यह लेख विशेष रूप से आदरणीय महात्मा गांधी जी के उपर लिखा गया है. इस लेख में आपको Mahatma Gandhi Poem in Hindi का एक बेहतरीन संग्रह मिलेगा.
महात्मा गांधी जी के लिए जीतने शब्दों का प्रयोग किया जाए उतना भी कम है। महात्मा गांधी जी के लिए सबसे अच्छी कविता का सम्मेलन नीचे लिखा गया हैं.
यहां आपको महात्मा गांधी जी के लिए हिन्दी में सर्वश्रेष्ठ कविताओं का समूह मिलेगा.
महात्मा गांधी जी की कहानी में केवल यही नहीं बहुत कुछ पढ़ने को सीखने को मिलेगा.
महात्मा गांधी जैसे महान पुरुष का मिलना ही बहुत बड़ी बात हैं। कृपया करके Poem on Mahatma Gandhi के इस लेख को शेयर अवश्य करें.
आपके लिए: महात्मा गांधी पर निबंध | Mahatma Gandhi Essay in Hindi
Content in Hindi:
Content in English:
2 अक्टूबर खास बहुत है इसमें है इतिहास छिपा,
इस दिन गाँधी जी जन्मे थे दिया उन्होंने ज्ञान नया,
सत्य अहिंसा को अपनाओ इनसे होती सदा भलाई,
इनके दम पर गाँधी जी ने अंग्रेजों की फौज भगाई,
इस दिन लाल बहादुर जी भी इस दुनिया में आये थे,
ईमानदार और सबके प्यारे कहलाये थे,
नहीं भुला सकते इस दिन को ये दिन तो है बहुत महान,
इसमें भारत का गौरव है इसमें तिरंगे की शान हैं।
महात्मा गांधी जयंती पर हिंदी कविता
गौरों की ताकत बाँधी थी गांधी के रूप में आंधी थी,
बड़े दिलवाले फकीर थे वो पत्थर के अमिट लकीर थे वो,
पहनते थे वो धोती खादी रखते थे इरादें फौलादी,
उच्च विचार और जीवन सादा उनको प्रिय थे सबसे ज्यादा,
संघर्ष अगर तो हिंसा क्यों खून का प्यासा इंसा क्यों,
हर चीज का सही तरीका है जो बापू से हमने सिखा है,
क्रांति जिसने लादी थी सोच वो गाँधी वादी थी,
उन्होंने कहा करो अत्याचार थक जाओगे आखिरकार,
जुल्मों को सहते जाएंगे पर हम ना हाथ उठाएंगे,
एक दिन आएगा वो अवसर जब बाँधोगे अपने बिस्तर,
आगे चलके ऐसा ही हुआ गाँधी नारों ने उनको छुआ,
आगे फिरंग की बर्बाद थी और पीछे उनकी समाधि थी,
गौरों की ताकत बाँधी थी गाँधी के रूप में आंधी थी।
राष्ट्रपिता तुम कहलाते हो सभी प्यार से कहते बापू,
तुमने हमको सही मार्ग दिखाया सत्य और अहिंसा का पाठ पढ़ाया,
हम सब तेरी संतान है तुम हो हमारे प्यारे बापू।
सीधा सादा वेश तुम्हारा नहीं कोई अभिमान,
खादी की एक धोती पहने वाह रे बापू तेरी शान।
एक लाठी के दम पर तुमने अंग्रेजों की जड़ें हिलायी,
भारत माँ को आजाद कराया राखी देश की शान।
सच्चाई का लेकर शस्त्र और अहिंसा का लेकर अस्त्र,
तूने अपना देश बचाया गौरों को था दूर भगाया,
दुश्मन को भी प्यार दिया मानव पर उपकार किया,
गाँधी करते तुझे नमन तुम्हें चढ़ाते प्रेम सुमन।
आँखों पर चश्मा हाथ में लाठी और चेहरे पर मुस्कान,
दिल में था उनके हिंदुस्तान,
अहिंसा उनका हथियार था,
अंग्रेजों पर भारी जिसका वार था,
जात-पात को भुला कर वो जीना सिखाते थे,
सादा हो जीवन और अच्छे हो विचार,
बड़ो को दो सम्मान और छोटो को प्यार,
बापू यही सबको बताते थे,
लोगों के मन से अंधकार मिटाते थे,
स्वच्छता पर वे देते थे जोर,
माँ भारतीय से जुड़ी थी उनकी दिल को डोर,
ऐसी शख्सियत को हम कभी भूला ना पाएंगें,
उनके विचारों को हम सदा अपनायेंगे।
माँ खादी की चादर दे दो मैं गाँधी बन जाऊँगा,
सभी मित्रों के बीच बैठकर रघुपति राघव गाऊंगा,
निक्कर नहीं धोती पहनूँगा खादी की चादर ओढुंगा,
घड़ी कमर में लटकाऊँगा सैर-सवेरे कर आऊँगा,
कभी किसी से नहीं लडूंगा और किसी से नहीं डरूंगा,
झूठ कभी भी नहीं कहूँगा सदा सत्य की जय बोलूँगा,
आज्ञा तेरी मैं मानूंगा सेवा का प्रण मैं ठानूंगा,
मुझे रूई की बुनी दे दो चरखा खूब चलाऊंगा,
गाँव में जाकर वहीँ रहूँगा काम देश का सदा करूँगा,
सब से हँस-हँस बात करूँगा क्रोध किसी पर नहीं करूँगा,
माँ खादी की चादर दे दो मैं गाँधी बन जाऊंगा।
गांधीजी का चश्मा अद्भुत् और निराला,
देखा जिसने स्वतंत्र भारत का भविष्य उजियाला,
गांधीजी के चश्मे ने देखी कई अनोखी बातें,
हम भी सोचे और समझे और अपनाये,
उनकी दी हुई सिखे।
सच्चाई की राह पर चलकर ही मिसाल बन सकते हो,
तलवार और बंदूक बिना भी बुराई से लड़ सकते हो,
भीड़ की तरह बनने की जरूरत नहीं,
जज्बा है तुममें भी तो अकेले ही दुनिया बदल सकते हो।
जरूरी अगर है ईश्वर की भक्ति,
तो उतनी है जरूरी है स्वच्छता और सादगी।
कपड़े बदलने से भीतर नहीं बदलेगा,
बुरा न देखो, बुरा ने बोलो, बुरा ने सुनने से बदलेगी जिंदगी।
दो अक्टूबर प्यारा दिन बापू जन्मे थे इस दिन,
अट्ठारह सौ उनहत्तर वर्ष प्यारा सबसे न्यारा दिन,
सत्य मार्ग पर चलते थे नहीं किसी से डरते थे,
हक़ की खातिर दृढ़ होकर अनशन भी वो करते थे,
रूई से सूत बनाते थे चरखा नित्य चलाते थे,
अपनाओ उत्पाद स्वदेशी सबको यही सिखलाते थे,
शांति अहिंसा को अपनाया सत्य प्रेम जग में फैलाया,
हिंसा से जो दूर रहे कायर नहीं ये समझाया।
वैष्णव जन तो तेने कहिये गाकर पीड़ा भोगी,
ईश्वर अल्लाह तेरा नाम भजकर हुआ वियोगी,
कुछ कहते है भारत की आत्मा कुछ कहते है संत,
बापू से बन गया महात्मा साबरमती का संत,
सत्य अहिंसा की मूरत वह चरखा खादी वाला,
आजादी के रंग में जिसने जग को ही रंग डाला।
आजादी के आप पुरोधा भारत की पहचान हो बापू,
नाम तुम्हारा सदा अमर है सूरज की संतान हो बापू,
सदा सत्य के रहे पुजारी करुणा की जलधार हो बापू,
दिनों के तो सेवक हो और दुखियों के भरतार हो बापू,
जन्म दिवस पर कोटि नमन हर साँस तुम्हें अर्पण हो बापू,
सदा तुम्हारी कीर्ति शेष है हर युग का दर्पण हो बापू,
आजादी के आप पुरोधा भारत की पहचान हो बापू,
नाम तुम्हारा सदा अमर है सूरज की सन्तान हो बापू।
सत्य अहिंसा के ये पुजारी दोनों शस्त्र थे इनके भारी,
दिमाग से ऐसा काम लिया हारी शत्रु की सेना सारी,
इनको लगा ना बिलकुल डर जबकि शत्रु था ताकतवर,
बड़े गजब के थे नुस्खे भागा दुश्मन घर अपने,
किया विदेशी को मजबूर भगा उन्होंने बाजी मारी,
दिमाग से ऐसा काम लिया हारी शत्रु की सेना सारी।
भारतमाता, अंधियारे की,
काली चादर में लिपटी थी।
थी, पराधीनता की बेड़ी,
उनके पैरों से, चिपटी थी।
था हृदय दग्ध, धू-धू करके,
उसमें, ज्वालाएं उठती थीं।
भारत मां के, पवित्र तन पर,
गोरों की फौजें, पलती थीं।
गुजरात राज्य का, एक शहर,
है जिसका नाम पोरबंदर।
उस घर में उनका जन्म हुआ,
था चमन हमारा धन्य हुआ।
दुबला-पतला, छोटा मोहन,
पढ़-लिखकर, वीर जवान बना।
था सत्य, अहिंसा, देशप्रेम,
उसकी रग-रग में, भिदा-सना।
उसके इक-इक आवाहन पर,
सौ-सौ जन दौड़े आते थे।
सत्य-अहिंसा दो शब्दों के,
अद्भुत अस्त्र उठाते थे।
गोरों की, काली करतूतें,
जलियावाले बागों का गम।
रह लिए गुलाम, बहुत दिन तक,
अब नहीं गुलाम रहेंगे हम।
जुलहे, निलहे, खेतिहर तक,
गांधी के पीछे आए थे।
डांडी, समुद्र तट पर आकर,
सब अपना नमक बनाए थे।
भारत छोड़ो, भारत छोड़ो,
हर ओर, यही स्वर उठता था।
भारत के, कोने-कोने से, वह मौन, ‘सत्य का आग्रह’ था,
जिसमें हिंसा, और रक्त नहीं।
मानवता के, अधिकारों की,
थी बात, शांति से कही गई।
गोलों, तोपों, बंदूकों को,
चुप सीने पर, सहते जाना।
अपने सशस्त्र दुश्मन पर भी,
बढ़कर आघात नहीं करना।
सच की, ताकत के आगे थी,
तोपों की हिम्मत हार रही।
सच की ताकत के, आगे थी,
गोरों की सत्ता, कांप रही।
हट गया ब्रिटिश ध्वज अब फिर से,
आजाद तिरंगा लहराया।
अत्याचारों का, अंत हुआ,
गांधी का भारत हर्षाया।
नित्य नए आनंद और फिर, पढ़ने की बेला आई।।
उम्र अभी छोटी ही थी पर, पिता स्वर्ग सिधार गए।
करके मैट्रिक पास यहां, फिर मोहन भी इंग्लैंड गए।।
पढ़-लिख मोहन हो गए, बुद्धिवान-गुणवान।
ज्ञानवान, कर्तव्य प्रिय, रखे आत्मसम्मान।।
जिसको पाकर……………………………………….।।1।।
दक्षिण अफ्रीका में लड़ने को, एक मुकदमा था आया।
पगड़ी धारण करके गांधी, उस वक्त अदालत में आया।।
कितनी उंगली उठीं कोई, गांधी को न झुका पाया।
मैं भारतवासी हूं, संस्कृति का, मान मुझे प्यारा।।
थे रोज देखते, कालों का, अपमान वहां होता रहता।
यह देख-देखकर मोहन का मन, जार-जार रोता रहता।।
तभी एक दिन ठान ली, दूर करूं अन्याय।
चाहे कुछ करना पड़े, दिलवाऊंगा न्याय।।
जिसको पाकर……………………………………….।।2।।
कितने ही आंदोलन करके, गांधी ने बात बढ़ाई थी।
जितने भी काले रहते थे, उन सबकी शान बढ़ाई थी।।
फिर भारत में वापस आकर, वे राजनीति में कूद पड़े।
प्रथम युद्ध में, शामिल होकर अंग्रेजों के साथ रहे।।
अंग्रेजों का यह कहना था, यदि विजय उन्हें ही मिल जाए।
तो भारत को आजाद करें, और अपने वतन पलट जाएं।।
लेकिन हमको क्या मिला, जलियांवाला कांड।
सुनकर के जिसकी व्यथा, कांप उठा ब्राह्मण।।
जिसको पाकर……………………………………….।।3।।
नमक और भारत छोड़ो आंदोलन को, फिर अपनाया।
फिर शामिल होकर गोलमेज में, भारत का हक बतलाया।।
भारत छोड़ो का नारा अब, घर-घर से उठता आता था।
इस नारे को सुन-सुनकर अब, अंग्रेज राज थर्राता था।।
सारे नेता जेलों में थे, कर आजादी का गान रहे।
हो प्राण निछावर अपने पर, इस मातृभूमि का मान रहे।।
देख यहां की स्थिति, समझ गए अंग्रेज।
यह फूलों की है नहीं, यह कांटों की सेज।।
जिसको पाकर……………………………………….।।4।।
पन्द्रह अगस्त सैंतालीस को, भारत प्यारा आजाद हुआ।
दो टुकड़ों में बंट गया, यही सुख-दु:ख पाया था मिला-जुला।।
दंगे-फसाद थे शुरू हुए, हर गली-गांव कुरुक्षेत्र हुआ।
गांधी बाबा ने अनशन कर, निज प्राण दांव पर लगा दिया।।
फिर 30 जनवरी आई वह, छ: बजे शाम की बात रही।
प्रार्थना सभा में जाते थे, बापू को गोली वहीं लगी।।
डूबे सारे शोक में, गांधी महाप्रयाण।
धरती पर सब कर रहे, बापू का गुणगान।।
जिसको पाकर……………………………………….।।5।।
मैया मेरे लिए मँगा दो छोटी धोती खादी की,
जिसे पहन मैं नकल करूँगा प्यारे बाबा गाँधी की।
आँखों में चश्मा पहनूँगा कमर पर घडी लटकाऊँगा,
छड़ी हाथ में लिये हुये मैं जल्दी जल्दी आऊँगा,
लाखों लोग चले आयेंगें मेरे दर्शन पाने को,
बैठूँगा जब बीच सभा में अच्छी बात सुनाने को।
दोस्तों उम्मीद करता हूँ कि आपको ये महात्मा गांधी पर कविता पढ़ने में बहुत मजा आया होगा.
आपको बता दूँ की इन सभी कविताओं में एक भी कविता ऐसी नहीं है जिसे मैंने खुद से लिखा हो | ये सब बहुत बड़े बड़े कवियों के द्वारा लिखी गयी है.
इन कविताओं का समूह मुझे सोशल मीडिया से मिल गया था तो मैंने गांधी जी की कविताओं का संग्रह आपके सामने रखा है.
उम्मीद करता हूँ की गांधी जी की इन खूबसूरत कविताओं (Mahatma Gandhi Poem in Hindi) को पढ़ कर आपको बहुत मजा आया होगा.
देरी न कीजिये, इन कविता को अन्य सभी लोगों के साथ शेयर करना ना भूले.
धन्यवाद..!
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