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Importance Of Diwali Festival in Hindi

दिवाली पर निबंध (Essay on Diwali in Hindi) – दीपावली पर निबंध 2023

आज मैंने सभी छात्रों के लिए भिन्न-भिन्न प्रकार के दिवाली पर निबंध (Essay on Diwali in Hindi) – दीपावली पर निबंध 2023 लिखे है। जिसको पढ़ के आपको अत्यंत प्रसन्नता मिलेगी.

दिवाली पर निबंध शुरू करने से पहले आप सभी को दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं.

दिवाली का त्यौहार हिन्दू धर्म का सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण त्योहार है। दिवाली का त्योहार पूरे भारत में मनाया जाता है और जो कोई व्यक्ति भारत से बाहर भी होता है तो Diwali Festival मनाना कभी नहीं भूलता है.

दिवाली का महत्व एक अलग ही महत्व रखता है। किसी को शायद ही ना पता हो की दिवाली के दिन क्या हुआ था ? लेकिन फिर भी मैं आपके लिए दिवाली की पूरी जानकरी आपके सामने लेकर आया हूँ.

उम्मीद करता हूँ की आपको Diwali Par Nibandh पढ़कर बहुत ही अच्छा लगेगा.

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दिवाली का त्यौहार क्यों मनाते हैं?

दिवाली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का त्यौहार है।

छोटे बच्चों से लेकर बड़े बुजुर्ग तक इस त्यौहार को मनाते हैं। दीपावली के दिन राम जी ने रावण का सर्वनाश कर, अपना चौदह वर्ष का वनवास खत्म कर भगवान राम, माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ मिलकर अयोध्या वापस लौटे थे.

राम जी के वापस घर आने की ख़ुशी में अयोध्यावासियों ने अपने घरों में घी के दिये जलाए थे। इस दिन लक्ष्मी माता के आगमन का दिन भी कहा जाता है। यह प्रथा भी कायम है.

चलिए बातें बहुत हो गई है अब आपके लिए जो दिवाली पर हिंदी निबंध 2023 (Hindi Essay on Diwali) लिखा है। कृपया करके इसे पढ़िए और अपने रिश्तेदारों दोस्तों आदि में शेयर जरूर करें.

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छोटे बच्चों के लिए दीपावली पर निबंध 2023 के लिए हमने Diwali Festival Essay in Hindi 100, 200 , 300, 400, 500, 600, 700, 800 शब्दों के बीच लिखे गए है। तो जो आपको अच्छा लगे आप अपने अनुसार उस निबंध का चयन करें.

दीपावली पर निबंध कक्षा 3 के लिए 100 शब्दों में

|| दीपावली पर हिन्दी निबंध ||

दीपावली पर निबंध कक्षा 3 के लिए 100 शब्दों में
About Diwali in Hindi Essay

भारतीय लोगों में अनेकों त्यौहार मनाए जाते हैं उसी तरह दीपावली का त्यौहार है जिसे हिन्दू धर्म में मनाया जाता है.

दीपावली का त्यौहार भगवान श्रीराम के चौदह साल वनवास काटने के बाद अपने घर अयोध्या लौटने की खुशी में दीपावली मनाई जाती है| अयोध्या वासियों के प्रेम में अयोध्यावासियों ने घी के दीपक जलाए थे.

भगवान श्री राम के चौदह साल बाद अपने घर लौटने पर पूरी अयोध्या नागरी में घी के दीपक जला कर भगवान श्री राम का स्वागत किया गया था.

दीपावली के मौके पर लोग नयी नयी वस्तुएँ खरीदते हैं। अपने घरों की सफाई करते हैं, घरों में पुताई आदि करवाते हैं। इसी दिन लक्ष्मी गणेश जी की पूजा भी की जाती है.

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भारत देश में अनेकों त्यौहार मनाए जाते हैं। इन्ही त्योहारों में दिवाली का त्यौहार भी है.

दीपावली का त्यौहार हिन्दू धर्म के लिए बहुत ही बड़ा त्यौहार है| दीपावली का त्यौहार अक्टूबर या नवम्बर में होता है। दीपावली का त्यौहार भगवान श्री राम जी के चौदह वर्ष वनवास काटने के बाद अपने घर अयोध्या लौटने की खुशी में मनाया जाता है.

दिवाली के दिन अयोध्या वासियों ने घी के दीपक जलाए थे और आज भी अयोध्या में दीपावली का त्यौहार सबसे ज्यादा मनाया जाता है.

आज के समय में लोग दीपावली की खुशी में घी, सरसों का तेल आदि से घरों में दिये जलते है और घरों की शोभा बढ़ाते हैं, साथ में घरों को विभिन्न चीजों आदि से सजाते हैं.

सालों के बाद लोग दीपावली के दिन पटाखों का इस्तेमाल भी करने लगे हैं। दीपावली का अर्थ होता है दीपों की आवली अर्थात दीपों की पंक्तियाँ और ढेर सारी दीपों की पंक्तियों को दीपावली कहा जाता है.

समय के बदलाव के अनुसार लोग अपने घरों में बिजली की रोशनी वाली लड़ियाँ लगाने लगे हैं लेकिन जो सजावट मिट्टी के दिये से होती है वो किसी अन्य से नहीं|

ऐसा भी कहा जाता है की दीपावली के दिन साफ सफाई रखने से लक्ष्मी का वास होता है| दीपावली के दिन इसीलिए धन की देवी लक्ष्मी माँ और गणेश जी की पूजा होती है.

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प्रस्तावना

दीपावली का त्यौहार हिन्दू धर्म के लोगों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है| दीपावली का त्यौहार कई सारे संस्कार परम्परा और संस्कृति मान्यता से जुड़ा हुआ है.

दीपावली का त्यौहार भारत में ही नहीं बल्कि बाहर के देशों में भी दीपावली का त्यौहार खूब मनाया जाता है.

दीपावली से जुड़ी बहुत सी कहानियां है जिसमे भगवान श्री राम जी का राक्षस के देवता रावण का वध कर बुराई पर सच्चाई की जीत कराना है| उस दिन अमावस्या की रात थी जिस वजह से लोगों ने दीपक जलाए थे और अंधेरे को दूर किया था.

धन की देवी लक्ष्मी जी और बुद्धि के देवता गणेश जी की पूजा

आज के समय में भारतीय लोग अपनी इच्छानुसार लक्ष्मी माता की पूजा करते हैं। देवी लक्ष्मी के आगमन के लिए मिट्टी के दीपक जलाए जाते हैं। दीपक चाहे घी हो या तेल के श्रद्धा पूरी होनी चाहिए। दीपक जला कर सभी अँधेरों को दूर किया जाता है

दीपावली के दिन घरों में छोटे बच्चों से लेकर बड़े लोग भी अपनी खेल कूद में लग जाते हैं उन्हें पटाखे फोड़ना मिठाइयां खाना पसंद होता है, स्वादिष्ट व्यंजनों की कतार लग जाती है इस दिन, मोमबत्ती और दीये की खुशबू चारों तरफ फैली रहती है.

हिन्दू धर्म में ये त्यौहार अपने रिश्तेदारों खास मित्रों के साथ मनाते है.

दीपावली के दिन एक दूसरे को मिठाई देते हैं और दीपावली की बधाइयाँ देते हैं। सभी लोग द्वारा अपनी इच्छानुसार नए कपड़े खरीदे जाते हैं। दीपावली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का त्यौहार है.

निष्कर्ष

सुबह के सारे काम निपटा लेने के बाद लोग शाम को दीपक जलाते है। धन की देवी लक्ष्मी और बुद्धि के देवता गणेश की पूजा की जाती है.

ऐसा माना जाता है कि देवी लक्ष्मी के घर में पधारने के लिये घरों की साफ-सफाई, दीयों से रोशनी और सजावट बहुत जरूरी है। इसे पूरे भारतवर्ष में एकता के प्रतीक के रुप देखा जाता है.

भारत में यहाँ समय-समय पर विभिन्न जातियों समुदायों द्वारा अपने-अपने त्यौहार मनाये जाते हैं सभी त्यौहारों में दीपावली सर्वाधिक प्रिय है.

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प्रस्तावना

भारत के सभी त्यौहारों में दीपावली का त्यौहार बहुत ही महत्वपूर्ण होता है| दीपावली का त्यौहार कई सारे संस्कार परम्पराएँ और संस्कृतिक मान्यताएँ से जुड़ा हुआ है| दीपावली का त्यौहार भारत में ही नहीं बाहर के देशों में भी खूब मनाया जाता है.

दीपावली से जुड़ी बहुत सी कहानियां है जिसमे भगवान श्री राम जी का राक्षस के देवता रावण का वध कर बुराई पर सच्चाई की जीत कराना है| उस दिन अमावस्या की रात थी जिस वजह से लोगों ने दीपक जलाए थे और अंधेरे को दूर किया था.

धन की देवी लक्ष्मी जी और बुद्धि के देवता गणेश जी की पूजा

भारतीय लोग जो हिन्दू धर्म से है अपनी इच्छानुसार लक्ष्मी माता की पूजा करते हैं| दीपावली का त्यौहार अधिकतर भारत में ही मनाया जाता है लेकिन बाहर अमेरिका आदि में भी दिवाली का त्यौहार लोगों द्वारा मनाया जाता है.

गणेश जी और लक्ष्मी जी की पूजा के समय इस मंत्र का सबसे ज्यादा उच्चारण किया जाता है.

रक्तचन्दनसम्मिश्रं पारिजातसमुद्भवम् |
मया दत्तं महालक्ष्मि चन्दनं प्रतिगृह्यताम् ||
ॐ महालक्ष्म्यै नमः रक्तचन्दनं समर्पयामि ||

माता लक्ष्मी जी की पूजा करने से गरीब लोग भी अमीर बन जाते है| गणेश जी की पूजा करने से नालायक भी लायक बन जाता है.

दीपावली दीपों को जलाने का त्यौहार है इस दिन देवी लक्ष्मी के आगमन के लिए मिट्टी के दीपक जलाए जाते हैं| दीपक चाहे घी का हो या तेल के श्रद्धा पूरी होनी चाहिए| दीपक जला कर सभी अँधेरों को दूर किया जाता है.

दीपावली के दिन घरों में छोटे बच्चों से लेकर बड़े लोग भी अपनी खेल कूद में लग जाते हैं उन्हे पटाखे फोड़ना मिठाइयाँ खाना पसंद होता है, स्वादिष्ट व्यंजनों की कतार लग जाती है इस दिन, मोमबत्ती और दिये की खुशबू चारों तरफ फैली रहती है.

हिन्दू धर्म में ये त्यौहार अपने रिश्तेदारों खास मित्रों के साथ मनाते है| दीपावली के दिन एक दूसरे को मिठाई देते हैं और दीपावली की बधाईया देते हैं| सभी लोग द्वारा अपनी इच्छानुसार नए कपड़े खरीदे जाते हैं| दीपावली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का त्यौहार है.

निष्कर्ष

घरों दुकानों दफ्तरों आदि की सफाई कर लेने के बाद लोग शाम को दीपक जलाते है| धन की देवी लक्ष्मी और बुद्धि के देवता गणेश की पूजा की जाती है| ऐसा माना जाता है कि देवी लक्ष्मी के घर में पधारने के लिये घरों की साफ-सफाई, दीयों से रोशनी और सजावट बहुत जरूरी है|

इसे पूरे भारतवर्ष में एकता के प्रतीक के रुप देखा जाता है| भारत में यहाँ समय-समय पर विभिन्न जातियों समुदायों द्वारा अपने-अपने त्यौहार मनाये जाते हैं सभी त्यौहारों में दीपावली सर्वाधिक प्रिय है.

मेरा प्रिय त्योहार दिवाली पर निबंध हिंदी में 500 शब्दों में – Paragraph on Diwali in Hindi

|| Diwali 2023 Essay in Hindi ||

मेरा प्रिय त्योहार दिवाली पर निबंध हिंदी में 500 शब्दों में
Diwali Essay For Kids

भारत जैसे देश में लोग अपना जीवन खुशी से जी रहे हैं| भारत में अनेकों त्यौहार मनाए जाते हैं| भारत में सभी धर्म के लोग रहते है उसी वजह से यहाँ बहुत से त्यौहार मनाए जाते है| अनेकों त्यौहार में सबसे ज्यादा प्रसिद्ध त्यौहार है दीपावली का त्यौहार.

दीपावली का त्यौहार हिन्दू धर्म का त्यौहार है इसे अनेकों भर्तियों द्वारा भी मनाया जाता है| दीपावली का त्यौहार देश विदेश में भी मनाया जाता है.

हिन्दुओं के लिये दीवाली एक सालाना समारोह है जो अक्टूबर और नवंबर के दौरान आता है| दिवाली को राजा रावण को हराने के बाद भगवान राम 14 साल का वनवास काट कर अयोध्या वापस लौटे थे.

दीपावली कार्तिक मास में मनाया जाता है| व्यापारियों के लिये बहुत ही अच्छा सीजन होता है| दीवाली के अवसर पर लोग अपने प्रियजनों को शुभकामना संदेश के साथ उपहार वितरित करते है जैसे मिठाई, मेवा, केक इत्यादि|

अपने सुनहरे भविष्य और समृद्धि के लिए लोग लक्ष्मी देवी की पूजा करते है.

बुराई और नकारात्मक शक्तियों को भगाने के लिये हर तरफ चिरागों की रोशनी की जाती है और देवी-देवताओं का स्वागत किया जाता है.

दीपावली पर्व आने के एक महीने पहले से ही लोग वस्तुओं की खरीदारी, घर की साफ-सफाई आदि में व्यस्त हो जाते है| दीयों की रोशनी से हर तरफ चमकदार और चकित कर देने वाली सुंदरता बिकरी रहती है.

दीपावली छोटे बच्चों से लेकर बड़े लोगों तक बड़ी ही खुशी के साथ मनाई जाती है| दीपावली का त्यौहार स्कूल आदि में भी मनाया जाता है.

अध्यापकों आदि में भी इस दिन की खास तैयारी रहती है| स्कूल में कक्षाओं आदि में रंगोली बनवाकर, खेलना कूदना, मिठाइयाँ खाना, अपने से बड़ों के पैर छूना, उन्हे दिवाली की बधाइयाँ देना आदि जैसे कार्य होते हैं| बड़ी खुशी के साथ इस पर्व को मनाया जाता है.

दीवाली के दो हफ्ते पहले ही बच्चों द्वारा स्कूलों में कई सारे क्रियाकलाप शुरु हो जाते है| स्कूलों में शिक्षक विद्यार्थियों को पटाखों और आतिशबाजी को लेकर सावधानी बरतने की सलाह देते है, साथ ही पूजा की विधि और दीपावली से संबंधित रिवाज आदि भी बताते है.

दीपावली 5 दिनों का एक लंबा उत्सव है जिसको लोग पूरे आनंद और उत्साह के साथ मनाते है| दीपावली के पहले दिन को धनतेरस, दूसरे को छोटी दिवाली, तीसरे को दीपावली या लक्ष्मी पूजा, चौथे को गोवर्धन पूजा (विश्वकर्मा पूजा) तथा पाँचवें को भैया दूज का पर्व मानते है|

दीपावली के इन पाँचों दिनों की अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताएँ है.

दीपावली के दिन प्रकाश का त्यौहार होता है जिसकी वजह से घर की सभी औरते कुछ दिनो पहले ही शाम को दिये जलाना शुरू कर देती है|

दीपावली के शुभ अवसर पर लोग अपने घरों का कोना-कोना साफ़ करते हैं, नये कपड़े पहनते हैं, लोग एक दूसरे को मिठाइयां तथा उपहार देते है, एक दूसरे से मिलते है.

घरों में रंग बिरंगी रंगोलियाँ बनाई जाती है, दीपक जलाये जाते है, आतिशबाजी की जाती है, अंधकार पर प्रकाश की विजय का यह पर्व समाज में उल्लास, भाई-चारे व प्रेम का संदेश फैलाता है.

दीपावली का त्यौहार सभी धर्म के लोगों से प्रेम बड़ाने का त्यौहार है बिना किसी से भेदभाव के इस त्यौहार को मानना चाहिए.

Diwali Essay in Hindi For School Students 600 Words

|| दिवाली पर हिन्दी निबंध ||

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Essay on Diwali in Hindi For Kids

प्रस्तावना

हिंदुस्तान में अनेकों त्यौहार मनाए जाते है उसी तरह दीपावली का त्यौहार अंधेरे को खतम कर रोशनी फैलाने का त्यौहार भी मनाया जाता है.

अमावस्या के दिन चारों तरफ रोशनी करने के त्यौहार है| अमावस्या की रात अंधेरी रात होती है जिसको खतम कर दीप जगमगा उठते हैं|

दीपावली एक महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध पर्व है| जिसे प्रत्येक वर्ष देश-विदेश के लोगों द्वारा मनाया जाता है| दीपावली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का त्यौहार है| इस दिन भगवान श्री राम जी ने रावण का वध किया था| रावण एक राक्षस कुल का देवता था जिन्हीने सीता माता का अपहरण किया था.

भगवान राम के चौदह वर्ष भी पूरे हो गए थे और उन्हे अपने राज्य वापस आना था| भगवान राम के स्वागत के लिए अयोध्या वासियों ने पूरे उत्साह के साथ घी के दीपक जलाए थे अमावस्या की रात को रोशनी से भर देने की रात को ही दीपावली कहते है.

सिखों में कहा जाता है की सिखों के छ्टवें गुरु श्री हरगोविंद जी की रिहाई की खुशी में भी मनाया जाता है जब उनको ग्वालियर की जैल से जांहगीर द्वारा छोड़ा गया था.

दीपावली का त्यौहार कब मनाया जाता है ?

दीपावली का त्यौहार कार्तिक महीने की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। अमावस्या के दिन बहुत ही अँधेरी रात होती है और दिवाली के त्यौहार में गली गली दीपक जला कर रोशनी करने की प्रथा होती है.

वैसे तो इस पर्व को लेकर कई कथाये है लेकिन कहते हैं भगवान राम चौदह वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे, इस खुशी में अयोध्या वासियों ने घी के दीये जलाये थे और राम जी लक्ष्मण जी, सीता जी का स्वागत किया था.

दीपावली के दिन बाजारों को दुल्हन की तरह शानदार तरीके से सजा दिया जाता है| इस दिन बाजारों में खास भीड़ रहती है| खासतौर से मिठाइयों की दुकानों पर, बच्चों के लिये ये दिन मानो नए कपड़े, खिलौने, पटाखे और उपहारों की सौगात लेकर आता है.

दिवाली का त्यौहार मनाने के लिए छोटे बच्चों में अलग ही खुशी होती है| दीवाली आने के कुछ दिन पहले ही लोग अपने घरों की साफ-सफाई के साथ साथ अपने घरों में बिजली की लड़ियों से रोशन कर देते है.

स्कूलों में रंगोली बनवाकर, अपनी अपनी कक्षा को सजा कर और खेल खिलाकर इस पर्व को मनाया जाता है.

दीवाली के एक से दो दिन पहले ही बच्चों द्वारा स्कूलों छोटी दिवाली मनाई जाती है| स्कूलों में शिक्षक विद्यार्थियों को पटाखों और आतिशबाजी को लेकर सावधानी बरतने की सलाह देते है, साथ ही पूजा की विधि और दीपावली से संबंधित रिवाज आदि भी बताते है.

दीपावली के पहले दिन को धनतेरस, दूसरे दिन को छोटी दीवाली, तीसरे को दीपावली या लक्ष्मी पूजा, चौथे को गोवर्धन पूजा, विश्वकर्मा पुजा, तथा पाँचवें को भैया दूज मनाते है| दीपावली के इन पाँचों दिनों की अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताएँ है.

दीपावली अंधकार को खतम कर, बुराइयों को खतम करने का ये त्यौहार है| दीपावली का त्यौहार बच्चे बड़े एक दूसरे के प्रति स्नेह ले आता है|

यह व्यक्तिगत और सामूहिक दोनों रूप से मनाये जाने वाला बहुत ही महत्वपूर्ण त्यौहार है.

लोगों में दिवाली की बहुत उमंग होती है| लोग अपने घरों की सफाई करते हैं, नये कपड़े पहनते हैं| लोग एक दूसरे को मिठाइयां तथा उपहार देते है, एक दूसरे से मिलते है.

घरों में रंग बिरंगी रंगोलियाँ बनाई जाती है| दीपक जलाये जाते है, आतिशबाजी की जाती है, अंधकार पर प्रकाश की विजय का यह पर्व समाज में उल्लास, भाई-चारे व प्रेम का संदेश फैलाता है.

दीपावली के दिन दीप जलाए जाने चाहिए| हो सके तो एक दीपक उनके घर में भी जलाए जाने चाहिए|

जिनके घरों में अंधेरा होता है| हो सके तो ऐसा जरूर करना की आपकी वजह से किसी आम व्यक्ति को परेशानी न हो| हो सके तो आप पटाखों की जगह दिये जलाए.

“धन्यवाद”

Essay on Diwali in Hindi For Class 10 – दीपावली पर निबंध 700 शब्दों में

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प्रस्तावना

दीपावली का त्यौहार अंधेरे को खतम कर रोशनी फैलाने का त्यौहार है| अमावस्या के दिन चारों तरफ रोशनी करने का त्यौहार है.

अमावस्या की रात अंधेरी रात होती है जिसको खत्म कर दीप जगमगा उठते हैं.

दीपावली एक महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध पर्व है| जिसे प्रत्येक वर्ष देश- विदेश के लोगों द्वारा मनाया जाता है.

दीपावली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का त्यौहार है| इस दिन भगवान श्री राम जी ने रावण का वध किया था| रावण एक राक्षस कुल का देवता था जिन्होंने सीता माता का अपहरण किया था.

भगवान राम के चौदह वर्ष भी पूरे हो गए थे और उन्हे अपने राज्य वापस आना था| भगवान राम के स्वागत के लिए अयोध्या वासियों ने पूरे उत्साह के साथ घी के दीपक जलाए थे.

अमावस्या की रात को रोशनी से भर देने की रात को ही दीपावली कहते है.

सिखों में कहा जाता है की सिखों के छ्टवें गुरु श्री हरगोविंद जी की रिहाई की खुशी में भी मनाया जाता है जब उनको ग्वालियर की जैल से जांहगीर द्वारा छोड़ा गया था.

दीपावली का त्यौहार कब और कैसे मनाया जाता है ?

दीपावली का त्यौहार कार्तिक महीने की अमावस्या के दिन मनाया जाता है| अमावस्या के दिन बहुत ही अँधेरी रात होती है और दिवाली के त्यौहार में गली गली दीपक जला कर रोशनी करने की प्रथा होती है.

वैसे तो इस पर्व को लेकर कई कथाये है लेकिन कहते हैं भगवान राम चौदह वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे, इस खुशी में अयोध्या वासियों ने घी के दीये जलाये थे और राम जी लक्ष्मण जी सीता जी का स्वागत किया था.

दीपावली के दिन बाजारों में गणेश जी, लक्ष्मी जी, राम जी आदि की तस्वीरे खरीदी जाती है और बाजार को दुल्हन की तरह शानदार तरीके से सजा दिया जाता है.

इस दिन बाजारों में खास भीड़ रहती है| खासतौर से मिठाइयों की दुकानों पर, बच्चों के लिये ये दिन मानो नए कपड़े, खिलौने, पटाखे और उपहारों की सौगात लेकर आता है| दीवाली आने के कुछ दिन पहले ही लोग अपने घरों की साफ-सफाई के साथ साथ अपने घरों में बिजली की लड़ियों से रोशन कर देते है.

दिवाली पर चारों तरफ दीप जलते हैं| लोगों को अपने रिशतेदारों संबंधियों के साथ दिवाली का त्यौहार मनाते है| दिवाली का त्यौहार मनाने के लिए छोटे बच्चों में अलग ही खुशी होती है| इसको मनाने के लिये बच्चे बेहद व्यग्र रहते है और इससे जुड़ी हर गतिविधियों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते है.

स्कूलों आदि में अध्यापकों द्वारा बच्चों को कहानीयाँ सुनाकर, रंगोली बनवाकर, अपनी अपनी कक्षा को सजा कर और खेल खिलाकर इस पर्व को मनाया जाता है.

दीवाली के एक से दो दिन पहले ही बच्चों द्वारा स्कूलों छोटी दिवाली मनाई जाती है| स्कूलों में शिक्षक विद्यार्थियों को पटाखों और आतिशबाजी को लेकर सावधानी बरतने की सलाह देते है, साथ ही पूजा की विधि और दीपावली से संबंधित रिवाज आदि भी बताते है.

दीपावली 5 दिनों का एक लंबा उत्सव है जिसको लोग पूरे आनंद और उत्साह के साथ मनाते है| दीपावली के पहले दिन को धनतेरस, दूसरे दिन को छोटी दीवाली, तीसरे को दीपावली या लक्ष्मी पूजा, चौथे को गोवर्धन पूजा, विश्वकर्मा पुजा, तथा पाँचवें को भैया दूज कहते है.

दीपावली के इन पाँचों दिनों की अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताएँ है| दीपावली का त्यौहार लक्ष्मी गणेश जी की पूजा करते है लोगों को बहुत पसंद आता है.

अंधकार को खत्म कर, बुराइयों को खत्म करने का ये त्यौहार है| दीपावली का त्यौहार बच्चे बड़े एक दूसरे के प्रति स्नेह ले आता है| यह व्यक्तिगत और सामूहिक दोनों रूप से मनाये जाने वाला बहुत ही महत्वपूर्ण त्यौहार है.

हर प्रान्त या क्षेत्र में दीवाली मनाने के तरीके और कारण अलग है, सभी जगह यह त्यौहार पीढ़ियों से चला आ रहा है| लोगों में दीवाली की बहुत उमंग होती है.

लोग अपने घरों की सफाई करते हैं, नये कपड़े पहनते हैं| लोग एक दूसरे को मिठाइयां तथा उपहार देते है, एक दूसरे से मिलते है, घरों में रंग बिरंगी रंगोलियाँ बनाई जाती है, दीपक जलाये जाते है, आतिशबाजी की जाती है.

अंधकार पर प्रकाश की विजय का यह पर्व समाज में उल्लास, भाई-चारे व प्रेम का संदेश फैलाता है|

दीपावली के दिन दीप जलाए जाने चाहिए हो सके तो एक दीपक उनके घर में भी जलाए जाने चाहिए जिनके घरों में अंधेरा होता है| हो सके तो ऐसा जरूर करना की आपकी वजह से किसी आम व्यक्ति को परेशानी न हो| हो सके तो आप पटाखों की जगह दिये जलाए.

“धन्यवाद”

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दीपावली का त्यौहार केवल भारत में ही नहीं विदेशों में भी मनाया जाता है| भारत एक ऐसा देश है जहाँ सबसे ज्यादा त्यौहार मनाये जाते है, यहाँ विभिन्न धर्मों के लोग अपने-अपने उत्सव और पर्व को अपनी परंपरा और संस्कृति के अनुसार मनाते है.

हिन्दू धर्म के लिये दीपावली का त्यौहार सबसे महत्वपूर्ण, पारंपरिक और सांस्कृतिक त्यौहार है जिसको सभी लोग अपने परिवार, मित्र और पड़ोसियों के साथ पूरे उत्साह से मनाते है| दीपावली को दीपों का रोशनी का त्यौहार भी कहा जाता है.

दीपावली का त्यौहार कब आता है?

दीपवाली का त्यौहार प्रत्येक वर्ष अक्टूबर नवंबर के महीने में आता है| दिवाली का त्यौहार कार्तिक मास में मनाया जाता है| दिवाली के पीछे भी कई कहानीयाँ है जिसके बारे में हमें अपने बच्चों को जरूर बताना चाहिए.

दिवाली मनाने का एक बड़ा कारण भगवान श्री राम जी का अपने राज्य अयोध्या लौटना भी है, जब उन्होंने लंका के असुर राजा रावण को मारा था| इसके इतिहास को हर साल बुराई पर अच्छाई के प्रतीक के रुप में याद किया जाता है.

राम जी अपनी पत्नी सीता और छोटे भाई लक्ष्मण के साथ 14 साल का वनवास काट कर लौटे थे| अयोध्या के महान राजा राम का अयोध्या वासियों ने घी के दिये जला कर जोरदार स्वागत किया था|

अयोध्या वासियों ने अपने राजा के प्रति अपार स्नेह और लगाव को दिल से किये स्वागत के द्वारा प्रकट किया| उन्होंने अपने घर और पूरे राज्य को रोशनी से जगमगा दिया साथ ही राजा राम के स्वागत के लिये आतिशबाजी की भी शुरुआत की|

दिवाली का अर्थ – दीपावली का अर्थ क्या है ?

दिवाली संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है और वो दो शब्द हैं “दीप” अर्थात “दीपक” और “आवली” अर्थात “लाइन” या “श्रृंखला” जिसका मतलब हुआ दीपकों की श्रृंखला|

इसे दीपोत्सव भी कहते हैं लेकिन आधुनिकता की दौड़ में दीपावली के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण दीपक और लक्ष्मी गणेश की मूर्तियां गढ़ने वाले कुम्हार अपने घरों को रोशन करने से वंचित हैं और अपनी पुस्तैनी कला एवं व्यवसाय से जैसे विमुख हो रहे हैं.

कुम्हारों के लिए दीपावली मात्र एक पर्व न होकर जीवन यापन का बड़ा जरिया है। भारतवर्ष में जितने भी पर्व हैं, उनमें दीपावली सर्वाधिक लोकप्रिय और जन-जन के मन में हर्ष-उल्लास पैदा करने वाला पर्व है.

वैदिक प्रार्थना है- “तमसो मा ज्योतिर्गमय” अर्थात अंधकार से प्रकाश में ले जाने वाला पर्व है- “दीपावली”.

दीपक को स्कन्द पुराण में सूर्य के हिस्सों का प्रतिनिधित्व करने वाला माना गया है|  देश के कुछ हिस्सों में हिन्दू दीवाली को यम और नचिकेता की कथा के साथ भी जोड़ते हैं.

7वीं शताब्दी के संस्कृत नाटक नागनंद में राजा हर्ष ने इसे दीप प्रतिपादुत्सव: कहा है जिसमें दिये जलाये जाते थे और नव दुल्हन और दूल्हे को तोहफे दिए जाते थे.

फारसी यात्री और इतिहासकार अल बरूनी ने 11 वीं सदी के संस्मरण में, दीवाली को कार्तिक महीने में नये चंद्रमा के दिन पर हिंदुओं द्वारा मनाया जाने वाला त्योहार कहा है.

दीवाली वाले दिन अयोध्या के राजा राम लंका के अत्याचारी राजा रावण का वध करके अयोध्या लौटे थे| उस दिन अमावस्या थी इसलिए उनके राज्य वालों ने पूरे राज्य को दीपक से जलाया था.

इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने अत्याचारी राजा नरकासुर का वध किया था| पौराणिक कथा के अनुसार विष्णु ने नरसिंह रुप धारणकर हिरण्यकश्यप का वध किया था.

जैन दृष्टि से दीपावली त्याग तथा संयम का पर्व है| सांसारिक पर्व के साथ-साथ यह आध्यात्मिक पर्व भी है| इस दिन कार्तिक कृष्ण अमावस्या को 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर ने निर्वाण पद (मोक्ष, सिद्धावस्था) को प्राप्त किया था.

जैन समाज भगवान की निर्वाण पद प्राप्ति की खुशी में बहुत प्राचीनकाल से ही दीपावली पर्व मनाता आ रहा है| निर्वाण पद की प्राप्ति आसक्ति से नहीं विरक्ति से, भोग से नहीं त्याग से, वासना से नहीं साधना से, बाहरी लिप्तता से नहीं अहिंसा, संयम व तप से होती है.

दीपावली के पूर्व लोग दुकानों व घरों की साफ-सफाई करते हैं, रंग-रोगन करते हैं| लोगों में यह भावना रहती है कि इस दिन श्री लक्ष्मी जी दुकान व घर में प्रवेश करती हैं.

जीवन में धन का महत्व है, इससे इंकार नहीं किया जा सकता| धन से मानव अपना रोज का जीवन व्यवहार चलाता है| अपनी आशा-आकांक्षाओं को पूरा करने की कोशिश में लगा रहता है.

दिवाली के दिन सभी लोग शाम के समय लक्ष्मी गणेश की विधिपूर्वक पूजा होती है और घरो को दीयो से सजाया जाता है, सुंदर रंगोलीया भी बनाई जाती है और पूजा करने के बाद रात्रि मे पटाखे जलाए जाते है और खुशी से एक दूसरे को दिवाली की शुभकामनाए देते है और मुह मीठा करवाते है.

दिवाली का दिन सभी के घरो मे हर्ष उल्लास से मनाया जाता है |

इस दिन बुराई पर अच्छाई की जीत, दिवाली को बुराई पर अच्छाई, अंधकार पर प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान और निराशा पर आशा की विजय से जोड़कर देखते हैं इसलिए इस दिन केवल घरों को ही दियों से रौशन ना करें बल्कि अपने अंदर के अंधकार को भी मिटाने का कष्ट करे.


Importance Of Diwali Festival in Hindi 1000 Words – Easy Lines on Diwali in Hindi – Essay on Diwali in Hindi 2023

भारत देश पूरे संसार में अपने रीति रिवाजों, त्योहारों, संस्कृति व अनेकों भाषाओं के प्रचलन के लिए माना जाता है। भारत में अनेकों भाषाएँ बोली जाती है। ठीक उसी तरह अलग अलग धर्म के लोगों द्वारा भिन्न भिन्न प्रकार के त्यौहार भी मनाए जाते है। ऐसे ही एक त्यौहार है दिवाली का त्यौहार जिसे दुनिया देश में मनाया जाता है। ये त्योहार पूरे भारत में मनाया जाता है। यही नहीं ये त्यौहार भारत के बाहर भी हमारे देशवासियों द्वारा मनाया जाता रहा है।

भारत देश में सबसे ज्यादा पर्व मनाये जाते है, यहां विभिन्न धर्मों के लोग अपने-अपने उत्सव और पर्व को अपनी परंपरा और संस्कृति के अनुसार मनाते है। हिन्दू धर्म के लिये दीपावली का पर्व सबसे महत्वपूर्ण, पारंपरिक और सांस्कृतिक त्योहार है जिसको सभी लोग अपने परिवार, रिशतेदारों, मित्रों और पड़ोसियों के साथ पूरे उत्साह से मनाते है।  दीपावली को रोशनी का त्यौहार भी कहा जाता है।

दीपावली का त्यौहार कब आता है?

दिवाली का त्यौहार प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास अर्थात् अक्टूबर-नवंबर के महीने में आता है। दिवाली का त्यौहार कार्तिक मास में मनाया जाता है।

दिवाली क्यों मनाई जाती है?

इसके पीछे ऐतिहासिक सच्ची कहानी है जिसे प्रत्येक हिंदुस्तानी को जानना चाहिए। दिवाली का त्यौहार मनाने के पीछे एक बड़ा व मुख्य कारण भगवान श्री राम जी का अपने घर अपनी अयोध्या नगरी वापस आने की खुशी में मनाया जाता है। त्रेता युग में बुराई पर अच्छाई की जीत की खुशी में व भगवान राम के अपने घर वापस आने की खुशी में दीपावली का त्यौहार मनाया जाता है।

चौदह वर्ष वनवास गुजरने के बाद भगवान श्री राम अपनी धर्मपत्नी सीता व प्रिय भ्राता लक्ष्मण के साथ अपने घर वापस आए थे। वनवास में भगवान श्री राम अपनी पत्नी व भाई के साथ जंगलों में भ्रमण कर अपना जीवनयापन कर रहे थे, तभी उनकी पत्नी को रावण द्वारा हरण कर लिया गया और फिर उसके बाद श्री राम ने अपने मित्र सुग्रीव व सर्वश्रेठ भक्त हनुमान जी के साथ मिल कर रावण का सर्वनाश क बुराई पर अच्छाई की जीत साबित करते हुए अपने परिवार के साथ अपनी अयोध्या नगरी वापस आए।

श्री राम ने लंका के असुर राजा रावण को मारा और इतिहास के सुनहरे पन्नों पर बुराई पर अच्छाई की जीत लिख दिया जिसकी याद में प्रत्येक वर्ष दिवाली मनायी जाती है।

राम जी अपनी पत्नी सीता और छोटे भाई लक्ष्मण के साथ वनवास काट कर लौटे थे इस खुशी में अयोध्या के महान राजा राम का अयोध्या वासियों ने घी के दीये जलाकर अपना प्रेम व्यक्त करते हुए उनका स्वागत किया था। अयोध्या वासियों ने अपने राजा के प्रति अपार स्नेह और लगाव के चलते अपने घर और पूरे राज्य को रोशनी से जगमगा दिया, साथ ही राजा राम के स्वागत के लिये आतिशबाजी की भी शुरुआत की।

दिवाली का अर्थ: दीपावली का अर्थ क्या है?

दिवाली संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है और वो दो शब्द हैं “दीप” अर्थात “दीपक” और “आवली” अर्थात “लाइन” या “श्रृंखला” जिसका मतलब हुआ दीपकों की श्रृंखला। इसे दीपोत्सव भी कहते हैं। लेकिन आधुनिकता की दौड़ में दीपावली के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण दीपक और लक्ष्मी गणेश की मूर्तियां गढ़ने वाले कुम्हार अपने घरों को रोशन करने से वंचित है और अपनी पुश्तैनी कला एवं व्यवसाय से से विमुख हो रहे हैं।

कुम्हारों के लिए दीपावली मात्र एक पर्व न होकर जीवन यापन का बड़ा जरिया है। भारतवर्ष में जितने भी पर्व हैं, उनमें दीपावली सर्वाधिक लोकप्रिय और जन-जन के मन में हर्ष-उल्लास पैदा करने वाला पर्व है।

वैदिक प्रार्थना है – “तमसो मा ज्योतिर्गमय” अर्थात अंधकार से प्रकाश में ले जाने वाला पर्व है – “दीपावली

  • दीपक को स्कन्द पुराण में सूर्य के हिस्सों का प्रतिनिधित्व करने वाला माना गया है। देश के कुछ हिस्सों में हिन्दू दीवाली को यम और नचिकेता की कथा के साथ भी जोड़ते हैं। 7वीं शताब्दी के संस्कृत नाटक नागनंद में राजा हर्ष ने इसे दीप प्रतिपादुत्सव: कहा है जिसमें दिये जलाये जाते थे और नव दुल्हन और दूल्हे को तोहफे दिए जाते थे।
  • फारसी यात्री और इतिहासकार अलबरूनी ने 11 वीं सदी के संस्मरण में, दीवाली को कार्तिक महीने में नये चंद्रमा के दिन पर हिंदुओं द्वारा मनाया जाने वाला त्योहार कहा है।
  • दीवाली वाले दिन अयोध्या के राजा राम लंका के अत्याचारी राजा रावण का वध करके अयोध्या लौटे थे। उस दिन अमावस्या थी इसलिए उनके राज्य वालों ने पूरे राज्य को दीपक से जलाया था। इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने अत्याचारी राजा नरकासुर का वध किया था। पौराणिक कथा के अनुसार विष्णु ने नरसिंह रुप धारणकर हिरण्यकश्यप का वध किया था।
  • जैन दृष्टि से दीपावली त्याग तथा संयम का पर्व है। सांसारिक पर्व के साथ-साथ यह आध्यात्मिक पर्व भी है। इस दिन कार्तिक कृष्ण अमावस्या को 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर ने निर्वाण पद (मोक्ष, सिद्धावस्था) को प्राप्त किया था।

जैन समाज भगवान की निर्वाण पद प्राप्ति की खुशी में बहुत प्राचीनकाल से ही दीपावली पर्व मनाता आ रहा है। निर्वाण पद की प्राप्ति आसक्ति से नहीं विरक्ति से, भोग से नहीं त्याग से, वासना से नहीं साधना से, बाहरी लिप्तता से नहीं अहिंसा, संयम व तप से होती है।

दीपावली के पूर्व लोग दुकानों व घरों की साफ-सफाई करते है, रंग-रोगन करते है। लोगों में यह भावन रहती है कि इस दिन श्री लक्ष्मी जी दुकान व घर में प्रवेश करती हैं।

जीवन में धन का महत्व है, इससे इंकार नहीं किया जा सकता। धन से मानव अपना रोज का जीवन व्यवहार चलाता है, अपनी आशा-आकांक्षाओं को पूरा करने की कोशिश में लगा रहता है। दिवाली के दिन सभी लोग शाम के समय लक्ष्मी गणेश की विधिपूर्वक पूजा होती है और घरों को दीपों से सजाया जाता है, सुंदर रंगोली भी बनाई जाती है और पूजा करने के बाद रात्रि में पटाखे जलाए जाते हैं और खुशी से एक दूसरे को दिवाली की शुभकामनाएं मैसेज देते है और मुह मीठा करवाते है।

दिवाली का दिन सभी के घरों में हर्ष उल्लास से मनाया जाता है। इस दिन बुराई पर अच्छाई की जीत, दिवाली को बुराई पर अच्छाई, अंधकार पर प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान और निराशा पर आशा की विजय से जोड़कर देखते है इसलिए इस दिन केवल घरों को ही दीयों से रोशन ना करें बल्कि अपने अंदर के अंधकार को भी मिटाने का कष्ट करे।


अंतिम शब्द

उम्मीद करता हूँ की आपको दीपावली से संबंधित सभी जानकारी मिल ही गयी होगी। यदि कोई जानकारी रह गई हो और आपको पता है तो कृपया करके कमेंट के माध्यम से हमें बताएं।

हो सके तो दीपावली पर निबंध ( Essay on Diwali in Hindi ) के इस लेख को व्हाट्सएप्प, ट्विटर आदि पर शेयर जरुर करें.

“धन्यवाद”

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10 Comments

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  2. Sir बहुत अच्छा निबंध लिखा है आपने मुझे भी पोस्ट रैंक करवाने के कोई टिप्स दीजिए

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