पूरा नाम: | श्री लाला लाजपत राधाकृष्ण राय जी |
जन्म: | 28 जनवरी 1865 |
जन्म स्थान: | दुधिके गाँव, पंजाब, बर्तानवी भारत |
मृत्यु: | 17 नवम्बर 1928 |
मृत्यु स्थान: | लाहौर (पाकिस्तान ) |
संगठन: | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, आर्य समाज, हिन्दू महासभा |
आन्दोलन: | भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन |
धर्म जाति: | हिन्दू धर्म |
पिता: | श्री राधाकृष्ण जी |
माता: | श्रीमती गुलाब देवी जी |
शिक्षा: | 1880 में कलकत्ता और पंजाब विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण, 1886 में कानून की उपाधि ली |
भारत में जन्मे एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे और पंजाब में जन्म लेने के कारण इन्हें पंजाब केसरी कहा जाता है| लाला लाजपत राय ने ही पंजाब नैशनल बैंक और लक्ष्मी बीमा कंपनी की स्थापना की थी.
स्वतंत्रता सेनानियों में तीन प्रमुख नेताओं लाल-पाल-बाल में से एक थे.
सन् 1928 में इन्होने साइमन कमीशन के खिलाफ एक प्रदर्शन में हिसा भी लिया था और लाठी के प्रहार से वे घायल हो गए थे और लाठियों से घायल होने पर 17 नवम्बर सन् 1928 को इनकी मृत्यु हो गयी थी.
इनकी मौत का भारत को बहुत बड़ा झटका लगा था और भगत सिंह जैसे अन्य क्रांतिकारियों के दिलों में जल रही स्वतंत्रता की आग को और भी जयादा तेज कर दी.
लाला लाजपत राय भारतीय पंजाबी लेखक थे और साथ में एक राजनेता भी थे, भारतीय स्वतंत्रता अभियान के मुख्य नेता के रूप में आज भी याद किये जाते है.
पंजाबी भाषा में लेख लिखने की वजह से वे पंजाब केसरी के नाम से भी जाने जाते थे.
लाला लाजपत राय के पिता जो की अग्रवाल थे और उनका जन्म 28 जनवरी 1865 को दुधिके गाँव में (मोगा जिला, पंजाब) में हुआ था.
लाला लाजपत राय एक क्रांतिकारी थे वे भारत को आजाद देखना चाहते थे| सन् 1870 से 1880 के बिच में, जहा उनके पिता एक उर्दू शिक्षक थे| तभी राय ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा रेवारी जो पहले पंजाब, और अभी हरयाणा का क्षेत्र है वहां के सरकारी उच्च माध्यमिक स्कूल से प्राप्त की.
राय हिंदुत्वता से बहुत प्रेरित थे, और इसी वजह से उन्होंने राजनीती में हाथ अजमाने की सोची.
जब वे लाहौर में कानून की विद्या ग्रहण कर रहे थे तभी से वे हिंदुत्वता का अभ्यास भी करते रहते थे जिसकी वजह से उनको इस बात पर बहुत विश्वास था की हिंदुत्वता ये राष्ट्र से भी बढ़कर है.
लाला लाजपत राय चाहते थे की भारत एक पूर्ण हिंदु राष्ट्र बनना चाहिये| हिंदुत्वता की ताकत से वे चाहते थे की हिंदुत्वता माध्यम से वे भारत में शांति बनाये रखना चाहते थे और मानवता को बढ़ाना चाहते थे.
हिन्दुओं में एकता रहे और वे एक दुसरे की मदद करने के लिए हमेशा ही तत्पर रहे| एक दुसरे से मानवता का व्यवहार करें.
उस समय भारतीय हिंदु समाज में भेदभाव, उच्च-नीच जैसे गलत रीति रिवाज चल रहा था, लाला लाजपत राय इन प्रथाओ खत्म करना चाहते थे| हिन्दुओं आदि लोगों में एकता समानता को देखना चाहते थे.
लाला लाजपत राय ने भारत में एक अहिंसक शांति अभियान बनाने मैं सफलता प्राप्त की और भारत को स्वतंत्र राष्ट्र बनाने के लिए ये बहुत आवश्यक था| वे आर्य समाज के भक्त और आर्य राजपत्र (जब वे विद्यार्थी थे तब उन्होंने इसकी स्थापना की थी) के संपादक भी थे| अंत में उन्होंने भेद भाव की प्रथा को समाप्त कर दिया था.
सरकारी कानून विधालय, लाहौर में कानून की पढाई पूरी करने के बाद उन्होंने लाहौर और हिस्सार में अपना अभ्यास जारी रखा और राष्ट्रिय स्तर पर दयानंद वैदिक स्कूल की स्थापना की, जहा वे दयानंद सरस्वती जिन्होंने आर्य समाज का पुनर्निर्माण किया था, उनके अनुयायी भी बने.
उन्होंने पंजाब के कई सारे राजनैतिक अभियानों में हिस्सा लिया.
सन् 1907 में अचानक ही बिना किसी को पहले बताये मांडले, बर्मा (म्यांमार) से उन्हें देश से निकाला गया और नवम्बर में, उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत ना होने की वजह से वायसराय, लार्ड मिन्टो ने उनके अपने देश में उन्हें वापिस भेजने का निर्णय लिया.
अपने देश में वापस आने के बाद लाला लाजपत राय ने सूरत की प्रेसीडेंसी पार्टी से चुनाव लड़ने का सोचा और बाद में लडे भी थे लेकिन वहा भी ब्रिटिशो ने उन्हें निकाल दिया| लेकिन लाला लाजपत राय ने हार नहीं मानी क्योंकि वे देश से प्रेम करते थे.
उन्होंने ब्रिटिश संस्था के पर्यायी ब्रद्लौघ हॉल, लाहौर की स्थापना की और 1920 के विशेष सेशन में उन्हें कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया.
उन्होंने सन् 1921 में समाज की सेवा करने वाले लोगो को खोजना शुरू किया, और उन्ही की सहायता से बिना किसी लाभ के उद्देश से एक संस्था की स्थापना की और संस्था लाहौर में ही थी, वो संस्था विभाजन के बाद दिल्ली में आ गयी, और भारत के कई राज्यों में उस संस्था की शखाएं भी खोली गयी.
लाला लाजपत राय का हमेशा से यही मानना था की, “मनुष्य अपने गुणों से आगे बढ़ता है न की दुसरो की कृपा से” उनके ऐसा कहने का अर्थ है की मनुष्य अपने कार्यकुशलता के बल पर बहुत कुछ कर सकता है और उसे किसी विशेष की आवश्यकता नहीं पड़ती है.
अगर हम किसी लक्ष्य को ठान लें तो उसे किये बिना नहीं हटना चाहिए और लगे रहना चाहिए| किसी न किसी दिन हमारी मेहनत रंग लाती है.
कोई भी बड़ा काम करने से पहले उसे पहले शुरू करना जरुरी होता है| जिस समय लाला लाजपत राय स्वतंत्रता अभियान में शामिल हुए तो उनके साथ कई क्रन्तिकारी लोग भी शामिल हो गए.
उस समय उन्हें ये पता भी नहीं था की वे सफल हो भी पाएंगे या नही, बस लगे रहे अपने रास्ते पर लाला लाजपत राय की कोशिशो के चलते ही बाद में उनके स्वतंत्रता अभियान ने एक विशाल रूप ले लिया था और उस अभियान के अंत में भारत एक स्वतंत्र राष्ट्र बना.
1. स्वामी दयानंद सरस्वती ने ‘आर्य समाज’ की स्थापना की| आर्य समाज के विकास की तरफ और समाज सुधार की योजनाओं की तरफ लाला जी का ध्यान गया| सोलह साल की उम्र में ही वे आर्य समाज के सदस्य बन गए थे.
2. सन् 1882 में हिन्दी और उर्दू इनमें से किसी भाषा को मान्यता दी जानी चाहिये, इस मुद्दे पर बड़ी बहस हुई.
लालाजी हिन्दी भाषा की तरफ थे| लाला जी ने सरकार से एक अर्जी की और उस पर हजारो लोगो के दस्तखत उनकी अपनी मर्जी के अनुसार लिये.
3. सन् 1886 में कानून की उपाधि परीक्षा देकर दक्षिण पंजाब के हिस्सार में उन्होंने अपनी वकालत शुरु की.
4. सन् 1886 में लाहौर को आर्य समाज की तरफ से दयानंद अँग्लो-वैदिक कॉलेज का प्रचार किया| 1 जून 1886 में कॉलेज की स्थापना हुयी| लालाजी उसके सचिव बने.
5. आर्य समाज के अनुयायी बनकर वे समाज के अनाथ बच्चे, विधवा, व् भूकंपग्रस्त पीड़ित लोगों और अकाल से पीड़ित लोगो की सहायता की थी.
6. सन् 1904 में ‘द पंजाब’ नाम का अंग्रेजी अखबार उन्होंने शुरु किया.
7. सन् 1905 में काँग्रेस की और भारत की बात रखने के लिये लालाजी को इंग्लैंड भेजा गया| उसके लिये उनको जो पैसा दिया गया उसका आधा पैसा उन्होंने दयानंद अँग्लो-वैदिक कॉलेज और आधा अनाथ विद्यार्थियों की शिक्षा के लिये दे दिया| इंग्लैंड जाने का उनका खर्च उन्होंने ही किया.
8. सन् 1907 में सरकार का कहना था की लाला लाजपत रॉय किसानो को भडकाते है, सरकार के विरोधीयों को भड़काते है ये लगाया गया और सरकार ने उन्हें मंडाले के जेल में रखा| 6 महीनों बाद उनको छोड़ा गया पर उनके पीछे लगी हुई सरकार से पीछा छुड़ाने के लिये वो अमेरिका गये.
वहा के भारतीयों में अपने देश के लिए देश प्रेम जगाया और स्वतंत्रता की राह दिखाई| उन्होंने ‘यंग इंडिया’ ये अखबार निकाला| वैसे ही भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को गति देने के लिये ‘इंडियन होमरूल लीग’ की स्थापना की.
9. सन् 1920 में वो अपने देश भारत लौटे| 1920 में कोलकाता में हुये कॉग्रेस के खास अधिवेशन के लिये उन्हें अध्यक्ष के रूप में चुना गया| उन्होंने असहयोग आंदोलन में हिस्सा लिया और जेल गए| उसके पहले लालाजी ने लाहौर में ‘तिलक राजनीती शास्त्र स्कूल’ नाम की राष्ट्रिय स्कूल शुरु किया था.
10. लालाजी ने ‘पीपल्स सोसायटी’ (लोग सेवक संघ) नाम की समाज सेवक संस्था शुरू की.
11. सन् 1925 में कोलकाता में ‘हिंदु महासभा’ के आन्दोलन के अध्यक्ष स्थान को लालाजी ने देखा.
12. सन् 1925 में ‘वंदे मातरम’ नाम के उर्दू दैनिक के संपादक बनकर उन्होंने काम किया.
13. सन् 1926 में अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संमेलन हुआ| भारत के श्रमिको के प्रतिनिधी बनकर लालाजी ने उसमे हिस्सा लिया| ब्रीटेन और फ़्रांस में हुए ऐसे ही संमेलन में उन्होंने हिस्सा लिया.
14. सन् 1927 में भारत ब्रिटिश सरकार ने साइमन कमीशन की नियुक्ती की पर साइमन कमीशन के सातों सदस्य अग्रेंज थे| एक भी भारतीय नहीं था इसलिये भारतीय राष्ट्रिय कॉग्रेस ने साइमन कमीशन का बहिष्कार किया.
15. सन् 1928 में 30 अक्टूबर को साइमन कमीशन पंजाब गया| लोगों ने लाला लाजपत रॉय के नेतृत्व में बहुत बड़ा मोर्चा निकाला| पुलिस द्वारा किये गए निर्दयी लाठीचार्ज में लाला लाजपत रॉय घायल हुये और दो सप्ताह के बाद अस्पताल में उनकी मृत्यु हो गयी.
(Lala Lajpat Rai Death) लाला लाजपत राय की मृत्यु कब हुई ? : 17 नवम्बर 1928 को लालाजी की मौत हुयी.
लाला लाजपत राय भारत के एक प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी और सामाजिक कार्यकर्ता थे। उन्हें “पंजाब केसरी” (पंजाब का शेर) के नाम से भी जाना जाता था। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रमुख नेता थे और उन्होंने स्वराज (स्व-शासन) के लिए अनेक आंदोलनों में भाग लिया।
लाला लाजपत राय का जन्म 28 जनवरी 1865 को पंजाब के मोगा में हुआ था।
लाला लाजपत राय ने कई प्रमुख आंदोलनों में भाग लिया, जिनमें शामिल हैं:
लाला लाजपत राय का 17 नवंबर 1928 को लाहौर में पुलिस लाठी चार्ज से घायल होने के बाद निधन हो गया।
लाला लाजपत राय को उनके साहस, देशभक्ति और सामाजिक कार्यों के लिए याद किया जाता है। वे भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उल्लेखनीय योगदान के लिए हमेशा याद किए जाएंगे।
लाला लाजपत राय का जन्म 28 जनवरी, 1865 को पंजाब के फिरोजपुर जिले के गाँव मोदगिल में हुआ था।
लाला लाजपत राय भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी नेताओं में से एक थे। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और भारत में स्वदेशी आंदोलन को चलाया। उन्होंने ब्रिटिश शासन की निंदा की और भारत के लोगों को अंग्रेजों के खिलाफ एकजुट होने का आह्वान किया।
लाला लाजपत राय को उनके निडरता और अंग्रेजों के खिलाफ उनकी कड़ी आलोचना के कारण “पंजाब का शेर” कहा जाता था। वह अपने भाषणों में अंग्रेजों की नीतियों पर खुलकर आलोचना करते थे और भारत के लोगों को अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित करते थे।
लाला लाजपत राय की मृत्यु 17 नवंबर, 1928 को लाहौर में हुई। वह 1928 में लाहौर में हुई एक पुलिस कार्रवाई में गंभीर रूप से घायल हो गए थे और कुछ दिनों बाद उनकी मृत्यु हो गई।
लाला लाजपत राय की याद में कई स्मारक और संस्थान बनाए गए हैं। उनके जन्मदिन पर हर साल उनके सम्मान में समारोह आयोजित किए जाते हैं। लाला लाजपत राय को उनके योगदान के लिए भारत के महान नेताओं में से एक माना जाता है।
अन्य जीवन परिचय⇓
लाला लाजपत राय का इतिहास यही पर खत्म होता है| मुझे उम्मीद है की आपको इनकी जानकारी पसंद आई होगी| आपको लेख कैसा लगा हमको कमेंट के माध्यम से अवश्य बताये अथवा इस लेख को जितना हो सके सोशल मीडिया पर शेयर करें जिससे और लोग भी इनके बारे में पढ़ सके.
The rise of DeepSeek, a Chinese AI app, has sent ripples through the tech world,…
Yoshua Bengio, a leading figure in artificial intelligence often called the "godfather" of AI, has…
Microsoft CEO Satya Nadella has offered a surprising take on the "DeepSeek drama," declaring it…
In the fast-paced world of Artificial Intelligence (AI), Google and OpenAI have long been considered…
Artificial Intelligence (AI) is revolutionizing multiple industries across the globe. Companies that innovate and make…
आज के डिजिटल युग में, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की दुनिया में तेजी से विकास हो…
View Comments
धन्यवाद सर, बहुत अच्छी जानकारी दी आपने मैं आपके सारे लेख पढ़ता है. आज बहुत खूबसूरत लिखते है. प्लीज ऐसे ही लिखते रहिये और हमें रोजाना नई नई जानकारियाँ उपलब्ध करवाते रहे. वाकई हिंदी को बढ़ावा देने में आपका बहुत बड़ा योगदान है. लाला लाजपत राय लेख मुझे पसंद आया.