नमस्ते, HindiParichay.com में आज हम दिवाली पर कविता अर्थात “in English, Poems on Diwali Poem in Hindi के विषय के ऊपर चर्चा करेंगे, तो लेख को अंत तक पढ़ें और दीपावली पर कविता शायरी, दीपावली के उपलक्ष में शायरी, दिवाली पर गजल, दीपावली पर दोहे, गरीब की दिवाली कविता, दीपावली काव्य, दीपावली की शायरी, दिवाली पर निबंध इत्यादि की जानकारी प्राप्त करें और अपना ज्ञान बढ़ाएं।
आप सभी को दिवाली की ढेर सारी बधाईयाँ। आज के दौर में दिवाली को लोग बम पटाखों से मनाते है, अपने रिश्तेदारों के यहां मिठाइयाँ पहुंचाते है। लेकिन पुराने जमाने में ऐसा नहीं होता था। लोग अपनी दिवाली मनाने के लिए बम पटाखों के इस्तेमाल की बजाय आपस के लोगों को दिवाली पर कविता भेजते थे। लोगों को दीपावली की कविताएँ भेजना बहुत ही अच्छा लगता है। आज के समय में भी जो घर के बड़े लोग हैं उन्हें दिवाली की कविता बोलना सुनना पसंद है। इसलिए मैं आपके सामने दिवाली पर कविता 2023 (Diwali Par Poem) लेकर आया हूँ।
दीपावली पर कविता सभी राज्य में बोली जाती है। छोटे बच्चों के स्कूल आदि में दिवाली के त्यौहार पर कविताएं बोली जाती है। दिवाली पर बच्चों के लिए कविताएं और बड़े भी चाहे तो बड़ो के लिए दिवाली पर कविता प्रस्तुत है। दिवाली पर कविताएं निम्नलिखित है।
हिंदी भाषण और निबंध : दीपावली |
Long Essay on Diwali in Hindi |
Short Diwali Essay In Hindi |
10 Lines On Diwali In Hindi |
Few Lines on Diwali in Hindi |
छात्रों के लिए दीपावली पर निबंध |
मन से मन का दीप जलाओ जगमग-जगमग दिवाली मनाओ धनियों के घर बंदनवार सजती निर्धन के घर लक्ष्मी न ठहरती मन से मन का दीप जलाओ घृणा-द्वेष को मिल दूर भगाओ घर-घर जगमग दीप जलते नफरत के तम फिर भी न छंटते जगमग-जगमग मनती दिवाली गरीबों की दिखती है चौखट खाली खूब धूम धड़काके पटाखे चटखते आकाश में जा ऊपर राकेट फूटते काहे की कैसी मन पाए दिवाली अंटी हो जिसकी पैसे से खाली गरीब की कैसे मनेगी दीवाली खाने को जब हो कवल रोटी खाली दीप अपनी बोली खुद लगाते गरीबी से हमेशा दूर भाग जाते अमीरों की दहलीज सजाते फिर कैसे मना पाए गरीब दिवाली दीपक भी जा बैठे हैं बहुमंजिलों पर वहीं झिलमिलाती हैं रोशनियां पटाखे पहचानने लगे हैं धनवानों को वही फूटा करती आतिशबाजियां यदि एक निर्धन का भर दे जो पेट सबसे अच्छी मनती उसकी दिवाली हजारों दीप जगमगा जाएंगे जग में भूखे नंगों को यदि रोटी वस्त्र मिलेंगे दुआओं से सारे जहां को महकाएंगे आत्मा को नव आलोक से भर देगें फुटपाथों पर पड़े रोज ही सड़ते हैं सजाते जिंदगी की वलियां रोज है कौन-सा दीप हो जाए गुम न पता दिन होने पर सोच विवश हो जाते| - डॉ मधु त्रिवेदी
दीप जलाओ दीप जलाओ आज दिवाली रे | खुशी-खुशी सब हँसते आओ आज दिवाली रे। मैं तो लूँगा खील-खिलौने तुम भी लेना भाई नाचो गाओ खुशी मनाओ आज दिवाली आई। आज पटाखे खूब चलाओ आज दिवाली रे दीप जलाओ दीप जलाओ आज दिवाली रे। नए-नए मैं कपड़े पहनूँ खाऊँ खूब मिठाई हाथ जोड़कर पूजा कर लूँ आज दिवाली आई।
जलाई जो तुमने- है ज्योति अंतस्तल में , जीवन भर उसको जलाए रखूँगा | तन में तिमिर कोई आये न फिर से, ज्योतिगर्मय मन को बनाए रखूँगा | आंधी इसे उडाये नहीं घर कोइ जलाए नहीं सबसे सुरक्षित छिपाए रखूँगा | चाहे झंझावात हो, या झमकती बरसात हो छप्पर अटूट एक छवाए रखूँगा | दिल-दीया टूटे नहीं, प्रेम घी घटे नहीं, स्नेह सिक्त बत्ती बनाए रखूँगा | मैं पूजता नो उसको , पूजे दुनिया जिसको , पर, घर में इष्ट देवी बिठाए |
मनानी है ईश कृपा से इस बार दीपावली, वहीं......... उन्हीं के साथ जिनके कारण यह भव्य त्योहार आरम्भ हुआ ……. और वह भी उन्हीं के धाम अयोध्या जी में, अपने घर तो हर व्यक्ति मना लेता है दीपावली परन्तु इस बार यह विचित्र इच्छा मन में आई है………. हाँ …छोटी दीवाली तो अपने घर में ही होगी, पर बड़ी रघुनन्दन राम सियावर राम जी के साथ | कितना आनन्द आएगा जब जन्म भूमि में रघुवर जी के साथ मैं छोड़ूँगा पटाखे और फुलझड़ियाँ……. जब मैं उनकी आरती करूँगा जब मैं दीए उनके घर में जलाऊंगा उस आनन्द का कैसे वर्णन करूँ जो इस जीवन को सफल बनाएगा | मैं गर्व से कहूँगा कि हाँ मैने इस जीवन का सच्चा आनन्द आज ही प्राप्त किया है अपलक जब मैं रघुवर को जब उन्हीं के भवन में निहारूँगी वह क्षण परमानन्द सुखदायी होंगें | हे रघुनन्दऩ कृपया जल्द ही मुझे वह दिन दिखलाओ इन अतृप्त आँखों को तृप्त कर दो चलो इस बार की दीपावली मेरे साथ मनाओ इच्छा जीने की इसके बाद समाप्त हो जाएगी क्योंकि सबसे प्रबल इच्छा जो मेरी तब पूरी हो जाएगी।
दिवाली त्यौहार ही ऐसा है कि इस दिन का इंतजार पूरे साल लोगों को रहता है। दिवाली साल में एक बार आता है और पूरे साल की खुशियां बराबर कर के चला जाता है। ठीक उसी तरीके से जो बच्चे अपने विद्यालय में, कॉलेज में दिवाली के शुभ मुहूर्त पर कुछ कविताएं, दिवाली पर दस पंक्तियाँ लिखना चाहते हैं उनके लिए यह सबसे अच्छी कविता साबित हो सकती है। अगर वह अपने इन कविताओं को ध्यान से पढ़ें और दिवाली की सारी कविताओं को आगे शेयर करते रहे तो शायद उनके लिए यह दिवाली की सबसे बेहतरीन कविताओं में शामिल हो सकती है तो बिना देरी किए आप आगे बढ़ सकते है और इनका आनंद उठा सकते हैं।
हर घर, हर दर, बाहर, भीतर, नीचे ऊपर, हर जगह सुघर, कैसी उजियाली है पग-पग, जगमग जगमग जगमग जगमग! छज्जों में, छत में, आले में, तुलसी के नन्हें थाले में, यह कौन रहा है दृग को ठग, जगमग जगमग जगमग जगमग! पर्वत में, नदियों, नहरों में, प्यारी प्यारी सी लहरों में, तैरते दीप कैसे भग-भग, जगमग जगमग जगमग जगमग! राजा के घर, कंगले के घर, हैं वही दीप सुंदर सुंदर!, दीवाली की श्री है पग-पग, जगमग जगमग जगमग जगमग!
आयी है दीवाली देखो, आयी है दिवाली। ले के जीवन में खुशहाली, आयी है दिवाली। घर-आँगन में है रौनक, और चारों ओर रंगोली से सजावट। दियो से सज गयी है चौखटे, रंगीन हो गयी हैं झालरों से दीवारें। मन में हर्ष और उल्लास फैलाने, आयी है दिवाली। ख़ुशियों ने दी है आहटें, रौशनी से रौशन है सब। चारों ओर फैली है जगमगाहट पटाखों की गूँज से। आसमाँ भी हो गया है रौशन आयी है दिवाली देखो, आयी है दिवाली।
उम्मीद करता हूं आपको मेरी यह सारी कविताएं अच्छी लगी होगी। वैसे तो दोस्तों, यह सारी कविताएं मैंने खुद नहीं लिखी है यह लेखकों द्वारा लिखी गई है। हो सकता है कि आपको यह सारी कविताएं अच्छी लगी हो तो सारा क्रेडिट उन सभी कवियों को जाता है जिन्होंने यह कविताएं लिखी हैं उनकी कविताओं का दिल से शुक्रिया अदा करता हूं। धन्यवाद!
आपकी दिवाली शुभ हो, आपके घर में शुभ लक्ष्मी आए और आपके घर में हमेशा सुख शांति बनी रहे इसकी दुआ करता हूं और प्रत्येक दिवाली अच्छे से बनाएं, बिना किसी कमी के बनाएं। धन्यवाद!
हो सके तो आप सारी कविताओं को आगे शेयर करें ताकि वह लोग भी आगे शेयर करें। आपके एक शेयर से काफी लोगों तक ये दिवाली की सबसे ज्यादा प्रशिष्ट कविताएं पहुंच सकती हैं।
हर घर दीप जग मगाए तो दिवाली आयी हैं, लक्ष्मी माता जब घर पर आये तो दिवाली आयी हैं! दो पल के ही शोर से क्या हमें ख़ुशी मिलेंगी, दिल के दिए जो मिल जाये तो दिवाली आयी हैं ! घर की साफ सफ़ाई से घर चमकाएँ तो दिवाली आयी हैं, पकवान – मिठाई सब मिल कर खाएं तो दिवाली आयी हैं! फटाकों से रोशनी तो होंगी लेकिन धुँआ भी होंगा, दिए नफ़रत के बुज जाएँ तो दिवाली आयी हैं! इस दिवाली सबके लिए यही सन्देश हैं की इस दिवाली हम लक्ष्मी का स्वागत दियों के करे, फटाकों के शोर और धुएं से नहीं इस बार दिवाली प्रदुषण मुक्त मनायेंगे!
जब मन में हो मौज बहारों की चमकाएं चमक सितारों की, जब ख़ुशियों के शुभ घेरे हों तन्हाई में भी मेले हों, आनंद की आभा होती है उस रोज़ 'दिवाली' होती है, जब प्रेम के दीपक जलते हों सपने जब सच में बदलते हों, मन में हो मधुरता भावों की जब लहके फ़सलें चावों की, उत्साह की आभा होती है उस रोज दिवाली होती है, जब प्रेम से मीत बुलाते हों दुश्मन भी गले लगाते हों, जब कहीं किसी से वैर न हो सब अपने हों, कोई ग़ैर न हो, अपनत्व की आभा होती है उस रोज़ दिवाली होती है, जब तन-मन-जीवन सज जायें सद्-भाव के बाजे बज जायें, महकाए ख़ुशबू ख़ुशियों की मुस्काएं चंदनिया सुधियों की, तृप्ति की आभा होती है उस रोज़ 'दिवाली' होती है।
इस दिवाली मैं नहीं आ पाऊँगा, तेरी मिठाई मैं नहीं खा पाऊँगा, दिवाली है तुझे खुश दिखना होगा, शुभ लाभ तुझे खुद लिखना होगा | तू जानती है यह पूरे देश का त्योहार है और यह भी मां कि तेरा बेटा पत्रकार है| मैं जानता हूँ, पड़ोसी के बच्चे पटाखे जलाते होंगे, तोरन से अपना घर सजाते होंगे, तु मुझे बेतहाशा याद करती होगी, मेरे आने की फरियाद करती होगी | मैं जहाँ रहूँ मेरे साथ तेरा प्यार है, तू जानती है न माँ तेरा बेटा पत्रकार है| भोली माँ मैं जानता हूँ, तुझे मिठाईयों में फर्क नहीं आता है, मोलभाव करने का तर्क नहीं आता है, बाजार भी तुम्हें लेकर कौन जाता होगा, पूजा में दरवाजा तकने कौन आता होगा| तेरी सीख से हर घर मेरा परिवार है तू समझती है न माँ तेरा बेटा पत्रकार है| मैं समझता हूँ, माँ बुआ दीदी के घर प्रसाद कौन छोड़ेगा, अब कठोर नारियल घर में कौन तोड़ेगा, तू गर्व कर माँ........ कि लोगों की दिवाली अपनी अबकी होगी, तेरे बेटे के कलम की दिवाली सबकी होगी | लोगों की खुशी में खुशी मेरा व्यवहार है तू जानती है न माँ तेरा बेटा पत्रकार है...
दीपो से महके संसार फुलझड़ियो की हो झलकार रंग-बिरंगा है आकाश दीपों की जगमग से आज हँसते चेहरे हर कहीं दिखते है प्यारे-प्यारे से दीवाली के इस शुभ दिन पर दीपक लगते है प्यारे से | मुन्ना- मुन्नी गुड्डू-गुड्डी , सबके मन में है हसी-ख़ुशी बर्फी पेठे गुलाब जामुन पर देखो सबकी नज़र गड़ी बजते बम रोकेट अनार पटाखे | दिखते है प्यारे-प्यारे से दीवाली के इस शुभ-दिन पर दीपक लगते है प्यारे से | मन में ख़ुशी दमकती है होठो से दुआ निकलती है इस प्यारे से त्यौहार में आखें ख़ुशी से झलकती है आओ मिलकर अब हम बाटें हँसी-ख़ुशी हर चेहरे में दीवाली के इस शुभ-दिन पर दीपक लगते है प्यारे से |
हर घर दीप जग मगाए तो दिवाली आयी हैं, लक्ष्मी माता जब घर पर आये तो दिवाली आयी हैं! दो पल के ही शोर से क्या हमें ख़ुशी मिलेंगी, दिल के दिए जो मिल जाये तो दिवाली आयी हैं ! घर की साफ सफ़ाई से घर चमकाएँ तो दिवाली आयी हैं, पकवान – मिठाई सब मिल कर खाएं तो दिवाली आयी हैं! फटाकों से रोशनी तो होंगी लेकिन धुँआ भी होंगा, दिए नफ़रत के बुज जाएँ तो दिवाली आयी हैं! इस दिवाली सबके लिए यही सन्देश हैं की इस दिवाली हम लक्ष्मी का स्वागत दियों के करे, फटाकों के शोर और धुएं से नहीं इस बार दिवाली प्रदुषण मुक्त मनायेंगे!
हैं रोशनी का यह त्यौहार, लाये हर चेहरा पर मुस्कान…. सुख और समृध्दि की बहार, समेट लो सारी खुशियां …… अपनों का प्यार और साथ, इस पवन अवसर पर …. आप सब को दिवाली की शुभकामनाएं!!!!
रात अमावस की तो क्या, घर घर हुआ उजाला, सजे कोना कोना दिपशिखा से! मन मुटाव मत रखना भाई, आयी दिवाली आयी ! झिलमिल झिलमिल बिजली की, रंगबी रंगी लड़िया दिल से हटा दो फरेब की फुलझड़िया! दिवाली पर्व हैं मिलन का, नजर पड़े जिस और देखो भरे हैं खुशियों से चेहरे ! चौदह बरस बाद लौटे हैं, सिया लखन रघुराई दिवाली का दिन हैं जैसे, घर में हो कोई शादी!
प्रभु राम चंद्र जी सीता जी संग अयोध्या लौट के आये अयोध्या वासियों ने ख़ुशी में घी के दीये जलाये दिवाली का पर्व चलो मिलकर सब मनायें पटाखों का धुआं नहीं दीपमाला जलाओ रंगों भरी रंगोली हो, मिठाई से भरी थाली हो दोस्तों से मिलें, उपहार दे और लें करें दान आज के वार आप सब को मुबारक हो दिवाली का त्यौहार...
जाएंगे दिवाली पर हम, नानीजी के घर। लिपा-पुता होगा घर-आंगन, द्वारे-द्वारे गेरू वंदन। दीप जलेंगे तब भागेगा, अंधियारा डरकर। जाएंगे दिवाली पर हम, नानीजी के घर। खूब जलाएंगे हम सब मिल, महताबें, फुलझड़ियां। बिखर जाएंगी धरती पर ज्यों, हों फूलों की लड़ियां। उड़ जाएंगे दूर गगन में, रॉकेट सर सर सर...। जाएंगे दिवाली पर हम, नानीजी के घर। गांवों के ऐसे गरीब जो, नहीं मिठाई खाते। दीप पर्व पर ही बेचारे, भूखे ही सो जाते। खील-खिलौने बांटेंगे हम उनको जी भरकर। जाएंगे दिवाली पर हम, नानीजी के घर। - डॉ. देशबंधु शाहजहांपुरी...
आई रे आई जगमगाती रात है आई दीपों से सजी टिमटिमाती बारात हैं आई हर तरफ है हंसी ठिठोले रंग-बिरंगे, जग-मग शोले परिवार को बांधे हर त्यौहार खुशियों की छाए जीवन में बहार सबके लिए हैं मनचाहे उपहार मीठे मीठे स्वादिष्ट पकवान कराता सबका मिलन हर साल दीपावली का पर्व सबसे महान आई रे आई जगमगाती रात है आई..
दीपो से महके संसार फुलझड़ियो की हो झलकार रंग-बिरंगा है आकाश दीपों की जगमग से आज हँसते चेहरे हर कहीं दिखते है प्यारे-प्यारे से दीवाली के इस शुभ दिन पर दीपक लगते है प्यारे से | मुन्ना- मुन्नी गुड्डू-गुड्डी , सबके मन में है हसी-ख़ुशी बर्फी पेठे गुलाब जामुन पर देखो सबकी नज़र गड़ी बजते बम रोकेट अनार पटाखे | दिखते है प्यारे-प्यारे से दीवाली के इस शुभ-दिन पर दीपक लगते है प्यारे से | मन में ख़ुशी दमकती है होठो से दुआ निकलती है इस प्यारे से त्यौहार में आखें ख़ुशी से झलकती है आओ मिलकर अब हम बाटें हँसी-ख़ुशी हर चेहरे में दीवाली के इस शुभ-दिन पर दीपक लगते है प्यारे से |
हर घर दीप जग मगाए तो दिवाली आयी हैं, लक्ष्मी माता जब घर पर आये तो दिवाली आयी हैं! दो पल के ही शोर से क्या हमें ख़ुशी मिलेंगी, दिल के दिए जो मिल जाये तो दिवाली आयी हैं ! घर की साफ सफ़ाई से घर चमकाएँ तो दिवाली आयी हैं, पकवान – मिठाई सब मिल कर खाएं तो दिवाली आयी हैं! फटाकों से रोशनी तो होंगी लेकिन धुँआ भी होंगा, दिए नफ़रत के बुज जाएँ तो दिवाली आयी हैं! इस दिवाली सबके लिए यही सन्देश हैं की इस दिवाली हम लक्ष्मी का स्वागत दियों के करे, फटाकों के शोर और धुएं से नहीं इस बार दिवाली प्रदुषण मुक्त मनायेंगे!
हैं रोशनी का यह त्यौहार, लाये हर चेहरा पर मुस्कान…. सुख और समृध्दि की बहार, समेट लो सारी खुशियां …… अपनों का प्यार और साथ, इस पवन अवसर पर …. आप सब को दिवाली की शुभकामनाएं!!!!
रात अमावस की तो क्या, घर घर हुआ उजाला, सजे कोना कोना दिपशिखा से! मन मुटाव मत रखना भाई, आयी दिवाली आयी ! झिलमिल झिलमिल बिजली की, रंगबी रंगी लड़िया दिल से हटा दो फरेब की फुलझड़िया! दिवाली पर्व हैं मिलन का, नजर पड़े जिस और देखो भरे हैं खुशियों से चेहरे ! चौदह बरस बाद लौटे हैं, सिया लखन रघुराई दिवाली का दिन हैं जैसे, घर में हो कोई शादी!
प्रभु राम चंद्र जी सीता जी संग आयोध्या लौट के आये आयोध्या वासियो ने ख़ुशी में घी के दीये जलाये दिवाली का पर्व चलो मिलकर सब मनायें पटाखों का धुंआ नहीं दीपमाला जलायें रंगों भरी रंगोली हो, मिठाई से भरी थाली हो दोस्तों से मिलें, उपहार दे और लें करें दान आज के वार आप सबको मुबारक हो दिवाली का त्यौहार…
जाएंगे दिवाली पर हम, नानीजी के घर। लिपा-पुता होगा घर-आंगन, द्वारे-द्वारे गेरू वंदन। दीप जलेंगे तब भागेगा, अंधियारा डरकर। जाएंगे दिवाली पर हम, नानीजी के घर। खूब जलाएंगे हम सब मिल, महताबें, फुलझड़ियां। बिखर जाएंगी धरती पर ज्यों, हों फूलों की लड़ियां। उड़ जाएंगे दूर गगन में, रॉकेट सर सर सर…। जाएंगे दिवाली पर हम, नानीजी के घर। गांवों के ऐसे गरीब जो, नहीं मिठाई खाते। दीप पर्व पर ही बेचारे, भूखे ही सो जाते। खील-खिलौने बांटेंगे हम उनको जी भरकर। जाएंगे दिवाली पर हम, नानीजी के घर। – डॉ. देशबंधु शाहजहांपुरी…
आई रे आई जगमगाती रात है आई दीपों से सजी टिमटिमाती बारात हैं आई हर तरफ है हंसी ठिठोले रंग-बिरंगे, जग-मग शोले परिवार को बांधे हर त्यौहार खुशियों की छाए जीवन में बहार सबके लिए हैं मनचाहे उपहार मीठे मीठे स्वादिष्ट पकवान कराता सबका मिलन हर साल दीपावली का पर्व सबसे महान आई रे आई जगमगाती रात है आई..
दिवाली पर कविता लिखना बहुत ही सौभाग्य की बात है। मैंने आप सभी के लिए बड़ी-बड़ी कविताएं लिखी हैं। आप इन कविताओं को पढ़िए और जल्द से जल्द अपने दोस्तों आदी में शेयर कीजिए। Diwali Poem in Hindi Language में लिखना बहुत ही आसान बात नहीं है लेकिन मैं फिर भी आपके लिए कुछ ना कुछ कविताएं लाता रहता हूं। तो उम्मीद करता हूँ कि आपको दिवाली पर कविता अच्छी लगेंगी।
अगर आपको Poems on Diwali in Hindi का मेरा ये लेख अच्छा लगा हो तो अपने मित्रों आदि में शेयर करना न भूलें। शेयर करने के लिए व्हाट्सएप्प, फेसबुक, ट्विटर आदि से कर सकते है। “धन्यवाद”
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Forwarded from someone, most appropriate poem
कुछ नन्हे दीपक लड़ते हैं, मावस के गहन अंधेरे से,
कुछ किरणें लोहा लेती हैं, तम के इक अनहद घेरे से
काले अम्बर पर होती है, आशाओं की आतिशबाज़ी
उत्सव में परिणत होती है, हर सन्नाटे की लफ़्फ़ाज़ी
उजियारे के मस्तक पर जब, सिन्दूरी लाली होती है
उस घड़ी ज़माना कहता है, बस यही दीवाली होती है
घर की लक्ष्मी इक थाली में, उजियारा लेकर चलती है
हर कोने, देहरी, चौखट को, इक दीपक देकर चलती है
दीवारें नए वसन धारें, तोरण पर वंदनवार सजें
आंगन में रंगोली उभरे, और सरस डाल से द्वार सजें
कच्ची पाली के जिम्मे आँखो की रखवाली होती है
उस घड़ी ज़माना कहता है, बस यही दीवाली होती है।
Good collection of diwali poem
दीपावली पर विशुद्ध हिंदी कविता बिल्कुल नयापन लिए हुए
*दीपक*
घोर अमावश की रातों में मै ज्योत जगाने आया हूं!!
खुद अग्नि की ज्वाला में तपकर, अपना फर्ज निभाने आया हूं!!
घोर अमावश की रातो में मै ज्योत जगाने आया हूं!!
ज्वलित द्रव्य और बाती के साथ एक नई अलक जगाने आया हूं!!
घोर अमावश रातो मै मै ज्योत जगाने आया हूं!!
अनंत शुभकामना संग दिवाली की हार्दिक बधाई!!
good