भारत देश में विभिन्न प्रकार के त्योहार मनाए जाते है जैसे रक्षा बंधन, 15 अगस्त, होली, दिवाली, ईद, 26 जनवरी, क्रिसमस इत्यादि| ठीक उसी तरह ही बाल दिवस का महत्व भी हम सभी भारतियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है.
विद्यालयों कॉलेजों आदि में बाल दिवस पर भाषण दिये जाते हैं, बाल दिवस पर भाषण आप चाहे बच्चे हों या बच्चों से बड़े सभी को सुनना पसंद है खास तौर से विद्यालय के अध्यापकों को 14 नवम्बर पर भाषण सुनना बहुत पसंद है और यदि आप भी विद्यार्थी है तो बाल दिवस पर स्पीच सुना कर अपने से बड़ों का दिल जीत सकते हैं.
हमने सभी प्यारें बच्चों के लिए बाल दिवस पर भाषण लिखा है जिनको आप नीचे लेख में पड़ोगे.
दोस्तों, बाल दिवस आपको जैसा भी लगे निचे कमेंट द्वारा जरूर बताए| अगर आप हमारी गलतियाँ नहीं खोजेंगे तो कौन खोजेगा| 🙂
आपकी जरूरतों को समझता हूँ मै इसलिए बाल दिवस पर भाषण कम शब्दों में और बाल दिवस भाषण 350 शब्दों में आपकी इच्छानुसार लेकर आया हूँ उम्मीद करता हूँ की आपको मेरा लिखा लेख पसंद आयेगा.
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नमस्कार, मेरे सभी आदरनीय अध्यापकगण, मेरे सभी मित्र, मै आज आप के सामने बाल दिवस पर कुछ पंक्तियाँ रखने जा रहा हूँ| जो आपको सुनने में अच्छे लेगेंगे|
भारत वर्ष में ऐसे तो कई त्योहार मनाए जाते हैं और ऐसे ही बाल दिवस का अपना महत्व है| बाल दिवस भारत में कुछ राज्यों में अलग अलग तिथि में बनाए जाते है.
बाल दिवस बच्चों के लिए और सभी माता पिता के लिए खास होता है| सभी माता पिता के लिए उनके बच्चे सबसे खास होते हैं| माता पिता के लिए बच्चे उनकी बुढ़ापे की लाठी होते हैं.
प्रत्येक बच्चा भारत का अपने देश का आने वाले समय का महत्वपूर्ण भाग होता है| बच्चे भगवान की देन होते हैं बच्चो पर ही पूरा देश का भविष्य निर्भर है| सभी बच्चों को पढ़ाओ क्योंकि बच्चे पढ़ेंगे तभी तो देश आगे बढेगा.
मेरे सभी आदरणीय अध्यापको को, मेरे से बड़े सभी आगंतुकों को, और मेरे सभी मित्रों को मेरा सादर प्रणाम..!
जैसे की आप सभी जानते है की आज बाल दिवस है| बाल दिवस क्यों मनाया जाता है ? ये सब बातें हमें जरूर जाननी चाहिए.
बाल दिवस का दिन एक महत्वपूर्ण दिन है सभी भारतियों के लिए| बच्चों को सभी लोग पसंद करते हैं छोटे छोटे बच्चे, मासूम होते हैं उन्हे अपने भविषय को लेकर कोई चिंता नहीं होती है| उनका काम सिर्फ खेलना कूदना होता है और साथ में पढ़ाई करते हैं.
बच्चे प्रत्येक घर की रौनक होते हैं बिना बच्चों के घर सुना होता है| बच्चे ही होते हैं जो बड़े होकर महान कार्य करते हैं| बच्चे ही बड़े हो कर महान हस्ती होती हैं.
बच्चे एक मिट्टी का घड़ा होते हैं जिसे किसी भी प्रकार से आकार दिया जाता है| बच्चों के मन को जिस प्रकार से चाहों मोड़ा जा सकता हैं| बस किसी भी प्रकार से इसलिए बोला जाता है की प्रत्येक बच्चों को अच्छे संस्कार दिये जाने चाहिए.
अगर बच्चे बचपन से ही अच्छे संस्कार में जिये तो उन्हे महान बनने से कोई नहीं रोक सकता है.
बिल गेट्स, मार्क जुकरबर्ग, रतन टाटा, मुकेश अंबानी, इत्यादि हस्तियाँ है जो बचपन से ही अच्छे संस्कार में पले बड़े थे जिसका नतीजा आप देख ही रहे हो.
बच्चों का बाल काल ही उसका भविष्य निर्धारित करता है| बाल दिवस के दिन बच्चे अपने चाचा जी पंडित जवाहर लाल नेहरू जी को श्रद्धांजलि देते हैं.
इस दिन पंडित जवाहर लाल नेहरू जी का जन्म दिन होता है जिसे प्रत्येक विद्यालय में बच्चो द्वारा मनाया जाता है| जवाहर लाल नेहरू जी भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे वे बच्चों से बहुत प्यार करते थे| उन्होने बच्चो के लिए कई नियम लागू किए थे.
चाचा जी आज हमारे बीच नहीं है लेकिन प्रत्येक वर्ष बाल दिवस के दिन पंडित जवाहर लाल नेहरू जी का जन्मदिन मनाया जाता है| बच्चो को पढ़ाओ जितना पढ़ा सकों यही आगे चल कर हमारे भारत का नाम रोशन कर सकते हैं.
एक बच्चा भी अगर महान कार्य में लग जाता है तो उसके पीछे बहुत से लोग आपनी राह बदल कर उस महान व्यक्ति के पीछे हो जाते हैं यदि आपको यकीन नहीं होता तो महान आत्मा महात्मा गांधी जी का जीवन पढ़ लीजिये.
“धन्यवाद”
मेरे सभी अध्यापकों, गुरुओं, मित्रों आदि को मेरा सादर नमस्कार।
ये मेरा स्वभाग्य है की मै आज आप सभी के सामने खड़ा हो कर बाल दिवस पर भाषण दे रहा हूँ|
इसके लिए मै आप सभी का शुक्र गुजार हूँ| बाल दिवस के इस भाषण में मेरे द्वारा अगर किसी गलत शब्द का प्रयोग हो जाए… तो मुझे नादान समझ कर माफ कर देना.
आज की सुबह आप सभी के लिए एक संकेत है आपके भविष्य को बदल के रखने की ताकत हैं| इसमे आपका भविष्य छुपा है|
आज बाल दिवस के दिन मै आपको ये बताने की कोशिश कर रहा हूँ की बच्चों का हमारे जीवन में क्या भाग होता है जिसका कोई मूल्य नहीं है|
प्रत्येक बच्चे से एक सुनहरे भविष्य की कल्पना की जा सकती है| बच्चे ही भविष्य निर्धारित करते हैं| एक पौधा जैसे धीरे धीरे बड़ा होकर एक बड़े पेड में बदल जाता है ठीक उसी तरह ही बच्चे भी बड़े हो कर अपने कर्तव्यों पर खरा उतर कर अपने माता पिता अपने संस्कारों का नाम रोशन करते हैं.
बच्चे उस माटी की तरह होते हैं जिस माटी को पहले खेत से लेकर एक मर्तबान में तब्दील किया जाता है| माटी को पता भी नहीं होता की उसके साथ क्या हो रहा है लेकिन कुछ समय के बाद जब उसका आकार एक वर्तमान में बदल जाता है तो उसकी कीमत बदल जाती है|
खेत की मिट्टी से किसी के आँगन की शोभा बन जाता है|
बस बच्चों का जीवन भी कुछ इसी तरह होता है| बाल दिवस का महत्व बहुत मायने रखता है| बाल दिवस दरअसल मनाया ही इस लिया जाता है की हम सभी लोग बच्चों के भविष्य के लिए जागरूक हो जाते हैं.
बाल दिवस हमें ये बताने के लिए होता है की आज के बच्चे कल के नेता व महान लोग बन सकते हैं जिस लिए उनके भविष्य की सोच कर नए फैसले लिए जाएँ.
जिस तरह एक बुजुर्ग को लाठी की जरूरत होती है ठीक उसी तरह भारत को भी नए जोश और नई ताकत की जरूरत पड़ती रहती है|
बाल दिवस के दिन भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू जी का जन्म दिन होता है जिसे हम बाल दिवस के नाम से भी जानते हैं|
बाल दिवस कई देशों में अलग तिथि को मनाई जाती है| कहीं कहीं 01 जून को 20 नवंबर को बाल दिवस मनाया जाता है|
नेहरू जी को बच्चों से बहुत प्यार था| नेहरू जी ने बच्चों के लिए ढेर सारे नियम व कई सेवाएँ उपलब्ध करवाईं थीं| मुख्य रूप से बाल दिवस का सरकारी अवकाश होना|
जिस तरह एक महान योद्धा अपने राज्य की अपने देश की रक्षा करता है ठीक उसी प्रकार भारत का एक एक बच्चा अपने देश की आन के लिए प्राण तक त्यागने को तैयार रहते है.
तो मेरी एक ही गुजारिश है आप किसी को अगर दान देना चाहते ही हो तो पैसों के बदले किताब दे देना शायद उसकी जिंदगी बदल जाए|
वैसे तो 14 साल की कम उम्र से कम के बच्चों को काम पर लगाना गैर कानूनी कार्य है लेकिन आज भी कई ऐसे निर्दोष बच्चे हैं जो अपने घर की मजबूरीयों के चलते नौकरी पर लग जाते है|
अगर आप से हो पाये तो कभी किसी छोटे मासूम बच्चे से काम मत करवाना और न ही किसी अन्य को करने देना|
“धन्यवाद”
एक छोटी सी कहानी है| एक बार एक रास्ते पर कुछ बड़े बड़े पत्थर पड़े थे कोई उन्हे पूछता भी नहीं था, कोई उन्हे देखता तक नहीं था|
फिर एक दिन एक व्यक्ति उसी रास्ते से गुजर रहा था उस व्यक्ति को शिल्पकारी (पत्थर की नक्काशी करने वाला) कहा जाता था| उसने उन सभी पत्थरों में से एक निकाल लिया ओर भगवान की मूर्ति बनाने लगा|
लेकिन वो पत्थर छेनी हथोरे की चोट से रोने लगा| रोते हुए उसकी आवाज मूर्तिकार को सुनाई दे गयी| मूर्तिकार ने उस मूर्ति को सड़क के किनारे रख दिया ओर दूसरे पत्थर को उठा कर मूर्ति बनाने लगा|
कुछ मेहनत के बाद वो मूर्ति तैयार हो गयी| मूर्तिकार ने वो मूर्ति एक पेड़ के नीचे रख दी| फिर क्या था मूर्ति भगवान के रूप में थी उसी सड़क की एक तरफ वो पत्थर था और दूसरी तरफ भगवान की मूर्ति|
जब भी कोई राहगीर उस राह से आता जाता था तो मूर्ति को हाथ जोड़ता था| कुछ समय बाद भगवान की मूर्ति को मंदिर में बना दिया गया.
मंदिर के आगे वही टूटा हुआ पत्थर पड़ा हुआ था उसने भगवान की मूर्ति से पूछा की ये सब कैसे हो गया| आज तुम भगवान बन गए और मै सड़क के किनारे पड़ा हुआ हूँ|
भगवान की मूर्ति ने कहा की जिस समय आप छेनी हत्थोरी की चोट को कष्ट समझ कर रो रहे थे असल में वही समय था की जब आप अपने को संवार सकते थे लेकिन आपने भविष्य को लेकर आपने कुछ नहीं किया जिसकी वजह से आप सड़क के किनारे है|
कोई भी जानवर कुत्ता बिल्ली आदि आप के पास आते है इंसान आप पर थूकते हैं|
टूटा हुआ पत्थर रोने लगा ओर कहने लगा की अब मेरा क्या होगा|
इसीलिए कहा जाता है समय की कीमत को समझो नहीं तो यही कहते रहोगे की “अब पछताये होत क्या जब चिड़िया चुग गयी खेत”
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“धन्यवाद”
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