रतन टाटा का जन्म | 14 दिसम्बर 1937 |
रतन टाटा की जन्मभूमि | सूरत, बंबई प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश भारत |
रतन टाटा का घर | कुलाबा, मुंबई, भारत |
राष्ट्रीयता | भारतीय (भारत में जन्मे) |
रतन टाटा की शिक्षा प्राप्ति | कॉर्नेल विश्वविद्यालय, हार्वर्ड विश्वविद्यालय |
काम-काज | टाटा कंपनी के मालिक |
सक्रिय वर्ष | 1962-2012 |
धर्म | पारसी धर्म |
जीवनसाथी | अविवाहित |
माता | श्रीमती सोनू टाटा |
पिता | श्री नवल टाटा |
अन्य संबंधी | जे० आर० डी० टाटा (चाचा), सिमोन टाटा (सौतेली माँ) और नोएल टाटा (सौतेला भाई) |
पुरस्कार | पद्म विभूषण (2008), CNN-IBN Indian of the Year in Business (2006) और OBE (2009) |
Ratan Tata Net Worth in 2020 | 1 Billion Dollar |
रतन टाटा पूरी दुनिया में अमीरों की गिनती में आते हैं और वो चाहे तो सबसे उपर उनका ही नाम होता अगर वो अपनी आमदनी का आधे से भी ज्यादा हिस्सा दान ना करते तो। रतन टाटा का नाम ही काफी है, बहुत ही गर्व महसूस होता है ऐसे महान व्यक्ति रतन टाटा की जीवनी लिखने में।
रतन टाटा एक बेहद बड़े मशहूर व्यवसायी है, उनका इतना बड़ा सफर उन्होंने बड़ी ही मेहनत और लगन से किया है। रतन टाटा की शादी नहीं हुई है वे अपने दरियादिली के लिए भी जाने जाते हैं। रतन टाटा कई तरह के सामान का विक्रय करते है जैसे Tata Tea, Tata Motors, Jaguar, Tata Steel, Tata Consultancy Services, etc.
रतन टाटा एक माने जाने भारतीय उद्योगपति है जिन्हें दुनिया का हर कोने में रहने वाला व्यावसायी जानता है। रतन टाटा, टाटा समूह के वर्तमान अध्यक्ष है और टाटा समूह भारत की सबसे बड़ी व्यापारिक समूह है।
टाटा समूह की स्थापना जमशेदजी टाटा जी ने की थी और उनके परिवार की पीढ़ियों ने टाटा समूह को विकसित किया और इसे कायम रखा है।
रतन टाटा की कहानी: सन् 1971 में रतन टाटा को एक Radio and Electronics Company Limited (Nelco) का Director in Charge नियुक्त किया गया, एक कंपनी जो कि सख्त वित्तीय कठिनाई की स्थिति में थी। रतन ने सुझाव दिया कि कम्पनी को उपभोक्ता Electronics के बजाय High Technology के उत्पादों के विकास में निवेश करना चाहिए।
JRD NELCO के ऐतिहासिक वित्तीय प्रदर्शन की वजह से अनिच्छुक थे, क्योंकि इसने पहले कभी नियमित रूप से लाभांश का भुगतान नहीं किया था इसके साथ, रतन ने कार्यभार देखा की उपभोक्ता इलेक्ट्रिकल्स नेल्को की बाजार में 2% हिस्सा था और घाटा बिक्री का 40% था। फिर भी JRD ने रतन के सुझाव का अनुसरण किया।
सन् 1972 से 1975 तक NELCO ने अपनी बाजार में हिस्सेदारी 20% तक बढ़ा ली और अपना नुक्सान भी पूरा कर लिया लेकिन सन् 1975 में, भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपात स्थिति की घोषणा कर दी, और उसी कारण आर्थिक मंदी आ गई।
सन् 1977 में यूनियन की समस्याएं हुई, इसलिए मांग के बढ़ने पर भी उत्पादन में बदलाव नहीं हो पाया। फिर टाटा ने यूनियन की हड़ताल का सामना किया, सात महीने के लिए तालाबंदी (lockout) कर दी गई।
रतन ने हमेशा नेल्को की मौलिक दृढ़ता में विश्वास रखा, लेकिन उद्यम आगे और न रह सका।
टाटा को सन् 1977 में Empress Mills सौंपा गया, यह टाटा द्वारा नियंत्रित कपड़ा मिल थी। यह टाटा समूह की बीमार / कमजोर इकाइयों में से एक थी। रतन ने इसे संभाला और यहाँ तक की एक लाभांश की घोषणा कर दी। श्रमिक संख्या बहुत ज्यादा थी और जिन्होंने आधुनिकीकरण पर बहुत कम खर्च किया था रतन के आग्रह पर, कुछ निवेश किया गया, लेकिन वो पूरा नहीं पड़ा क्योंकि मोटे और मध्यम सूती कपड़े के लिए बाजार प्रतिकूल था (जो कि एम्प्रेस का कुल उत्पादन था), एम्प्रेस को भारी नुकसान होने लगा।
BOMBAY HOUSE टाटा मुख्यालय, अन्य ग्रुप कंपनियों से फंड को हटाकर ऐसे उपक्रम में लगाने का इच्छुक नहीं था, जिसे लंबे समय तक देखभाल की आवश्यकता हो। इसलिए, कुछ टाटा निर्देशकों, नानी पालखीवाला (Nani Palkhivala) ने ये फैसला लिया कि टाटा को मिल बंद कर देनी चाहिए। उस मिल को 1986 के अंत में बंद कर दिया गया। रतन इस फैसले से बेहद निराश थे और बाद में हिंदुस्तान टाइम्स के साथ एक साक्षात्कार में उन्होंने दावा किया कि एम्प्रेस को मिल जारी रखने के लिए सिर्फ़ 50 लाख रुपये की जरुरत थी।
सन् 1981 में, रतन टाटा इंडस्ट्रीज और समूह की अन्य होल्डिंग कंपनियों के अध्यक्ष बनाए गए, जहाँ वे समूह के कार्यनीतिक विचार समूह को रूपांतरित करने के लिए उत्तरदायी तथा उच्च प्रौद्योगिकी व्यापारों में नए उद्योग के प्रवर्तक थे।
बाद में टाटा कंसलटेंसी सर्विसेस सार्वजनिक निगम बनी और टाटा मोटर्स New York Stock Exchange में सूचीबद्ध हुई| 1998 में TATA MOTORS ने उनके संकल्पित TATA INDICA को बाजार में उतारा.
31 जनवरी 2007 को, रतन टाटा की अध्यक्षता में, टाटा संस ने कोरस समूह (CORUS GROUP) को सफलतापूर्वक अधिग्रहित किया, जो एक एंग्लो-डच एल्यूमीनियम और इस्पात निर्माता है.
इस अधिग्रहण के साथ रतन टाटा भारतीय व्यापार जगत में एक प्रतिष्ठित व्यक्ति बन गये| इस विलय के फलस्वरुप दुनिया को पांचवां सबसे बड़ा इस्पात उत्पादक संस्थान मिला.
रतन टाटा अपने दरिया दिल की वजह से लोगों के दिलों पे राज करते हैं। रतन टाटा सब का सोच कर चलते है। रतन टाटा का सपना था कि किसी भी तरह 1 लाख रुपए की लागत में कार बनाई जाए। नई दिल्ली में ऑटो एक्सपो में 10 जनवरी 2008 को इस कार का उदघाटन कर दिया गया। शुरू में टाटा नैनो के तीन मोडल को बाजार में लाया गया।
रतन टाटा ने लोगों के सपनों को पूरा किया और 1 लाख की कार बाजार में लाकर कहा “वादा एक वादा है,”
दस साल पहले जब रतन टाटा अपनी डूबती हुई टाटा मोटर्स को बेचने के लिए फोर्ड कंपनी के पास गए थे और जिस पर फोर्ड कंपनी ने उनका अपमान करते हुए कहा की “आपकी टाटा मोटर्स खरीद कर हम आप पर एहसान कर रहे हैं”.
उस अपमान के चलते रतन टाटा ने अपनी कंपनी नहीं बेची और वहां से चल दिए और करीब दस साल के बाद 26 मार्च 2008 को रतन टाटा ने अपने अपमान का बदला लिया।
फोर्ड कंपनी की जैगुआर और लैंड रोवर को खरीद कर। ब्रिटिश की मशहूर जैगुआर और लैंड रोवर 1.15 अरब पाउंड ($2.3 अरब), में खरीदी गई।
रतन टाटा एक शर्मीले व्यक्ति हैं, समाज की झूठी चमक दमक में विश्वास नहीं करते हैं, सालों से मुंबई के कोलाबा जिले में एक किताबों एवं कुत्तों से भरे हुए बैचलर फ्लैट में रह रहे हैं। रतन टाटा ने अपना नया उत्तराधिकारी चुन लिया है। साइरस मिस्त्री रतन टाटा का स्थान लेंगे लेकिन पूरी तरह उनकी जगह लेने से पहले वो एक साल तक उनके साथ काम करेंगे।
दिसंबर 2012 में वो पूरी तरह समूह की जिम्मेदारी संभाल लेंगे। पलोनजी मिस्त्री के छोटे बेटे और शपूरजी-पलोनजी के प्रबंध निदेशक साइरस मिस्त्री ने लंदन के इंपीरियल कॉलेज से सिविल इंजीनियरिंग में स्नातक एवं लंदन बिजनेस स्कूल से प्रबंधन में डिग्री ली है।
फिलहाल वो टाटा संस की सबसे बड़ी शेयरधारक कंपनी शापूरजी पैलनजी के प्रबंध निदेशक हैं। सायरस 2006 से ही टाटा समूह से जुड़े हैं, मिस्त्री साल 2006 से ही टाटा संस के निदेशक समूह से जुड़े हैं।
रतन टाटा ने अपनी प्रारम्भिक पढाई मुंबई के Campion School में की थी और सेकेंडरी शिक्षा John Cannon School से ली। इसके बाद 1962 में Cornell University से वास्तुकला और Structural Engineering में स्नातक की उपाधि प्राप्त की थी। उनके बाद उन्होंने Harvard business school से सन् 1975 में Advanced Management प्रोग्राम पूरा किया।
रतन टाटा के माता-पिता श्री नवल टाटा (पिता) और श्रीमती सोनू टाटा (माँ) है, रतन टाटा के चाचा जे०आर०डी० टाटा है।
रतन टाटा की सौतेली माँ भी हैं श्रीमती सिमोन टाटा, और सौतेला भाई भी है “नोएल टाटा” रतन टाटा की पत्नी नहीं है उन्होंने शादी नहीं की।
रतन टाटा को भारत सरकार की तरफ से पद्म भूषण (2000) और पद्म विभूषण (2008) द्वारा सम्मानित किया जा चूका है। यह सम्मान देश के तीसरे और दुसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान है, उनको मिले और अन्य सम्मान और पुरस्कार निम्नलिखित है।
2015 मानद | एचईसी पेरिस |
2015 ऑटोमोटिव इंजीनियरिंग की मानद डॉक्टर | क्लेमसन विश्वविद्यालय |
2014 कानून की मानद डॉक्टर | न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय, कनाडा |
2014 ब्रिटिश साम्राज्य के आदेश के मानद नाइट ग्रैंड क्रॉस | यूनाइटेड किंगडम |
2014 सयाजी रत्न पुरस्कार | बड़ौदा मैनेजमेंट एसोसिएशन |
2014 व्यापार के मानद डॉक्टर | सिंगापुर मैनेजमेंट यूनिवर्सिटी |
2013 डॉक्टरेट की मानद उपाधि | एम्स्टर्डम विश्वविद्यालय |
2013 व्यापार व्यवहार के मानद डॉक्टर | कार्नेगी मेलॉन विश्वविद्यालय |
2013 अर्नस्ट और वर्ष का सर्वश्रेष्ठ युवा उद्यमी – लाइफटाइम अचीवमेंट | अर्न्स्ट एंड यंग |
2013 विदेश एसोसिएट | नेशनल एकेडमी ऑफ इंजीनियरिंग |
2012 व्यापार मानद डॉक्टर | न्यू साउथ वेल्स विश्वविद्यालय |
2012 मानद फैलो | इंजीनियरिंग की रॉयल अकादमी |
2010 इस साल के बिजनेस लीडर | एशियाई पुरस्कार |
2010 कानून की मानद डॉक्टर | पेपरडाइन विश्वविद्यालय |
2010 लीडरशिप अवार्ड में लीजेंड | येल विश्वविद्यालय |
2010 शांति पुरस्कार के लिए ओस्लो व्यापार | शांति प्रतिष्ठान के लिए व्यापार |
2010 हैड्रियन पुरस्कार | विश्व स्मारक कोष |
2010 लॉ की मानद डॉक्टर | कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय |
2009 इतालवी गणराज्य की मेरिट के आदेश के ‘ग्रैंड अधिकारी’ का पुरस्कार | इटली की सरकार |
2009 2008 के लिए इंजीनियरिंग में लाइफ टाइम योगदान पुरस्कार | इंजीनियरिंग इंडियन नेशनल एकेडमी |
2009 ब्रिटिश साम्राज्य के आदेश के मानद नाइट कमांडर : | |
2008 प्रेरित होकर लीडरशिप अवार्ड | प्रदर्शन रंगमंच |
2008 मानद फैलोशिप | इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी संस्थान |
2008 मानद नागरिक पुरस्कार | सिंगापुर सरकार |
2008 साइंस की मानद डॉक्टर | इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी खड़गपुर |
2008 साइंस की मानद डॉक्टर | इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी मुंबई |
2008 लॉ की मानद डॉक्टर | कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय |
2008 लीडरशिप अवार्ड | लीडरशिप अवार्ड |
2007 परोपकार की कार्नेगी पदक | अंतर्राष्ट्रीय शांति के लिए कार्नेगी एंडोमेंट |
2007 मानद फैलोशिप | अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान के लंदन स्कूल |
2006 जिम्मेदार पूंजीवाद पुरस्कार | |
2006 साइंस की मानद डॉक्टर | इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी मद्रास |
2005 साइंस की मानद डॉक्टर | वारविक विश्वविद्यालय |
2005 अंतर्राष्ट्रीय गणमान्य अचीवमेंट अवार्ड | |
2004 प्रौद्योगिकी के मानद डॉक्टर | एशियन इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी |
2004 उरुग्वे के ओरिएंटल गणराज्य की पदक | उरुग्वे की सरकार |
2001 बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन के मानद डॉक्टर | ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी |
रतन टाटा दिल के बहुत बड़े आदमी है और बहुत बड़े दानी भी है। रतन टाटा की आमदनी इतनी है कि दुनिया में उनसे ज्यादा कोई नहीं कमाता होगा, पर वो अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा हर साल दान कर देते हैं और फिर कुछ समय के बाद फिर अपनी स्थिति में आ जाते हैं।
Quotes 01: मिसाल कायम करने के लिए अपना रास्ता स्वयं बनाना होता है।
Quotes 02: मैं यह कहूँगा कि एक चीज जो मैं अलग तरीके से कर सकता था वह यह कि मैं और भी अधिक सेवामुक्त होता।
Quotes 03: पूर्वजों द्वारा विरासत में मिली चीज़ों का महत्व समझें और इसे संरक्षित रखे।
Ratan TaTa Quotes in Hindi For Students
Ratan Tata Coronavirus: भारत के मुश्किल वक्त में सबसे ज्यादा दान करने वाली टाटा फैमिली है। ऐसे में रतन टाटा और टाटा संस ने भारत की मदद की है। भारत को कोरोना वायरस से बचाने में बहुत बड़ा योगदान दिया है।
भारत अपने बुरे समय में अर्थात कोरोना वायरस से जूझ रहा था तभी भारत के प्रधानमंत्री जी श्री नरेंद्र मोदी ने PM Cares Fund की घोषणा की, इस घोषणा में बताया गया की भारत को आर्थिक मदद की जरूरत है जिससे की वो कोरोना वायरस से लड़ सके और कोरोना वायरस से लड़ने के लिए दुनिया भर के लोगों ने अपना अपना योगदान दिया जिसमें मुकेश अंबानी जी ने 500 करोड़ रुपए का दान दिया है।
रतन टाटा जी ने स्वयं 500 करोड़ दान किए है साथ में उनकी टाटा संस ने 1000 करोड़ का दान दिया है। भारत कभी इनके इस उपकार को नहीं भूलेगा। रतन टाटा हमेशा से ही कहते रहे है कि भारत के सुख दुख में वो भारत के साथ है।
रतन टाटा बहुत बड़े व्यवसायी है उन्होंने भारत को बहुत कुछ दिया है। रतन टाटा ने शुरू से ही भारत के भले के लिए सोचा है उन्होंने लोगों के कार के सपने को पूरा करने के लिए सबसे कम कीमत वाली कार टाटा नैनो निकाली थी जिसका बाजार में अच्छा दबदबा रहा है।
रतन टाटा एक आम व्यक्ति के लिए प्रेरणा स्रोत है। बहुत से लोग उनके दिखाए हुए रास्ते पर चलते हैं। रतन टाटा ने भारत के भविष्य के लिए प्रत्येक वर्ष भारत के नौजवानों को उनके व्यापार उपाय के चलते उनका साथ दिया है यदि किसी व्यक्ति के पास अच्छा उपाय है और उस उपाय से भारत का भला हो सकता है तो रतन टाटा पीछे नहीं होते है।
उम्मीद है कि आपको रतन टाटा की जीवनी पढ़ कर अच्छा लगा होगा। रतन टाटा के बारे में जानकर उनसे कुछ सीखने को मिला होगा तो इस लेख को अवश्य साझा करें अपने मित्रों आदि के साथ और टिप्पणी करके अपने विचार हमारे साथ व्यक्त करें।
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