले दो उन रंगों में पानी भर दो मैं भी सबको रग डालूँगी रंगों के संग मज़े करूँगी मैं तो लारी में बैठूँगी अन्दर से गुलाल फेंकूँगी माँ ने गुड़िया को समझाया और प्यार से यह बतलाया तुम दूसरो पे रंग फेंकोगी और अपने ही लिए डरोगी रँग नहीं मिलते है अच्छे हुए बीमार जो इससे बच्चे तो क्या तुमको अच्छा लगेगा जो तुम सँग कोई न खेलेगा जाओ तुम बगिया मे जाओ रंग- बिरंगे फूल ले आओ बनाएँगे हम फूलों के रन्ग फिर खेलना तुम सबके संग रंगों पे खरचोगी पैसे जोड़े तुमने जैसे तैसे उसका कोई उपयोग न होगा उलटे यह नुकसान ही होगा चलो अनाथालय में जाएँ भूखे बच्चों को खिलाएँ आओ उन संग खेले होली वो भी तेरे है हमजोली जो उन संग खुशियाँ बाँटोगी कितना बड़ा उपकार करोगी भूखा पेट भरोगी उनका दुनिया में नहीं कोई जिनका वो भी प्यारे-प्यारे बच्चे नन्हे से है दिल के सच्चे अब गुड़िया को समझ में आई उसने भी तरकीब लगाई बुलाएगी सारी सखी सहेली नहीं जाएगी वो अकेली उसने सब सखियों को बुलाया और उन्हें भी यह समझाया सबने मिलके रंग बनाया बच्चों सँग त्योहार मनाया भूखों को खाना भी खिलाया उनका पैसा काम में आया सबने मिलकर खेली होली और सारे बन गए हमजोली..!
होली का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का त्यौहार है। होली के पीछे बहुत ही बड़ी और प्राचीन कहानी कहानी है। हिरण्यकश्यप नामक राजा जो कि अपने आप को भगवान बोला करता था और सभी भगवानों से नफरत किया करता था और किस्मत की बात है कि उसका अपना ही बेटा प्रहलाद जो कि श्री विष्णु जी को मानता था और उनकी पूजा-अर्चना में सुबह से शाम तक लगा रहता था।
हिरण्यकश्यप ने अपने बेटे को लाखों बार समझाया कि विष्णु जी की पूजा न करें लेकिन प्रहलाद विष्णु जी का परम भक्त था और प्रह्लाद ने अपने पिता का घर छोड़ दिया था साथ में कह दिया था कि मैं मरते दम तक विष्णु जी का नाम नहीं छोडूंगा।
हिरण्यकश्यप इन बातों से परेशान था उसने अपने बेटे को मारने की हजारों कोशिश कि है लेकिन असफल रहा। अंत में उसको कुछ नहीं समझ में आया तो उसने अपनी बहन होलिका जिसको भगवान शिव जी का वरदान था कि अग्नि उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकती है।
हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को आदेश दिया कि वह प्रहलाद को लेकर एक अग्नि कुंड में बैठ जाए और प्रह्लाद का अंत कर दे लेकिन भगवान विष्णु जी को कुछ और ही पसंद था। विष्णु जी ने होलिका का वरदान उठा कर रख दिया और होलिका दहन कर दिया।
हरी हरी जप ले तेरा क्या जाता है राजा तो कोई भी बन जाता है। हरि भक्त केवल वही कहलाता है जो हरी को दिल में बसाता है। होली का त्यौहार खुशियों का त्योहार है इसे व्यर्थ ना जाने देना साल में एक बार आता है। सबके साथ खुशियों के साथ मनाना होली का त्यौहार रंगों का त्योहार है और एक समानता फैलाने का त्यौहार है, होली खुशियों और उल्लास का त्यौहार है।
20. सांझ से ही आ बैठी – प्रवीण पंडित
मन में भर उल्लास, मुट्ठियां भर भर रंग लिये सांझ से ही आ बैठी, होली मादक गंध लिये एक हथेली मे चुटकी भर ठंडा सा अहसास दूजे हाथ लिये किरची भर नरम धूप सौगात उजियारे के रंग पूनमी मटियाली बू-बास भीगे मौसम की अंगड़ाई लेकर आई पास अल्हड़-पन का भाव सुकोमल पूरे अंग लिये सांझ से ही आ बैठी होली मादक गंध लिये लहरों से लेकर हिचकोले,पवन से अठखेली चौखट-चौखट बजा मंजीरे, फिरती अलबेली कहीं से लाई रंग केसरी, कहीं से कस्तूरी लाजलजीली हुई कहीं पर खुल कर भी खेली नयन भरे कजरौट अधर भर भर मकरंद लिये सांझ से ही आ बैठी ,होली मादक गंध लिये...!
21. फागुन बनकर – शोभा महेन्द्रू
बरस गए हैं मेरी आँखों में हज़ारों सपने महकने लगे हैं टेसू और मन बावला हुआ जाता है सपनों की कलियाँ दिल की हर डाल पर फूट रही है और ये उपवन नन्दन हुआ जाता है समझ नहीं पा रही हूँ ये तुम हो या मौसम जो बरसा है मुझपर फागुन बनकर
22. जश्न जारी… – धीरेन्द्र सिंह “काफ़िर”
पतझड़ में पत्ते शाखें छोड़ देते हैं सदाबहार जब आता है तो बहार जवाँहोती है हम भी कुछ इसीतरह से जश्न जारी रखते हैं मातम भी मनाते हैं अपने-अपने इन पेड़-पौधों जैसा नहीं कुछ भी साथ-साथ नहीं दिवाली में पटाखे जलाए उजाला मचाया होली में रंग गए रंग उडाये मगर रूह में वही पुराना अँधेरा वही कालिख..
23.
होली है आई आज मेरे द्वार, मिल जाएंगे सखा सहेली और पुराने यार, शोर से मोहल्ला सराबोर है, होली गीत के ही बजते ढ़ोल है, कोई बजाए ढोलक कोई मंजीरे, कोई बजाए लिए रंग गुलाल हाथ में कोई भरे पिचकारी, कोई झूमे भंगे के नशे में कोई फाग के गीतों में, दिल से दिल मिल जाए, कोयल यही मल्हार गाये। रंग रंगीला है यह त्यौहार साज जाए यादे जब मिले जाए यार....!
24.
रंगवाले देर क्या है मेरा चोला रंग दे । और सारे रंग धो कर रंग अपना रंग दे ॥ कितने ही रंगो से मैने आज तक है रंगा इसे । पर वो सारे फीके निकले तू ही गाढ़ा रंग दे ॥ तूने रंगे हैं ज़मीं और आसमां जिस रंग से । बस उसी रंग से तू आख़िर मेरा चोला रंग दे ॥ मैं तो जानूंगा तभी तेरी ये रंगन्दाज़ियां । जितना धोऊं उतना चमके अब तो ऐसा रंग दे ॥
25. Famous Hasya Kavita Holi Par
उमरिया हिरनिया हो गई, देह इन्द्र- दरबार। मौसम संग मोहित हुए, दर्पण-फूल-बहार॥ शाम सिंदूरी होंठ पर, आंखें उजली भोर। भैरन नदिया सा चढ़े, यौवन ये बरजोर॥ तितली झुक कर फूल पर, कहती है आदाब। सीने में दिल की जगह, रक्खा लाल गुलाब॥ रहे बदलते करवटें, हम तो पूरी रात। अब के जब हम मिलेंगे, करनी क्या-क्या बात॥ मन को बड़ा लुभा रही, हंसी तेरी मन मीत। काला जादू रूप का, कौन सकेगा जीत॥ गढ़े कसीदे नेह के, रंगों के आलेख। पास पिया को पाओगी, आंखें बंद कर देख॥ – मनोज खरे
26. Holi Ki Bal Kavitayen
रंग फुहारों से हर ओर भींग रहा है घर आगंन फागुन के ठंडे बयार से थिरक रहा हर मानव मन ! लाल गुलाबी नीली पीली खुशियाँ रंगों जैसे छायीं ढोल मजीरे की तानों पर बजे उमंगों की शहनाई ! गुझिया पापड़ पकवानों के घर घर में लगते मेले खाते गाते धूम मचाते मन में खुशियों के फूल खिले ! रंग बिरंगी दुनिया में हर कोई लगता एक समान भेदभाव को दूर भागता रंगों का यह मंगलगान ! पिचकारी के बौछारों से चारो ओर छाई उमंग खुशियों के सागर में डूबी दुनिया में फैली प्रेम तरंग !
27. होली पर हास्य कविताएं
बनेगी होली निकल पड़ी मद-मस्त ये टोली, सबकी जुबाँ पे एक ही बोली फिर से सजेगी रंग की महफिल, प्यार की धारा बनेगी होली| होली के ओजार कई हैं, जोड़ने वाले तार कई हैं रंग बिरंगे बादल से होने वाली बोछार कई है पिचकारी का ज़ोर क्या कम है, बन्दूक में ही रहने दो गोली फिर से सजेगी रंग की महफिल, प्यार की धारा बनेगी गोली| कब तक रूठे रहोगे तुम, बोलो कुछ क्यों हो गुमसुम तुमको रंग लगाने में लगता कट जाएगी दुम कड़वाहट की कैद से निकलो; अब तो बन जाओ हमजोली फिल से सजेगी रंग की महफिल, प्यार की धारा बनेगी होली| मन में नहीं कपट छल हो, ऊँचा बहुत मनोबल हो होली के हर रंग समेटे दिल पावन गंगाजल हो अंतर मन भी स्वच्छ हो पूरा, सूरत अगर है प्यारी भोली फिर से सजेगी रंग की महफिल, प्यार की धारा बनेगी होली| निकल पड़ी मद-मस्त ये टोली, सबकी जुबाँ पे एक ही बोली फिर से सजेगी रंग की महफिल, प्यार की धारा बनेगी होली| होली पर कविता हिंदी में अच्छा हुआ दोस्त जो तूने होली पर रंग लगा कर हंसा दिया वरना अपने चेहरे का रंग तो महंगाई ने कब का उड़ा दिया तुम्हारा चेहरा मेरे रंग तुम्हारा चेहरा होली के दिन बिठाना पहरा दिल तुम्हारा पास है मेरे अब बचाना अपना चेहरा होली पर बाल कविता मुट्ठी में है लाल गुलाल नोमू का मुंह पुता लाल से सोमू की पीली गुलाल से कुर्ता भीगा राम रतन का, रम्मी के हैं गीले बाल। मुट्ठी में है लाल गुलाल।। चुनियां को मुनियां ने पकड़ा नीला रंग गालों पर चुपड़ा इतना रगड़ा जोर-जोर से, फूल गए हैं दोनों गाल। मुट्ठी में है लाल गुलाल।। लल्लू पीला रंग ले आया कल्लू ने भी हरा रंग उड़ाया रंग लगाया एक-दूजे को, लड़े-भिड़े थे परकी साल। मुट्ठी में है लाल गुलाल।। कुछ के हाथों में पिचकारी गुब्बारों की मारा-मारी। रंग-बिरंगे सबके कपड़े, रंग-रंगीले सबके भाल। मुट्ठी में है लाल गुलाल।। इन्द्रधनुष धरती पर उतरा रंगा, रंग से कतरा-कतरा नाच रहे हैं सब मस्ती में, बहुत मजा आया इस साल। मुट्ठी में है लाल गुलाल।।
कुछ एसा अदभुत चमत्कार अबकी होली में हो जाये, कुछ एसा अदभुत चमत्कार हो जाये भ्रष्टाचार स्वाहा, महगाई,झगड़े, लूटमार सब लाज शर्म को छोड़ छाड़,हम करें प्रेम से छेड़ छाड़ गौरी के गोरे गालों पर ,अपने हाथों से मल गुलाल जा लगे रंग,महके अनंग,हर अंग अंग हो सरोबार इस मस्ती में,हर बस्ती में,बस जाये केवल प्यार प्यार दुर्भाव हटे,कटुता सिमटे,हो भातृभाव का बस प्रचार अबकी होली में हो जाये,कुछ एसा अदभुत चमत्कार॥ – मदन मोहन
मैं उम्मीद करता हूँ की आपको होली पर कविता को पढ़कर आनंद आया होगा।
आज के इस दौर में कम ही लोग होंगे जो होली की कविताओं का प्रयोग करते हैं लेकिन सच देखा जाए तो असली आनंद केवल होली की मशहूर कविताओं में ही है। होली की कविताओं में जो रस है वो किसी सरबत में नहीं है।
तो देरी न कीजिए ऐसे ही अपना प्यार दिखाते रहिए और इन होली की कविता को फेसबुक, ट्विटर इत्यादि जगह शेयर कीजिये।
अन्य भारतीय त्योहार⇓
The rise of DeepSeek, a Chinese AI app, has sent ripples through the tech world,…
Yoshua Bengio, a leading figure in artificial intelligence often called the "godfather" of AI, has…
Microsoft CEO Satya Nadella has offered a surprising take on the "DeepSeek drama," declaring it…
In the fast-paced world of Artificial Intelligence (AI), Google and OpenAI have long been considered…
Artificial Intelligence (AI) is revolutionizing multiple industries across the globe. Companies that innovate and make…
आज के डिजिटल युग में, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की दुनिया में तेजी से विकास हो…
View Comments
I want to add some hindi poem written by my father.how to add it
You can mail me at hindiparichay.com@gmail.com
बहुत ही अच्छी कविता
इसमें कोई दो राय नहीं, जितनी होली की सार्थकता होली के गीतों से होती है उतनी इंग्लिश या अंग्रेजी के बेस्ट विशेस या हैप्पी होली से नहीं होती । यह इंसान के अभिव्यक्ति का एक सशक्त माध्यम है आशा करते हैं इसका प्रचलन बढ़ेगा और हम तन मन से होली के गीतों के माध्यम से रंगों में रंग कर होली की सार्थकता को सिद्ध कर पाएंगे