हनुमान जी के जन्मदिन की आप सभी को ढेर सारी बधाइयाँ और हनुमान जयंती 2020 की हार्दिक शुभकामनाएं।
सम्पूर्ण भारत में हनुमान जी के करोड़ों भक्त है, हनुमान जी की पूजा करने वाले और हनुमान जी की आराधना करने वाले भक्त गण इस दिन का पूरे वर्ष में बड़ी ही बेसब्री के साथ इंतजार करते है।
हिन्दू धर्म में हनुमान जी का बहुत बड़ा महत्व है, हनुमान जी की मान्यता इतनी हैं कि हनुमान जी के जन्मदिन (हनुमान जयंती 2020) पर हर हनुमान मंदिर में भक्तों का बहुत बड़ा गुट जम्मा होता है।
भक्तजन हनुमान मंदिरों में सुबह 4:00 बजे से ही जाकर लाइन लगा लेते है, कोई-कोई तो हनुमान जयंती के दिन मेहंदीपुर बालाजी जाना पसंद करते है। जगह जगह भंडारे होते है।
भारतीय हिंदी कैलेंडर के अनुसार यह त्योहार हर साल चैत्र (चैत्र पूर्णिमा) माह के शुक्ल पक्ष में 15वें दिन मनाया जाता है।
हनुमान जी को तो हर हिन्दू जानता ही है मगर भारत में तो हर व्यक्ति जानता है।
हनुमान जयंती कब है 2020 में?
हनुमान जयंती 2020, 08 अप्रैल को मनाई जाने वाली है।
वीर बजरंगी, पवन पुत्र, संकट मोचन, अंजनी पुत्र, पवन पुत्र हनुमान जी का जन्मोत्सव चैत्र माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। हनुमान जी की कहानी दुनिया जानती है और उनकी लीलाओं से सम्पूर्ण जगत व भगवान सभी परिचित है। प्राचीन कथाओं के अनुसार हनुमान जयंती 2020 के दिन बजरंगबली की विधिवत पूजा पाठ करने से शत्रु पर विजय और मनोकामना की पूर्ति होती है।
हनुमान जी की माता का नाम अंजनी देवी है और हनुमान जी के पिता का नाम महाराज केसरी के पुत्र हैं। इन्हे पवन पुत्र भी कहा जाता है।
हनुमान जी के जन्म की कहानी: हनुमान जी भगवान शिव जी के 11वें रूद्र अवतार माने जाते है। हनुमान जी के जन्म के बारे में पुराणों में जो उल्लेख किया गया है।
ये बात उस समय की है जब भगवान और असुर सभी अमरत्व की प्राप्ति के लिये एक साथ मिलकर समुद्र मंथन किया तो उससे निकले अमृत को असुरों ने छीन लिया और आपस में ही लड़ने लगे। यह देख कर भगवान विष्णु मोहिनी के भेष अवतरित हुए।
कहा जाता है कि मोहिनी रूप देख देवता व असुर के साथ साथ भगवान शिवजी भी कामातुर हो गए। इस समय भगवान शिव ने जो वीर्य त्याग किया उसे पवन देव ने वानरराज केसरी की पत्नी अंजना के गर्भ में प्रविष्ट कर दिया। जिसके फलस्वरूप माता अंजना के गर्भ से केसरी नंदन मारुति संकट मोचन राम भक्त श्री हनुमान का जन्म हुआ।
एक बार की बात है जब हनुमान जी अपनी निद्रा से जागे और उन्हें तीव्र भूख लगी। उन्होंने पास के एक वृक्ष पर लाल पका फल देखा जिसे खाने के लिए वे निकल पड़े। दरअसल मारुती जिसे लाल पका हुआ फल समझ रहे थे वे सूर्यदेव थे।
वह अमावस्या का दिन था और राहू सूर्य को ग्रहण लगाने वाले थे। लेकिन वे सूर्य को ग्रहण लगा पाते उससे पहले ही हनुमान जी ने सूर्य को निगल लिया। राहु कुछ समझ नहीं पाए कि हो क्या रहा है? उन्होनें इंद्र से सहायता मांगी।
इंद्रदेव के बार-बार आग्रह करने पर जब हनुमान जी ने सूर्यदेव को मुक्त नहीं किया तो, इंद्र ने बज्र से उनके मुख पर प्रहार किया जिससे सूर्यदेव मुक्त हुए।
उसी समय उस प्रहार से मारुती मूर्छित होकर आकाश से धरती की ओर गिरते हैं। पवनदेव इस घटना से क्रोधित होकर मारुती को अपने साथ ले एक गुफा में अंतर्ध्यान हो जाते हैं जिसके परिणामस्वरूप पृथ्वी पर जीवों में त्राहि-त्राहि मच उठती है।
इस विनाश को रोकने के लिए सारे देवगण पवनदेव से आग्रह करते हैं कि वे अपने क्रोध को त्याग पृथ्वी पर प्राणवायु का प्रवाह करें। सभी देव मारुती को वरदान स्वरूप कई दिव्य शक्तियाँ प्रदान करते हैं और उन्हें हनुमान नाम से पूजनीय वीर हनुमान होने का वरदान देते हैं। उस दिन से मारुती का नाम हनुमान पड़ा।
इस सुंदर कांड की व्याख्या तुलसीदास द्वारा रचित हनुमान चालीसा में की गई है।
जुग सहस्र जोजन पर भानू। लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
हनुमान जी के कई नाम है जिन्हें हनुमान भक्तों द्वारा बोला जाता है। हनुमान जी के नाम तो बहुत से हैं मगर जो ज्यादा प्रसिद्ध है वो इस प्रकार है:
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भगवान हनुमान जी प्रभु श्री राम के बहुत बड़े भक्त हैं। राम जी को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है, हनुमान जी के जन्मदिन का बेसब्री के साथ इंतज़ार किया जाता है। इस दिन लोग मंदिरों में जाते हैं, पूजा करते हैं, प्रसाद बांटते हैं।
हनुमान जी के जन्मदिन पर लोग बड़ी दूर दूर से मंदिरों में आते हैं, हनुमान जी बाल ब्रह्मचारी थे उनका जीवन बहुत ही शरारतों से भरा हुआ था। हनुमान जी को पवनदेव, शंकर भगवान, विष्णु, ब्रह्मा जी द्वारा वरदान मिला था, उन्हें कई तरह की शक्तियाँ मिली थी। हालाँकि हनुमान जी भगवान शिव के ही रूप हैं जो कि भगवान श्री राम की मदद के लिए और इस दुनिया का कल्याण करने के लिए इस धरती पर आए हैं।
ॐ जय लक्ष्मी माता: माता लक्ष्मी जी की आरती अर्थ सहित
हनुमान जी सब का कल्याण करते हैं। हनुमान जी का अस्तित्व आज भी हैं आज भी भगवान हनुमान जीवित है उनको महसूस किया जा सकता है।
महाराष्ट्र में, यह हिन्दू कैलेंडर के अनुसार चैत्र महीने की पूर्णिमा को मनाया जाती है। यद्यपि, अन्य हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, यह अश्विन माह के अंधेरे पक्ष में 14वें दिन पड़ती है। पूजा के बाद, पूरा आशीर्वाद पाने के लिए लोगों में प्रसाद बाँटा जाता है।
अन्य राज्यों में भी हनुमान जी का जन्मदिन बड़े धूम धाम के साथ मनाया जाता है जैसे कि तमिलनाडु और केरल में, यह मार्गशीर्ष माह (दिसम्बर और जनवरी के बीच में) में, इस विश्वास के साथ मनाई जाती है कि, भगवान हनुमान इस महीने की अमावस्या को पैदा हुए थे।
उड़ीसा में, यह वैशाख (अप्रैल) महीने के पहले दिन मनाई जाती है।
कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में यह वैशाख महीने के 10वें दिन मनाई जाती है, जो चैत्र पूर्णिमा से शुरु होती है और वैशाख महीने के 10वें दिन कृष्ण पक्ष पर खत्म होती है।
हनुमान जयंती पूजा का शुभ मुहूर्त 8 अप्रैल 2020 को है लेकिन पूजा समय 7 अप्रैल को ही रात्रि 12 बजे ही आरंभ हो जाएगी और पूर्णिमा तिथि समापन 8 अप्रैल को 8 बजकर 3 मिनट पर हो जाएगा।
विद्वानों शास्त्रों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि हनुमान जी के जन्मदिन के अवसर पर रात को हनुमान जी की पूजा करने से हनुमान जी की असीम कृपा बरसती है।
हनुमान जयंती की पूजा विधि: हनुमान जी के जन्मदिन पर उन्हें घी में सिंदूर मिलाकर लेप लगाया जाता है। हनुमान जी के भक्त पर शनि और राहु के दोष कभी भी दोषित नहीं करते हैं।
जो भी सामग्री पूजा में लगेगी हम उसे नीचे लिख देते हैं, पूरी सामग्री को पूजा घर में इकट्ठा कर लें और फिर एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछा लें, चौकी न हो तो भी आप कोई लकड़ी का पटरा रख सकते है, चौकी पर हनुमान जी की फोटो या मूर्ति रख सकते है।
दीया और धूपबत्ती जलाएं साथ में ये न भूलें कि पहले गणेश जी की पूजा भी आवश्यक है। गणेश जी का नाम सबसे पहले लिया जाता है और गणेश जी को सभी भगवान में सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। साथ में गणेश जी के नाम का भी दिया जलाएं, दीपक जला कर हनुमान चालिसा और सुन्दरकांड का पाठ करें और हनुमान जी की आरती करना न भूलें।
हनुमान जी की पूजा करें, प्रार्थना करें और अपनी मनोकामना मांग लें एवं हनुमान जी को प्रसाद का भोग लगायें। प्रसाद में बूंदी चूर के लड्डू और बूंदी और अपनी इच्छा अनुसार भोग लगाएं, हनुमान जी की पूजा करना बड़ा ही पुण्य का काम है, मन लगा के पूजा कीजिए बस दिल में श्रद्धा होनी चाहिए, हनुमान जी के नाम लेने से ही दुख दर्द खत्म हो जाते हैं।
कई लोगों का मानना होता है कि उनका धर्म अलग है वो हिन्दू नहीं है तो वो हनुमान जी की पूजा नहीं कर सकते है और हनुमान जी के लिए पूजा व्रत आदि नहीं कर सकते है। ऐसा मानना बिलकुल गलत है।
यदि किसी भी व्यक्ति जो कि भगवान की कृपा पाने के लिए हनुमान जी की पूजा करता है तो भगवान उस पर जरूर प्रसन्न होते है। भगवान के लिए सभी एक समान है।
हनुमान जयंती 2020 के शुभ अवसर पर उनके लिए व्रत रखने वालों को कुछ नियमों का पालन भी करना पड़ता है। व्रत रखने वाले व्रत की पूर्व रात्रि से ब्रह्मचर्य का पालन करें, हो सके तो जमीन पर ही सोये इससे अधिक लाभ होगा।
प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर प्रभु श्री राम, माता सीता व श्री हनुमान का स्मरण करें। तद्पश्चात नित्य क्रिया से निवृत होकर स्नान कर हनुमान जी की प्रतिमा को स्थापित कर विधिपूर्वक पूजा करें, इसके बाद हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का पाठ करें, फिर हनुमान जी की आरती उतारे।
इस दिन स्वामी तुलसीदास द्वारा रचित श्रीरामचरितमानस के सुंदरकांड या हनुमान चालीसा का अखंड पाठ भी करवाया जाता है।
प्रसाद के रूप में गुड़, भीगे या भुने चने एवं बेसन के लड्डू हनुमान जी को चढ़ाये जाते हैं। पूजा सामग्री में सिंदूर, केसर युक्त चंदन, धूप, अगरबत्ती, दीपक के लिए शुद्ध घी या चमेली के तेल का उपयोग कर सकते हैं।
पूजन में पुष्प के रूप में गेंदा, गुलाब, कनेर, सूरजमुखी आदि के लाल या पीले पुष्प अर्पित करें। इस दिन हनुमान जी को संतरी सिंदूर का चोला चढ़ाने से मनोकामना की शीघ्र पूर्ति होती है।
मनोजवं मारुततुल्यवेगम् जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्। वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्री रामदूतं शरणं प्रपद्ये।।
भगवान हनुमान जी वानर समुदाय से थे, हिन्दू समुदाय उन्हें अपना भगवान मानता है। हनुमान जी में एक विचित्र प्रकार की शक्ति है उनके अंदर कई हजार गुना हाथियों की शक्ति है, जिस कारण पहलवान, बलवान लोग… भगवान हनुमान को बहुत मानते है।
हनुमान अवतार को महान शक्ति, आस्था, भक्ति, ताकत, ज्ञान, दैवीय शक्ति, बहादुरी, बुद्धिमत्ता, निःस्वार्थ सेवा-भावना आदि गुणों के साथ भगवान शिव का 11वाँ रुद्र अवतार माना जाता है। उन्होने अपना पूरा जीवन भगवान श्री राम और माता सीता जी की भक्ति में लगा दिया और बिना किसी उद्देश्य के कभी भी अपनी शक्तियों का प्रदर्शन नहीं किया।
एक बार किसी साधू जन की मदद के लिए कोशिश की मगर उन्हें लगा की हनुमान जी उनके साथ मजाक कर रहे हैं। गुस्से में आकर उन्होंने भगवान हनुमान की सारी शक्तियों को भूल जाने का श्राप दे दिया। मगर कुछ देर बाद हनुमान जी के सच बताने पर साधु ने कहा कि मुझ से गलती हो गयी है मगर श्राप तो वापस नहीं हो सकता, लेकिन जब कभी तुम्हें तुम्हारी शक्तियों के बारे में बताएगा तो तुम्हारी सारी शक्तियां वापस आ जाएगी।
हनुमान जी के भक्तों में उनके लिए बहुत ज्यादा श्रद्धा रखते हैं।
2020 हनुमान जयंती का इतिहास: एक बार, एक महान संत अंगिरा स्वर्ग के स्वामी, इन्द्र से मिलने के लिये स्वर्ग गए और उनका स्वागत स्वर्ग की अपसरा महिलाओं, पुंजिकस्थला के नृत्य के साथ किया गया। हालांकि, संत को इस तरह के नृत्य में कोई रुचि नहीं थी, उन्होंने उसी स्थान पर उसी समय अपने प्रभु का ध्यान करना शुरु कर दिया। नृत्य के अन्त में, इन्द्र ने उनसे नृत्य के प्रदर्शन के बारे में पूछा।
वे उस समय चुप रहे और उन्होंने कहा कि, मैं अपने प्रभु के गहरे ध्यान में था, क्योंकि मुझे इस तरह के नृत्य प्रदर्शन में कोई रुचि नहीं है। यह इन्द्र और अप्सरा के लिए बहुत अधिक लज्जा का विषय था; उसने संत को निराश करना शुरु कर दिया और तब अंगिरा ने उसे श्राप दिया कि, “देखों! तुमने स्वर्ग से पृथ्वी को नीचा दिखाया है। तुम पर्वतीय क्षेत्र के जंगलों में मादा बंदर के रूप में पैदा हो।”
उसे फिर अपनी गलती का एहसास हुआ और संत से क्षमा याचना की। तब उस संत को उस पर थोड़ी सी दया आई और उन्होंने उसे आशीर्वाद दिया कि, “प्रभु का एक महान भक्त तुमसे पैदा होगा, वह हमेशा परमात्मा की सेवा करेगा। इसके बाद वह कुंजार (पृथ्वी पर बंदरों के राजा) की बेटी बनी और उनका विवाह सुमेरु पर्वत के राजा केसरी से हुआ।
उन्होंने पाँच दिव्य तत्वों; जैसे- ऋषि अंगिरा का शाप और आशीर्वाद, उसकी पूजा, भगवान शिव का आशीर्वाद, वायु देव का आशीर्वाद और पुत्र श्रेष्ठ यज्ञ से हनुमान को जन्म दिया।
यह माना जाता है कि, भगवान शिव ने पृथ्वी पर मनुष्य के रूप पुनर्जन्म 11वें रुद्र अवतार के रूप में हनुमान बनकर जन्म लिया; क्योंकि वे अपने वास्तविक रूप में भगवान श्री राम की सेवा नहीं कर सकते थे।
सभी वानर समुदाय सहित मनुष्यों को बहुत खुशी हुई और महान उत्साह और जोश के साथ नाच कर, गाकर और बहुत सी अन्य खुशियों वाली गतिविधियों के साथ उनका जन्मदिन मनाया। तब से ही यह दिन, उनके भक्तों के द्वारा उन्हीं की तरह ताकत और बुद्धिमत्ता प्राप्त करने के लिए हनुमान जयंती को मनाया जाता है।
हनुमान जी का नाम ही काफी है उनके बारे में बताने के लिए दुनिया उन्हें अच्छी तरह जानती है, मानती है, पूजा करती है।
भगवान श्री राम के बहुत बड़े भक्त है। श्री हनुमान जी हनुमान जी ने एक बार तो अपना सीना फाड़ कर ये दिखा दिया था कि उनके ह्रदय में भगवान श्री राम और माता सीता वास करते हैं।
हनुमान जी बचपन से ही बाल ब्रह्मचारी है, बाल काल से ही हनुमान जी बड़े शरारती थे और वक्त के अनुसार उन्हें बहुत सारी शक्तियाँ और वरदान मिले। बचपन से ही हनुमान जी का ह्रदय लोगों की भलाई और उनके लिए रक्षाओं से लड़ने के लिए तत्पर था। हनुमान जी का एक बेटा भी है, अब आप सोचोगे की बाल ब्रह्मचारी होने के बाद बेटा कैसे हो सकता है तो आप हनुमान जी के पुत्र की कहानी पढ़ सकते हैं।
एक समय की बात है जब हनुमान जी श्री राम के लिए समुद्र के ऊपर से गुजर रहे थे तो उन्होंने एक बहुत बड़े समुद्र को पार कर दूसरी तरफ लंका के लिए जाना था।
दरअसल इतनी दूर बिना किसी साधन के बिना किसी पुल के जाना बेहद मुश्किल था लेकिन भगवान श्री हनुमान जी के लिए ये बहुत ही छोटा काम था क्योंकि हनुमान जी को पवनदेव से वरदान मिला था कि वे जब चाहे जहाँ चाहें वायु में उड़ान भर सकते हैं, तो हनुमान जी ने ऐसा ही किया वे समुद्र पार चले गए।
हनुमान जी सीता माता को खोजते खोजते अशोक वाटिका में जा पहुंचे और वहां उन्होने माता सीता को देखा, वे एक पेड़ के नीचे बैठी हुई थी वे बेहद उदास थी। हनुमान जी उन्हें देखते ही समझ गए थे कि यही सीता माता है, फिर क्या था राम जी ने हनुमान जी को एक अंगूठी दी थी जिसके द्वारा सीता माता यह जान सके की हनुमान जी राम जी के दूत हैं।
अंगूठी देख कर सीता माता पहचान गई थी कि राम जी समुद्र पार आ चुके हैं उन्हें लेने के लिए। हनुमान जी चाहते तो माता सीता को तभी अपनी हथेली पर रख कर राम जी के पास तक ले आते मगर ऐसा नहीं हुआ।
हनुमान जी को तभी भूख लग गयी उन्होने अशोक वाटिका में देखा की पेड़ों पर बहुत सारे फल लगे हैं फिर क्या था फल खाते खाते हनुमान जी ने पूरी अशोक वाटिका तहस नहस कर डाली जिस पर रावण के पुत्र मेघनाथ ने उन्हें बंधी बना लिया।
हनुमान जी चाहते तो बंधी नही बनते मगर मेघनाथ ने ब्रह्मास्त्र चला दिया था जिसकी वजह से ब्रह्मास्त्र की लाज रखते हुए हनुमान जी एक रस्सी में बंध गए। हनुमान जी चाहते तो वो ब्रह्मास्त्र भी कुछ नहीं कर पता क्योंकि उन्हें वरदान मिला था कि वह जब तक न चाहे तब तक कोई भी अस्त्र शस्त्र उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता है।
हनुमान जी को भरी सभा में बांध कर लाया गया और उनकी पूंछ में कपड़ा बांध दिया, पूंछ इतनी बड़ी हो गयी की लंका के सारे कपड़े कम पड़ गए, अंत में उनकी पूंछ में आग लगा दी गयी और हनुमान जी ने उस आग के बदले पूरी लंका जला डाली। पूरी लंका जलाते वक्त एक कक्ष में विभीषण भगवान राम की पूजा कर रहे थे तो उन्होंने विभीषण को कहा की आप अभी लंका छोड़ दे पूरी लंका आग से जल रही है।
तो विभिष्ण ने बात मान ली…
हनुमान जी की इतनी मेहनत के बाद वे समुद्र में जाकर अपनी पूंछ से आग बुझाने लगे तभी उनके पसीने की एक बूंद मछली के पेट में चली गयी और मछली ने गर्भ धारण कर लिया जिसके फलस्वरूप मकरध्वज का जन्म हुआ।
बाद में हनुमान जी और मकरध्वज की एक छोटी से लड़ाई भी हुई थी मगर हनुमान जी को जब पता चला की ये तो मेरा ही पुत्र है तब हनुमान जी ने मकरध्वज को अपना आशीर्वाद देकर गले से लगा लिया।
प्यारे भक्तों मैं आशा करता हूँ कि हनुमान जयंती 2020 के बारे में जानकर आपको अच्छा लगा होगा।
प्रिय भक्तों अपने मित्रों आदी में हनुमान जी की जयंती के बारे में शेयर करना न भूलें आखिर उन्हें भी तो पता चले हमारे सुपर हीरो, हमारे शक्तिशाली भगवान के बारे में।
|| जय श्री राम, जय श्री हनुमान जी || “धन्यवाद”
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