नरेंद्र मोदी का जीवन परिचय: नरेंद्र मोदी हमारे भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री हैं। 30 मई, 2019 को, दूसरे कार्यकाल के लिए, उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली।
नरेंद्र मोदी का पूरा नाम नरेंद्र दामोदरदास मोदी है। वह प्रेरणा का एक व्यक्तित्व है जो एक गरीबी से ग्रस्त चाय बेचने वाले लड़के से विकास-उन्मुख नेता तक पहुंचा।
आइए पढ़ते हैं नरेंद्र मोदी की जीवनी के बारे में जो उनके प्रारंभिक जीवन, परिवार, शिक्षा, राजनीतिक करियर, पुरस्कार और मान्यता, उनके द्वारा लिखित पुस्तकों आदि के बारे में दर्शाते हैं।
नाम | नरेंद्र दामोदरदास मोदी |
जन्म | 17 सितम्बर 1950 वड़नगर, गुजरात, भारत |
माता-पिता | श्री दामोदरदास मूलचंद मोदी (पिता), हीराबेन मोदी (माता) |
पत्नी | श्रीमती जसोदा बेन चमनलाल |
भाई | सोमाभाई मोदी, अमृत मोदी, प्रहलाद मोदी, पंकज मोदी |
बहन | वासंती |
मोदी जी का कद | 170 से.मी. /5’7″फुट |
आँखों का रंग | काला |
राशी | कन्या |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
राजनीतिक दल | भारतीय जनता पार्टी |
शैक्षिक सम्बद्धता | दिल्ली विश्वविद्यालय गुजरात विश्वविद्यालय |
धर्म | हिन्दू |
प्रधानमंत्री पद | 15वें प्रधानमंत्री |
कार्यालय ग्रहण | 26 मई 2014 |
वेबसाइट | www.narendramodi.in |
योगी आदित्यनाथ का इतिहास | अरविंद केजरीवाल बायोग्राफी |
एपीजे अब्दुल कलाम की जीवनी | जवाहरलाल नेहरू का जीवन परिचय |
नरेंद्र मोदी की जीवनी: 17 सितम्बर 1950 को वडनगर मेहसाना डिस्टिक (बाम्बे) में नरेंद्र मोदी का जन्म हुआ। नरेंद्र मोदी के पिता का नाम दामोदरदास मूलचंद मोदी एवं माता का नाम हीराबेन मोदी है।
नरेंद्र मोदी के पिता एक साधारण तैलीय जाति के व्यक्ति थे। जिनकी 6 संताने थी जिनमें तीसरें नरेंद्र मोदी थे। नरेंद्र मोदी अपने पिता के साथ रेलवे स्टेशन पर चाय का स्टॉल लगाते थे उन्हें पढ़ने का बहुत शौक था पर उनके शिक्षक के अनुसार वे कुशल वक्ता थे।
वाद-विवाद में नरेंद्र मोदी को कोई पकड़ नहीं सकता था। मोदी जी ने वडनगर के एक स्कूल से पढ़ाई पूरी की थी और सन् 1980 में गुजरात के विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में ग्रेजुएशन (graduation) पूरी की और उस समय वो RSS के प्रचारक भी थे।
BBC के एक लेख के अनुसार नरेंद्र मोदी घांची जाति के हैं।
उनकी सगाई 13 वर्ष में जसोदा बेन चमनलाल (narendra modi wife name) से हो गयी थी और उनकी शादी 17 वर्ष की उम्र में हो गयी थी।
शादी के बाद The Financial Express की खबर के अनुसार वो दोनों साथ में कई वर्ष तक रहे और बाद में अलग अलग रहने लगे जिसमें केवल नरेंद्र मोदी की इच्छा थी। और कुछ लेखकों का कहना है की “उन दोनों की शादी जरूर हुई परन्तु वे दोनों कभी एक साथ नहीं रहे”।
शादी के कुछ वर्षों बाद मोदी जी ने घर का त्याग कर दिया था और एक तरीके से उनका वैवाहिक जीवन समाप्त ही हो गया था।
मोदी जी की इस शादी वाली बात पर बड़ा बखेड़ा हुआ था। हालाँकि उन्होंने पिछले चार विधान सभा चुनावों में अपनी बीती हुई शादीशुदा जिंदगी के बारे में कभी जिक्र भी नहीं किया है और उनका कहना है कि शादीशुदा जिंदगी की बात ना बता कर उन्होंने कोई पाप नहीं किया है।
उनका मानना है कि एक शादीशुदा के मुकाबले बिना शादी वाला व्यक्ति भ्रष्टाचार से ज्यादा लड़ सकता है क्योंकि उसे अपनी पत्नी और बच्चों की कोई चिंता नहीं रहती है और वो भ्रष्टाचार के खिलाफ आसानी से लड़ सकता है और तो और उन्होंने शपथ पत्र दिखा कर, जसोदा बेन को अपनी पत्नी स्वीकारा है।
प्रधानमंत्री योजना के बारे में बात करें तो नरेंद्र मोदी जी का बचपन बड़ी ही गरीबी में गुजरा। उनके पिता जी की चाय की दुकान थी और उनकी माँ दूसरों के घरों में बर्तन साफ किया करती थीं! दो वक्त का खाना भी बहुत मुश्किल से मिलता था।
मोदी जी बहुत छोटे एवं कच्चे घर में उनका बचपन बीता। उनका जीवन बहुत संघर्ष वाला था उन्होंने अपने बचपन में ही बहुत उतार चढ़ाव देखे थे।
वह बचपन से ही स्वामी विवेकानंद के विचारों को अपना आदर्श मानते थे। और उन्हें बचपन से ही पढ़ने का बहुत शोक था। कुछ पारिवारिक समस्या के कारण 1967 में 17 वर्ष की आयु में घर छोड़ दिया।
वह घर छोड़ने के बाद कई आश्रम और मठ में अपना जीवन व्यतीत करने लगे। इन्ही दिनों में उन्होंने बहुत दुनिया देख ली थी। बहुत सोच विचार के बाद ये दो वर्ष बाद वापस घर आ गये।
इन सबके बाद मोदी जी (R.S.S.) आर.एस.एस. के सदस्य बने और फिर उन्होंने काम बहुत ईमानदारी से किया, लेकिन इन सबके बावजूद भी उन्होंने पढ़ाई जारी रखी और पॉलिटिक्स में डिग्री हासिल की। वह लोगो की समस्याओं, उनकी मुसीबतों को सुनते और दूर करने की कोशिश करते।
नरेंद्र मोदी का राजनीतिक सफर
वे विश्वविद्यालय पड़ते समय वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा में जाने लगे थे। उन्होंने शुरुआत से ही राजनीतिक में अपनी रूचि दिखाई और भारतीय जनता पार्टी का जनाधार मजबूत करने की प्रमुख भूमिका दिखाई।
गुजरात में “शंकर सिंह वाघेला” का जनाधार मोदी जी की वजह से बहुत मजबूत हो गया था।
अप्रैल 1990 में केंद्र में मिली जुली सरकारों का समय आया और मोदी जी की महमंत ने रंग दिखाया “भारतीय जनता पार्टी” ने अपने बलबूते दो तिहाई बहुमत प्राप्त कर 1995 में अपनी सरकार बनाई और उस समय दो राष्ट्रीय घटना हुई।
पहली घटना में हुआ ये की आडवाणी जी ने सोमनाथ से लेकर अयोध्या तक की रथ यात्रा निकाली जिसमें प्रमुख सारथी का काम मोदी जी ने किया और इसी प्रकार कन्याकुमारी से लेकर सुदूर उत्तर में स्थित कश्मीर तक की मुरली मनोहर जोशी ने रथ यात्रा भी मोदी की देखरेख में ही हुई।
इसके बाद “शंकर सिंह वाघेला” ने पार्टी से त्यागपत्र दिया और केशुभाई पटेल को गुजरात का मुख्यमंत्री बना दिया गया और मोदी जी को दिल्ली बुलाकर भाजपा में संगठन की दृष्टि से केन्द्रीय मंत्री बना दिया गया।
1995 में मोदी जी को प्रमुख पांच राज्यों में पार्टी संघटन का काम दिया गया जिसे मोदी जी ने किया भी।
1998 में उन्हें राष्ट्रीय महामंत्री संगठन सौंपा गया और उस पद पर 2001 तक मोदी ने काम किया और 2001 में केशुभाई को हटा कर मुख्यमंत्री के पद पर मोदी जी को मुख्यमंत्री बना दिया गया।
गुजरात में मोदी जी का काम मुख्यमंत्री के रूप में:
केशु भाई की तबीयत कुछ खराब होने लगी थी और भाजपा चुनाव में कई सीटें हार चुकी थी जिसके कारण उन्हें 2001 में मोदी जी को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुख्यमंत्री के रूप में उम्मीदवार बनाया।
हालाँकि मोदी जी चाहते थे की गुजरात की पूरी जिम्मेदारी उन्हीं को मिले जिसके कारण पटेल के उप मुख्यमंत्री बनने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था और अटल बिहारी बाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी से कहा की:
अगर मुझे मुख्यमंत्री बनाना है तो अकेले का बनाओं जिस कारण 03 अक्टूबर 2001 को यह मुख्यमंत्री बने और 2002 में होने वाले चुनाव की पूरी जिम्मेदारी उन्हीं पर थी।
07 अक्टूबर 2001 को मुख्यमंत्री कार्यकाल का पहला दिन शुरू था और इसके बाद मोदी जी ने राजकोट चुनाव लड़ा और कांग्रेस पार्टी के अश्विन मेहता को 14728 मतों से हारना पड़ा।
नरेंद्र मोदी जी वैसे तो अपने कर्मशील व्यव्हार के लिए जाने जाते हैं और उन्होंने गुजरात में भी कई हिंदु मंदिरों को तोड़ने में कोई हस्तक्षेप नहीं किया क्योंकि वो मंदिर क़ानूनी कायदे से दूर थे।
इस हरकत से उन्हें विश्व हिन्दू परिषद जैसे संगठन से भला बुरा सुनने को मिला। उन्होंने कोई परवाह नहीं की क्योंकि उन्हें लगता है कि वह सही कर रहे हैं।
उन्हें कुर्ता पजामा पहनना बहुत अच्छा लगता है पर कभी-कभी सूट भी पहन लेते हैं। वैसे उनकी मातृभाषा गुजराती है पर वे हिंदी और अंग्रेजी भाषा भी बोल लेते हैं।
मोदी जी की देखरेख में 2012 में हुए गुजरात विधान सभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने बहुमत प्राप्त किया और भाजपा को इस बार 115 सीटें मिली।
मुख्यमंत्री होने के बाद मोदी जी ने गुजरात में विकास किया व उनकी योजना निम्नलिखित हैं।
मोदी ने आदिवासियों के लिए विकास किये
“आतंकवाद युद्ध से भी बदतर है। एक आतंकवादी के कोई नियम नहीं होते । एक आतंकवादी तय करता है की कब, कैसे कहाँ और किसे मारना है। भारत ने युद्धों की तुलना में आतंकी हमलों में अधिक लोगों को खोया है।” – मोदी जी ने कहा
18 जुलाई 2006 को मोदी ने एक भाषण में आतंकवाद निरोधक अधिनियम जैसे आतंकवाद विरोधी विधान लाने के खिलाफ उनकी नामंजूरी को लेकर भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की आलोचना की.
मुंबई की उपनगरीय रेलों में हुए बम विस्फोट हुआ था जिसके कारण उन्होंने केन्द्र सरकार से राज्यों को सख्त कानून लागू करने के लिए मांग की।
गुजरात में हुए दंगों के बारे में
27 फरवरी 2002 को अयोध्या से गुजरात वापस लौट कर आ रहे कारसेवकों को गोधरा स्टेशन पर खड़ी ट्रेन को मुसलमानों की खतरनाक भीड़ ने आग लगा कर जला दिया था जिसमे 59 कारसेवक मारे गए थे।
जिसके कारण पुरे गुजरात में हिन्दू मुस्लिम में दंगे भड़क चुके थे। जिसमें मरने वालों की संख्या करीब 1180 थी और अल्पसंख्यक लोग ज्यादा थे।
इस घटना पर न्यूयॉर्क टाइम्स ने मोदी प्रशासन को दोषी ठहराया और कांग्रेस और विपक्षी दलों ने नरेंद्र मोदी को जिम्मेदार ठहराया और इस्तीफे की मांग की।
मोदी ने गुजरात की दसवीं विधानसभा भंग होने पर अपना त्यागपत्र राज्यपाल को दे दिया और पुरे देश में राष्ट्रपति को शासन करना पड़ा, दुबारा चुनाव हुए जिसमे भारतीय जनता पार्टी ने मोदी जी के नेत्रत्व में विधान सभा की कुल 182 सीटों में से 127 सीटों पर जीत हांसिल हुई।
2002 अप्रैल में भारत के उच्चतम न्यायलय ने विशेष जाँच भेजी ताकि पता चल सके की इसके पीछे मोदी का हाथ तो नहीं था।
ये जांच केवल दल दंगों में मारे गए कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी की विधवा जाकिया जाफरी की शिकायत पर किया थे| “विशेष जाँच दल” (special investigation team) की रिपोर्ट पर ये पता चला की नरेंद्र मोदी ने कुछ भी नहीं किया.
उसके बाद 2011 फरवरी में टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने कहा की रिपोर्ट में कुछ बातें छुपाई गयी है और बिना सबूतों के मोदी को अपराध से छुटकारा नहीं मिल सकता.
इंडियन एक्सप्रेस का भी यही कहना था | और द हिन्दू में प्रकाशित रिपोर्ट में यह कहा गया है की मोदी ने ना केवल बहुत बड़े युद्ध को रोका बल्कि प्रतिक्रिया स्वरुप उठे गुजरात के दंगों में मुस्लिम उग्रवादियों के मारने को सही बताया है.
BJP ने मांग की विशेष जाँच दल (S.I.T.) की रिपोर्ट को लिक करके प्रकाशित करवाया गया और इसमें कांग्रेस का हाथ था और इसकी भी जांच उच्चतम न्यायलय द्वारा की जाए.
सुप्रीम कोर्ट ने अहमदाबाद के ही एक मजिस्ट्रेट को इसकी जांच करने के लिए कहा | 2012 अप्रैल में फिर एक विशेष जांच के दल ने साबित किया की मोदी जी का दंगों में कोई प्रत्यक्ष हाथ नहीं है.
07 मई 2012 को उच्चतम न्यायलय द्वारा नियुक्त जज राजू रामचंद्रन ने रिपोर्ट में कहा है की गुजरात में हुए दंगों में यदि मोदी का हाथ है तो उन्हें भारतीय दंड संहिता की धारा 153 ए (1)(क)व् (ख), 153 बी (1), 166 तथा 505 (2) के अंतर्गत सभी समुदायों के दुश्मनी की भावना फ़ैलाने के अपराध में दण्डित किया जा सकता है.
26 जुलाई 2012 को नई दुनिया के लेखक शाहिद सिद्दीकी ने मोदी का इंटरव्यू लिया जिसमे मोदी ने कहा की “जैसा की में पहले भी कह चूका हूँ की 2002 में हुए दंगों के पीछे मेरा कोई हाथ नहीं है| और उसके लिये मैं माफी क्यों मांगू? और यदि मेरी सरकार ने ऐसा किया है तो मुझे फांसी दे दो”
मुख्यमंत्री ने गुरूवार को नई दुनिया में कहा है की अगर मोदी गुनाहगार हैं तो उन्हें फांसी दे दो।
मोदी जी का कहना था की कब तक गुजरे जमाने को लिए बैठे रहोगे? ये क्यों नहीं दिखाई देता कि पिछले एक दशक में गुजरात ने कितने तरक्की की है ? और इस तरक्की का फायदा तो मुस्लिम परिवार को भी हुआ है.
केन्द्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद से इस बात पर पूछा गया तो उन्होने कहा की “पिछले 12 वर्षों मैं एक बार भी गुजरात के मुख्यमंत्री के खिलाफ एफ़०आई०आर० (FIR) दर्ज नहीं हुई है तो आप उन्हें दोषी कैसे ठहरा सकते हो ? उन्हें कोन फांसी देने जा रहा है?
बाबरी मस्जिद के लिए 45 वर्षों से मुकदमा लड़ रहे मोहम्मद हाशिम अंसारी (92 वर्ष) का भी यही कहना है की नरेंद्र मोदी जी के प्रान्त गुजरात में मुस्लमान खुशहाल हैं और समृद्ध भी हैं | और कांग्रेस हमेशा ही मुस्लिमों में मोदी को ले कर भय पैदा करती है.
2014 सितम्बर में ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री टोनी अबात ने कहा की मोदी जी को 2002 के दंगों के लिए दोषी नहीं ठहराना चाहिए क्यूंकि वो मात्र एक आधिकारी थे जो “अनगिनत जांच में पाक साफ़ साबित हुए हैं|”
भाजपा कार्यसमिति द्वारा गोवा मैं नरेंद्र मोदी को 2014 को लोक सभा चुनाव अभियान की कमान सौंपी गयी थी| 13 सितम्बर 2013 को संसदीय बोर्ड की बैठक मैं लोकसभा के चुनावों के लिए प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया गया.
उस समय बड़े नेता लालकृष्ण आडवाणी मौजूद नहीं थे तो पार्टी के अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने घोषणा की| और मोदी ने चुनाव अभियान की कमान राजनाथ सिंह को सोंप दी.
प्रधानमंत्री के पद का उम्मीदवार मोदी को बनाया गया और पहली रैली हरियाणा से रिवाड़ी शहर पहुंची | सांसद प्रत्याशी के रूप में उन्होंने देश की दो लोकसभा सीटों वाराणसी तथा वडोदरा से चुनाव लड़ा और निर्वाचन क्षेत्रों से विजयी भी हुए.
नरेंद्र मोदी का जीवन परिचय “लोक सभा चुनाव (2014) में मोदी की स्थिती”
समाचार चैनलों व समाचार पत्रों द्वारा किये गए सर्वेक्षणों में मोदी पहली पसंद थे जो की प्रधानमंत्री बनने के लिए सही भी थे| सितम्बर 2016 में निलसन होल्डिंग और इकोनोमिक्स टाइम्स के अनुसार 100 भरतीय कॉरपोरेट्स में से 74 कारपोरेट्स ने नरेंद्र मोदी तथा 7 ने राहुल गांधी को बेहतर प्रधानमंत्री बताया.
एक इंटरव्यू के दौरान नोबल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमृत्य सैन मोदी को बेहतर प्रधानमंत्री नहीं मानते हैं | इसके बावजूद जगदीश भगवती और अरविन्द पानगडिया को मोदी जी का अर्थशास्त्र अच्छा लगता है.
योग गुरु स्वामी रामदेव और कथावाचक मुरारी बापू ने नरेंद्र मोदी को सही कहा है.
प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी जी ने पुरे भारत का भ्रमण किया | और तब 3 लाख किलोमीटर की यात्रा की |
पुरे देश में 437 बड़ी चुनावी रैलियों में, 3 डी सभाएं (चलचित्र) व चाय पर चर्चा आदि को मिलाकर कुल 5827 कार्यकर्म किये|
26 मार्च 2017 को चुनाव अभियान की शुरुआत माँ वैष्णो देवी के आशीर्वाद के साथ जम्मू से की और समापन मंगल पाण्डेय की जन्मभूमि बलिया में किया.
चुनाव का परिणाम:
राष्ट्रिय गठबंधन 336 सीटें जीतकर सबसे बड़े दल के रूप में उभरा और भारतीय जनता ने उनमे से 282 सीटों की जीत हांसिल की और कांग्रेस ने कुल 44 सीटों पर सिमट कर रह गयी और उसके गठबंधन को केवल 15 सीटों से ही संतोष करना पड़ा.
नरेंद्र मोदी स्वतंत्र भारत में जन्म लेने वाले ऐसे व्यक्ति हैं जो सन् 2001 से 2014 तक लगभग 13 साल गुजरात के 14 वें मुख्यमंत्री रहे ओर हिंदुस्तान के 15वे प्रधानमंत्री बने.
नेता प्रतिपक्ष चुनाव हेतु विपक्ष को एकजुट होना ही पड़ेगा क्योंकि किसी भी एक दल ने कुल लोकसभा सीटों के 10 प्रतिशत का आंकड़ा भी नहीं छुआ है.
20 मई 2014 को संसद भवन में भारतीय जनता द्वारा आयोजित भाजपा संसदीय दल एवम सहयोगी दलों की एक संयुक्त बैठक में जब लोग आ रहे थे तब मोदी जी ने अन्दर पैर रखने से पहलें संसद भवन को जमीन से छु कर नमस्ते किया जैसे की मंदिर में घुसने से पहले लोग मंदिर की सिडीयों को छुते हैं.
संसद भवन में पहले कभी ऐसा किसी ने नहीं किया और ये सभी के लिये एक सिख है | उस बैठक में मोदी को न केवल भाजपा संसदीय दल अपितु एनडीए का भी नेता चुना गया.
राष्ट्रियपति ने नरेंद्र मोदी जी को भारत का 15वा प्रधानमंत्री नियुक्त करते हुए इसका विधिवत पत्र सौंपा | सोमवार 26 मई 2014 को नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली |
वडोदरा सीट से इस्तीफा क्यों दिया?
नरेंद्र मोदी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में सबसे अधिक अंतर से जीती गुजरात के वड़ोदरा सीट को त्याग दिया और उत्तर प्रदेश की वाराणसी सीट का प्रतिनिधत्व करने का फैसला किया और घोषणा की कि गंगा की सेवा के साथ इस प्राचीन नगरी का विकास करेंगे.
प्रधानमंत्री के रूप में: (मोदी का शपथ ग्रहण समारोह)
नरेंद्र मोदी का 26 मई 2014 से भारत में 15वें प्रधानमंत्री का कार्यकाल राष्ट्रियपति भवन में आयोजित शपथ लेने के बाद शुरू हुआ | और मोदी जी के साथ 45 नेताओं ने भी गोपनीयता की शपथ ली.
मोदी जी के साथ 46 में से 36 ने हिंदी में शपथ ली और 10 ने अंग्रेजी में शपथ ली इस सामारोह में अलग अलग देशों के राजनीतिक पार्टियों के प्रमुख लोगों सहित सार्क देशों के राष्ट्रअध्यक्षों को भी बुलाया गया था.
सार्क देशों के मुख्य लोगों के नाम जो समारोह में थे |
अफगानिस्तान | हामिद करजई (राष्ट्रपति) |
बांग्लादेश | शिरीन शर्मिन (संसद की अध्यक्ष) |
भूटान | शेरिंग तोबगे (प्रधानमंत्री) |
मालदीव | अब्दुल्ला यामीन अब्दुल गयूम (राष्ट्रपति) |
मोरिशस | नवीनचंद्र रामगुलाम (प्रधानमंत्री) |
नेपाल | सुशील कोइराला (प्रधानमंत्री) |
पाकिस्तान | नवाज शरीफ (प्रधानमंत्री) |
श्रीलंका | महिन्दा राजपक्षे (प्रधानमंत्री) |
समारोह से संबंधित मतभेद:
ऑल इण्डिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (अन्ना द्रमुक) और राजग का घटक दल, मरुमचार्ली द्रविड़ मुनेत्र कझगम (MDMK) नेताओं ने नरेंद्र मोदी सरकार के श्रीलंकाई प्रधानमंत्री को बुलाने के फैसले को गलत बताया.
MDMK प्रमुख वाईको, मोदी से मिले और निमंत्रन का फैसला बदलवाने की कोशिश की, साथ में कांग्रेस नेता ने उनका विरोध किया | और साथ में श्रीलंका और पाकिस्तान ने भारतीय मछुवारों को रिहा किया | और मोदी ने आने वालों का स्वागत किया.
समारोह में सभी राज्यों के मुख्यमंत्री को बुलाया गया था| और कर्णाटक के मुख्यमंत्री, सिधारर्मैया (कोंग्रेस) और केरल के मुख्यमंत्री, उम्मन चांदी (कोंग्रेस) ने आने से मना कर दिया.
तमिलनाडू की मुख्यमंत्री जयललिता ने भी आने से मना कर दिया और प० बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी ने अपनी जगह मुकुल रॉय और अमित मिश्रा को भेजा.
वडोदरा में एक चाय बेचने वाला किरण महिदा, जिन्होंने मोदी की उम्मीदवारी प्रस्तावित की थी उनको भी बुलाया गया था, और मोदी जी की माँ और अन्य तीन भाइयों ने ये कार्यकर्म टीवी पर लाइव देखा।
“लोगों का आशीर्वाद आपको अथक परिश्रम करने की शक्ति देता है। केवल आवश्यक चीज प्रतिबद्धता है।” – नरेंद्र मोदी
कुछ नीतियां हैं जानने योग्य पढियेगा जरूर!
घरेलू नीति:
आम लोगों को जोड़ने की पहल
“मन की बात” नामक कार्यक्रम से लोगों तक अपनी बातों को पहुचाना और लोगों की बातों को जानना उन्हें अपने द्वारा चलाई गयी योजनाओं से जुड़ने के लिए प्रेरित करना.
सम्मान और पुरस्कार
नरेंद्र मोदी जी हमारे प्रधानमंत्री है ये तो सभी जानते ही है लेकिन किसी को पता भी है कि हमारे प्रधानमंत्री जी की विश्व भर में बहुत ही प्रशंसा मिली है क्योंकि नरेंद्र मोदी जी प्रधानमंत्री के पद पर सम्पूर्ण भारत के लिए सोच रहे है। नरेंद्र मोदी जी प्रत्येक दिन प्रत्येक सुबह 04 बजे उठ कर योगा करते है उनका मानना है कि एक अच्छे दिन की शुरुआत योगा से ही होती है।
नरेंद्र मोदी जी बचपन से ही भारत की सोचते रहे है और उन्होंने अपने बचपन से ही अनुशासन को माना है और नरेंद्र मोदी जी ने पढ़ाई के साथ साथ अपने स्वास्थ पर भी ध्यान दिया है और उन्होंने अपने दिनचर्या में अपने खान पान और अपने स्वास्थ से संबंधित चीजों को डाला है।
नरेंद्र मोदी जी को सुबह की शैर करना बहुत पसंद है। मोदी जी को एक समुन्द्र के किनारे कुढ़े को उठाता देखा गया है। इस वीडियो में उन्होंने भारत को साफ रखने के लिए जो कदम उठाया है उसकी वजह से पूरे भारत में और सम्पूर्ण विश्व में ये बात समझी जा सकती है कि साफ सफाई रखने के लिए किसी न किसी को कदम तो उठाना ही पड़ेगा।
आज सम्पूर्ण विश्व में कोरोना की लड़ाई में सम्पूर्ण विश्व लड़ाई कर रहा है। ऐसे में जिस देश में सबसे ज्यादा जनसंख्या है उस देश में कोरोना वायरस का पैर पसारना बहुत ही आसान हो जाता है। कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा चाइना में मरीज पाये गए है लेकिन चाइना की अपनी चिकित्सा शैली के चलते उन्होंने कोरोना मरोजों को ठीक कर दिया है।
कोरोना वायरस से न जाने कितने लोगों की जान जा चुकी है और आगे न जाने क्या होगा। कोरोना वायरस की वजह से भारत के चाइना से आयात को बहुत समय पहले ही रोक लगा दी गयी थी, चाइना से, इटली से आने वाले यातायात वाहनों जैसे की हवाई जहाज आदि पर रोक लगा दी गयी थी लेकिन उसके बावजूद भी कोरोना ने अपनी जगह सभी देशों में दहसत बना दी है।
ऐसे में हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने समय से पहले ही भारत देश में लोकडाऊन लागू कर दिया था।
नरेंद्र मोदी जी को पता था कि कोरोना वायरस से देश खत्म भी हो सकता है इसलिए नरेंद्र मोदी ने 23 मार्च, रविवार के दिन एक दिन का लोकडाउन रखा था जिस समय सम्पूर्ण भारत ने इसका पालन किया और फिर रविवार की रात 24 मार्च से 31 मार्च तक के लिए लोकड़ाउन किया लेकिन कुछ लोगों के चलते लोकडाउन को 14 अप्रैल तक के लिए स्थगित किया गया जो की पूरे 21 दिन का लोकडाउन था।
अब जब 14 अप्रैल को लोकड़ाउन की तारीख को और बड़ाया गया और 03 मई तक के लिए और बढ़ाया गया।
इस लोकडाउन के चलते लोग जब आतंक के डर में जी रहे थे तब नरेंद्र मोदी जी ने लोगों की हिम्मत को बढ़ाया और 23 मार्च के दिन सम्पूर्ण भारत को शाम 05 बजे अपनी ताली बजाना और बर्तन बजाने के लिए कहा जो कि लोगों के दिलों में हिम्मत को बढ़ावा दे गया।
अब लोगों में और विश्वास को बढ़ाने के लिए नरेंद्र मोदी जी ने 05 अप्रैल के दिन रात 09 बजे 09 मिनट पर घर की सभी लाइट को बंद करवा कर दीपक जलाने को कहा जिसे पूरे देश ने माना।
दरअसल 05 अप्रैल को उन्होंने देशवासियों से घर की सभी लाइटें बंद करके, घर के दरवाजे पर या बालकनी में खड़े रहकर 9 मिनट के लिए मोमबत्ती, दिया टॉर्च या मोबाइल की फ्लैशलाइट जलाने को कहा है। ऐसा उन्होंने 5 अप्रैल के दिन करने को कहा है। दरअसल 5 अप्रैल इतिहास का एक अहम दिन है। यह दिन कई अहम ऐतिहासिक घटनाओं का गवाह है। आइए आज उनके बारे में जानते हैं।
महात्मा गांधी जी की दांडी यात्रा भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की एक अहम घटना है। उन्होंने दमनकारी नमक कानून तोड़ने के लिए दांडी यात्रा की थी। वह ऐतिहासिक दिन 5 अप्रैल ही था जब महात्मा गांधी जी दांडी पहुंचे थे। वैसे तो उनकी दांडी यात्रा 12 मार्च, 1930 को शुरू हुई थी और 6 अप्रैल, 1930 को समाप्त हुई थी।
दांडी मार्च या नमक सत्याग्रह महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक अहिंसक आंदोलन था जिसको लोगों का काफी समर्थन मिला और दुनिया भर में इसकी चर्चा हुई। दांडी यात्रा का एक और खास महत्व था। वह आंदोलन राजनीति में अहिंसक आंदोलन का एक प्रयोग था। इस तरह का आंदोलन दुनिया भर में राजनीतिक विरोध के इतिहास में अप्रत्याशित था।
बाबू जगजीवन राम का जन्म 5 अप्रैल, 1908 को हुआ था। उनके नाम 50 सालों तक सांसद रहने का वर्ल्ड रिकॉर्ड है। 1936 से 1986 तक वह सांसद रहे। उन सालों में वह बराबरी और वंचितों के लिए लड़ते रहे। वह देश के पहले दलित उप प्रधानमंत्री थे।
बाबू जगजीवन राम उन चुनिंदा लोगों में शामिल थे जिन्होंने सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ी। वर्ष 1935 में ऑल इंडिया डिप्रेस्ड क्लासेस लीग की स्थापना में अहम भूमिका निभाई थी। इस संगठन ने दलितों को समान अधिकार देने और उनके कल्याण के लिए काम किया।
5 अप्रैल को भारत में नेशनल मैरीटाइम डे मनाया जाता है। इसी दिन 1919 में आधुनिक भारतीय मर्चेंट शिपिंग की शुरुआत हुई थी। सिंधिया स्टीम नेविगेशन कंपनी का 5,940 टन का पोत लिबर्टी अपनी पहली यात्रा पर रवाना हुआ था। वह पोत इंग्लैंड की यात्रा पर गया था।
भारतीय जहाजरानी के इतिहास की वह इसलिए अहम घटना थी क्योंकि उस समय समुद्री मार्गों पर अंग्रेजों का कब्जा था। इसी तारीख को 1979 में देश का पहला नौसेना संग्रहालय मुंबई में खुला था। उस समय मुंबई को बंबई के नाम से जाना जाता था।
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नरेंद्र मोदी कौन है?
नरेंद्र दामोदरदास मोदी 2014 से भारत के 14 वें और वर्तमान प्रधान मंत्री के रूप में कार्य करने वाले एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं। वह 2001 से 2014 तक गुजरात के मुख्यमंत्री थे और वाराणसी के लिए संसद सदस्य हैं।
What is the age of Mr. Narendra Modi?
Narendra Modi Age: 69 years, 17 September 1950
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नरेंद्र मोदी जी की कुछ खास बात
एक बार अक्षय कुमार जी जो भारत के बॉलीवुड स्टार है उनके साथ चाय पर मोदी जी ने अक्षया कुमार जी के पूछने पर एक बहुत ही प्यारी बात बोली थी जिसे सुन कर आपके मन में मोदी जी की सोच का पता चल जाएगा।
अक्षय कुमार जी: नरेंद्र मोदी जी मैंने आपको बहुत बार देखा है कि आप अपनी घड़ी को उल्टा पहनते हो ऐसा क्यों?
नरेंद्र मोदी जी: मैं अक्सर बहुत मीटिंग में रहता हूँ और मुझे जब समय देखना होता है तो हाथ घूमा कर देखना पढ़ता है जिसकी वजह से सामने वाला जिससे हम बात कर रहे है उन्हे लगता है कि ये हमारी बातों में इंटरेस्ट नहीं है और सामने वालों को बुरा लग जाता है इसलिए मैं हमेशा ही अपनी घड़ी को उल्टा कर के पहनता हूँ जिससे सामने वाले को बुरा नहीं लगता।
नरेंद्र मोदी का जीवन परिचय का यह लेख यही समाप्त होता है। लेख पसंद आया हो तो इसे फेसबुक, ट्विटर, और व्हाट्सएप्प पर शेयर जरूर करें और कमेंट के माध्यम से अपने विचार हम सब के साथ शेयर करें।
“धन्यवाद”
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हिंदुस्तान का सबसे झूठे प्रधानमंत्री का खिताब भी इन्ही को मिलना चाहिए
KONGRESI HAI KYA BHAI BHUL GAYE WO DIN
yogi sir i am your big fan i like you so much
Hanuman bishnoi saran dhoriman
विश्व का सबसे बड़े नेता नरेंद्र मोदी है।
Modi ek mahan Neha hai
I Am Big Fans Of Narendra Modiji
Ham sabhi aapke fan hai is fan ko khush rahne ke liye kya karenge
हिंदुस्तान के नायक जिनके समर्थको को भक्त कहा जाता है।
I would like to opt thoughts of Modi Ji. These are good to grow in life.
Modi ji ka jeevan parichay is very nice