जय हिन्द दोस्तों, मैं आपका दोस्त, आपका साथी हिंदी परिचय वाला आपके लिए गणतंत्र दिवस पर कविता 2022 (Republic Day Poem in Hindi) लेकर आया हूँ। उम्मीद करता हूँ कि Poem on Republic Day in Hindi का बेस्ट कलेक्शन आपको मेरे पास से ही मिलेगा। तो दोस्तों, बिना देरी करते हुए आप 26 जनवरी की कविताएं का प्रयोग कर सकते है। 26 जनवरी पर कविता को बच्चे अपने विद्यालय, कॉलेज, समारोह आदि में प्रयोग करते हैं।
यहां पर गणतंत्र दिवस पर कविता का बेस्ट संग्रह है। यहां पर जितनी भी Republic Day Hindi Poem मैंने अपडेट की है। मैं उन सभी कविताएं के लेखक को तहे दिल से धन्यवाद करता हूँ।
आज भी लोगों को ये पूरी तरह नहीं मालूम की भारत में 26 जनवरी क्यों मनाया जाता है और इसका महत्व क्या है?
भारत देश को एक संपूर्ण आजाद देश बनाने के पीछे ना जाने कितने स्वतंत्रता सेनानियों, भारत के वीर सपूतों ने अपना जीवन त्यागा है। भारत को एक गणतंत्र देश और स्वतंत्र देश बनाने के पीछे न जाने कितने वीर जवानों ने अपना जीवन त्यागा है। भारतीय स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त 1947 है और जब भारत आजाद हो गया था तब हमारे भारतीय नेताओं ने सोचा की जब भारत आजाद हो ही गया है तो भारत में अपने कुछ नियम लागू होने चाहिए जिससे किसी भी व्यक्ति के साथ कोई गलत काम न हो सके और उसका मानवाधिकार और उसको अपना अधिकार मिल सके।
भारत एक गणराज्य देश बनने के लिए न जाने कितने वर्षों तक अंग्रेजों का सामना करता रहा है लेकिन वो घड़ी आ ही गयी जब भारत देश एक गणराज्य देश में तब्दील हुआ और आखिर में अंग्रेजी हुकूमत को हमारे देश के वीरों के आगे झुकना पड़ा और हमारे देश को छोड़कर वापस अपने देश जाना पड़ा। भारत की स्वतंत्रता का ये संघर्ष जीतना आसान लगता है, वास्तव में इतना आसान नहीं था।
भारतीय स्वतंत्रता के पीछे ना जाने कितने लोगों की कुर्बानी उनके लहू से लिखी गयी है। भारत के आजाद होने के बाद भारतीय नेताओं की एक बहुत ही गहन ज़िम्मेदारी थी की वो भारत में संविधान लागू करें और भारत को गणराज्य बना सके। भारत को एक मजबूत और सर्वशक्तिशाली देश के पद पर लाने की कोशिश आज भी बरकरार है। भारत पूरी तरह से आजाद है और संविधान से भरपूर है।
भारत में लोकतंत्र और राजतंत्र दोनों ही भारत की जनता के पक्ष में है। भारतीय गणतंत्र दिवस सन् 2022 में 73 वां गणतंत्र दिवस मनाने जा रहे हैं। 26 जनवरी के दिन हमारे देश में गणतंत्र दिवस का त्यौहार बड़ी ही खुशियों के साथ धूमधाम के साथ भक्ति गीतों के साथ मनाया जाता है। भारतीय स्वतंत्रता दिवस के बाद भारत का संविधान लागू 26 जनवरी 1950 में हुआ था जो की आज 2022 में 73वीं बार मनाया जाने वाला है।
भारत की स्वतंत्रता के लिए गणतंत्र दिवस पर देशभक्ति कविताएं निम्नलिखित है और भारत की शान में कई रिपब्लिक डे पोएम लिखी गयी है.
(आओ तिरंगा फहराये)
आओ तिरंगा लहराये, आओ तिरंगा फहराये; अपना गणतंत्र दिवस है आया, झूमे, नाचे, खुशी मनाये। अपना 70वाँ गणतंत्र दिवस खुशी से मनायेगे; देश पर कुर्बान हुये शहीदों पर श्रद्धा सुमन चढ़ायेंगे। 26 जनवरी 1950 को अपना गणतंत्र लागू हुआ था, भारत के पहले राष्ट्रपति, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने झंड़ा फहराया था, मुख्य अतिथि के रुप में सुकारनो को बुलाया था, थे जो इंडोनेशियन राष्ट्रपति, भारत के भी थे हितैषी, था वो ऐतिहासिक पल हमारा, जिससे गौरवान्वित था भारत सारा। विश्व के सबसे बड़े संविधान का खिताब हमने पाया है, पूरे विश्व में लोकतंत्र का डंका हमने बजाया है। इसमें बताये नियमों को अपने जीवन में अपनाये, थाम एक दूसरे का हाथ आगे-आगे कदम बढ़ाये। आओ तिरंगा लहराये, आओ तिरंगा फहराये, अपना गणतंत्र दिवस है आया, झूमे, नाचे, खुशी मनाये।
गणतंत्र दिवस की कवितायें जिनका अस्तित्व आज भी है और हमेशा रहेगा। कवितायें लिखना एक कला है और ऐसे कला हर किसी व्यक्ति के अंदर नहीं है। भारत एक ऐसा देश है जहां से गंगा जमुना सरस्वती नर्मदा जैसी अनेकों नदियां है और उनकी चाल अलग अलग होती है। स्वाद भी अलग अलग होता है लेकिन उनका काम एक ही होता है कि कोई भी उनका उपयोग करे तो जीवन जी सकता है ठीक उसी तरह भारत देश में बहुत से ऐसे कवी हैं जिनकी कविताओं देश का प्रेम बेहिसाब होता है। कुछ कविताओं को इस वेबसाइट पर डाला गया है ये सभी कविताएं जिन कवियों द्वारा लिखी गयी है उन सभी का दिल से धन्यवाद।
“देश का गौरव – गणतंत्र उत्सव”
हम आजादी के मतवाले, झूमे सीना ताने। हर साल मनाते उत्सव, गणतंत्र का महजब़ जाने। संविधान की भाषा बोले, रग-रग में कर्तव्य घोले। गुलामी की बेड़ियों को, जब रावी-तट पर तोड़ा था। उसी अवसर पर तो, हमनें संविधान से नाता जोड़ा था। हर साल हम उसी अवसर पर, गणतंत्र उत्सव मनाते हैं।। पूरा भारत झूमता रहता है, और हम नाचते-गाते हैं। राससीना की पहाड़ी से, शेर-ए-भारत बिगुल बजाता है। अपने शहीदों को करके याद, पुनः शक्ति पा जाता है।।
26 जनवरी को आता हमारा गणतंत्र दिवस, जिसे मिलकर मनाते हैं हम सब हर वर्ष। इस विशेष दिन भारत बना था प्रजातंत्र देश , इससे पहले न थे कोई भी ना थे पूर्ण रूप से स्वतंत्र। इसके लिए किये लोगो ने अनगिनत संघर्ष, गणतंत्र प्राप्ति से लोगों को मिला नया उत्कर्ष। गणतंत्र द्वारा मिला लोगों को मतदान का अधिकार, जिससे बनी देशभर में लोकतंत्रता और जनता की सरकार। इसलिए दोस्तों तुम गणतंत्र का महत्व समझो, चंद पैसो की खातिर अपना मतदान ना बेचो। क्योंकि यदि ना रहेगा हमारा यह गणतंत्र, तो हमारा भारत देश फिर से हो जायेगा परतंत्र। तो आओ हम सब मिलकर ले प्रतिज्ञा, मानेंगे संविधान की हर बात ना करेंगे इसकी अवज्ञा।
'गणतंत्र दिवस आ गया' देखो फिर से गणतंत्र दिवस आ गया, जो आते ही हमारे दिलों-दिमाग पर छा गया। यह है हमारे देश का राष्ट्रीय त्योहार, इसलिए तो सब करते हैं इससे प्यार। इस अवसर का हमें रहता विशेष इंतजार, क्योंकि इस दिन मिला हमें गणतंत्र का उपहार। आओ लोगो तक गणतंत्र दिवस का संदेश पहुचाएं, लोगो को गणतंत्र का महत्व समझाये। गणतंत्र द्वारा भारत में हुआ नया सवेरा, इसके पहले तक था देश में तानाशाही का अंधेरा। क्योंकि बिना गणतंत्र देश में आ जाती है तानाशाही, नही मिलता कोई अधिकार वादे होते हैं हवा-हवाई। तो आओ अब इसका और ना करें इंतजार, साथ मिलकर मनाये गणतंत्र दिवस का राष्ट्रीय त्योहार।
क्या तुम्हें पता है 26 जनवरी, भारत में पहली बार कब मना था। क्या तुम्हें ज्ञात है इसका इतिहास, कितना गौरवशाली था। क्या जानते हो अपने पूर्वजों को, जिन्होंने आजादी के लिए जंग लड़े। क्या तुम्हें पता है अपना संविधान, जिसमें तुम्हारे अधिकार लिखे हैं। आओ बताती हूं मैं सब को, क्यों गणतंत्र दिवस हम मनाते हैं। क्यों 26 जनवरी को हर वर्ष, हम तिरंगा लहराते हैं। बहुत पुराना है इसका इतिहास, जब 1930 में नेहरू कांग्रेस के अध्यक्ष बने। फिर उन्होंने 26 जनवरी को आजादी, के उत्सव का ऐलान किया। ब्रिटिश सरकार की तानाशाही ने, इसको न स्वीकार किया। अधूरा रह गया वह ख्वाब, जिसका नेहरू जी को बहुत अफसोस हुआ। फिर कुछ वर्ष बीत गये, जब 1947 में हमें आजादी मिली। फिर जरूरत पड़ी अपने संविधान की, जिसे बनाने में लगभग 3 वर्ष लगे। 26 नवंबर का वह शुभ दिन था, जब संविधान बन कर तैयार हुआ। और लोगों में इसे पाने के लिए, उत्सव का माहौल भी था। 26 जनवरी 1950 को हमने, पहला गणतंत्र दिवस मनाने का ऐलान किया। और नेहरू जी के अधूरे स्वप्न को, सब ने मिलकर साकार किया। आजादी तो पहले ही मिल चुकी थी, पर हमारे पास न कोई अधिकार थे। संविधान का उपहार हमें मिला था, इसी वजह से ये दिन खास हुआ। इसी लिये हम हर वर्ष, अपना गणतंत्र दिवस मनाते हैं। तिरंगे को लहराकर हम सब, अपनी खुशी दर्शाते हैं। और देश प्रेम की भावना से हम भारतवासी भर जाते हैं।
देखो 26 जनवरी है आयी, गणतंत्र की सौगात है लायी। अधिकार दिये हैं इसने अनमोल, जीवन में बढ़ सके बिन अवरोध। हर साल 26 जनवरी को होता है वार्षिक आयोजन, लाला किले पर होता है जब प्रधानमंत्री का भाषन, नयी उम्मीद और नये पैगाम से, करते है देश का अभिभादन, अमर जवान ज्योति, इंडिया गेट पर अर्पित करते श्रद्धा सुमन, 2 मिनट के मौन धारण से होता शहीदों को शत-शत नमन। सौगातो की सौगात है, गणतंत्र हमारा महान है, आकार में विशाल है, हर सवाल का जवाब है, संविधान इसका संचालक है, हम सब का वो पालक है, लोकतंत्र जिसकी पहचान है, हम सबकी ये शान है, गणतंत्र हमारा महान है, गणतंत्र हमारा महान है।
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माह जनवरी छब्बीस को हम सब गणतंत्र मनाते | और तिरंगे को फहरा कर, गीत ख़ुशी के गाते || संविधान आजादी वाला, बच्चो ! इस दिन आया | इसने दुनिया में भारत को, नव गणतंत्र बनाया || क्या करना है और नही क्या ? संविधान बतलाता | भारत में रहने वालों का, इससे गहरा नाता || यह अधिकार हमें देता है, उन्नति करने वाला | ऊँच-नीच का भेद न करता, पण्डित हो या लाला || हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, सब हैं भाई-भाई | सबसे पहले संविधान ने, बात यही बतलाई || इसके बाद बतायी बातें, जन-जन के हित वाली | पढ़ने में ये सब लगती हैं, बातें बड़ी निराली || लेकर शिक्षा कहीं, कभी भी, ऊँचे पद पा सकते | और बढ़ा व्यापार नियम से, दुनिया में छा सकते || देश हमारा, रहें कहीं हम, काम सभी कर सकते | पंचायत से एम.पी. तक का, हम चुनाव लड़ सकते || लेकर सत्ता संविधान से, शक्तिमान हो सकते | और देश की इस धरती पर, जो चाहे कर सकते || लेकिन संविधान को पढ़कर, मानवता को जाने । अधिकारों के साथ जुड़ें, कर्तव्यों को पहचानो ।
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हम गणतंत्र भारत के निवासी, करते अपनी मनमानी, दुनिया की कोई फिक्र नहीं, संविधान है करता पहरेदारी।। है इतिहास इसका बहुत पुराना, संघर्षों का था वो जमाना; न थी कुछ करने की आजादी, चारों तरफ हो रही थी बस देश की बर्बादी, एक तरफ विदेशी हमलों की मार, दूसरी तरफ दे रहे थे कुछ अपने ही अपनो को घात, पर आजादी के परवानों ने हार नहीं मानी थी, विदेशियों से देश को आजाद कराने की जिद्द ठानी थी, एक के एक बाद किये विदेशी शासकों पर घात, छोड़ दी अपनी जान की परवाह, बस आजाद होने की थी आखिरी आस। 1857 की क्रान्ति आजादी के संघर्ष की पहली कहानी थी, जो मेरठ, कानपुर, बरेली, झांसी, दिल्ली और अवध में लगी चिंगारी थी, जिसकी नायिका झांसी की रानी आजादी की दिवानी थी, देश भक्ति के रंग में रंगी वो एक मस्तानी थी, जिसने देश हित के लिये स्वंय को बलिदान करने की ठानी थी, उसके साहस और संगठन के नेतृत्व ने अंग्रेजों की नींद उड़ायी थी, हरा दिया उसे षडयंत्र रचकर, कूटनीति का भंयकर जाल बुनकर, मर गयी वो पर मरकर भी अमर हो गयी, अपने बलिदान के बाद भी अंग्रेजों में खौफ छोड़ गयी| उसकी शहादत ने हजारों देशवासियों को नींद से उठाया था, अंग्रेजी शासन के खिलाफ एक नयी सेना के निर्माण को बढ़ाया था, फिर तो शुरु हो गया अंग्रेजी शासन के खिलाफ संघर्ष का सिलसिला, एक के बाद एक बनता गया वीरों का काफिला, वो वीर मौत के खौफ से न भय खाते थे, अंग्रेजों को सीधे मैदान में धूल चटाते थे, ईट का जवाब पत्थर से देना उनको आता था, अंग्रेजों के बुने हुये जाल में उन्हीं को फसाना बखूबी आता था| खोल दिया अंग्रेजों से संघर्ष का दो तरफा मोर्चा, 1885 में कर डाली कांग्रेस की स्थापना, लाला लाजपत राय, तिलक और विपिन चन्द्र पाल, घोष, बोस जैसे अध्यक्षों ने की जिसकी अध्यक्षता, इन देशभक्तों ने अपनी चतुराई से अंग्रेजों को राजनीति में उलझाया था, उन्हीं के दाव-पेचों से अपनी माँगों को मनवाया था| सत्य, अहिंसा और सत्याग्रह के मार्ग को गाँधी ने अपनाया था, कांग्रेस के माध्यम से ही उन्होंने जन समर्थन जुटाया था, दूसरी तरफ क्रान्तिकारियों ने भी अपना मोर्चा लगाया था, बिस्मिल, अशफाक, आजाद, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु जैसे, क्रान्तिकारियों से देशवासियों का परिचय कराया था, अपना सर्वस्व इन्होंने देश पर लुटाया था, तब जाकर 1947 में हमने आजादी को पाया था| एक बहुत बड़ी कीमत चुकायी है हमने इस आजादी की खातिर, न जाने कितने वीरों ने जान गवाई थी देश प्रेम की खातिर, निभा गये वो अपना फर्ज देकर अपनी जाने, निभाये हम भी अपना फर्ज आओ आजादी को पहचाने, देश प्रेम में डूबे वो, न हिन्दू, न मुस्लिम थे, वो भारत के वासी भारत माँ के बेटे थे| उन्हीं की तरह देश की शरहद पर हरेक सैनिक अपना फर्ज निभाता है, कर्तव्य के रास्ते पर खुद को शहीद कर जाता है, आओ हम भी देश के सभ्य नागरिक बने, हिन्दू, मुस्लिम, सब छोड़कर, मिलजुलकर आगे बढ़े, जातिवाद, क्षेत्रवाद, आतंकवाद, ये देश में फैली बुराई है, जिन्हें किसी और ने नहीं देश के नेताओं ने फैलाई है अपनी कमियों को छिपाने को देश को भरमाया है, जातिवाद के चक्र में हम सब को उलझाया है| अभी समय है इस भ्रम को तोड़ जाने का, सबकुछ छोड़ भारतीय बन देश विकास को करने का, यदि फसे रहे जातिवाद में, तो पिछड़कर रह जायेंगे संसार में, अभी समय है उठ जाओं वरना पछताते रह जाओगें, समय निकल जाने पर हाथ मलते रह जाओगे, भेदभाव को पीछे छोड़ सब हिन्दुस्तानी बन जाये, इस गणतंत्र दिवस पर मिलजुलकर तिरंगा लहराये।।
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मोह निंद्रा में सोने वालों, अब भी वक्त है जाग जाओ, इससे पहले कि तुम्हारी यह नींद राष्ट्र को ले डूबे, जाति-पाती में बंटकर देश का बन्टाधार करने वालों, अपना हित चाहते हो, तो अब भी एक हो जाओ, भाषा के नाम पर लड़ने वालों, हिंदी को जग का सिरमौर बनाओ, राष्ट्र हित में कुछ तो बलिदान करो तुम, इससे पहले कि राष्ट्र फिर गुलाम बन जाए, आधुनिकता केवल पहनावे से नहीं होती है, ये बात अब भी समझ जाओ तुम, फिर कभी कहीं कोई भूखा न सोए, कोई ऐसी क्रांति ले आओ तुम, भारत में हर कोई साक्षर हो, देश को ऐसे पढ़ाओ तुम।
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जब सूरज संग हो जाए अंधियार के, तब दीये का टिमटिमाना जरूरी है। जब प्यार की बोली लगने लगे बाजार में, तब प्रेमी का प्रेम को बचाना जरूरी है। जब देश को खतरा हो गद्दारों से, तो गद्दारों को धरती से मिटाना जरूरी है। जब गुमराह हो रहा हो युवा देश का, तो उसे सही राह दिखाना जरूरी है। जब हर ओर फैल गई हो निराशा देश में, तो क्रांति का बिगुल बजाना जरूरी है। जब नारी खुद को असहाय पाए, तो उसे लक्ष्मीबाई बनाना जरूरी है। जब नेताओं के हाथ में सुरक्षित न रहे देश, तो फिर सुभाष का आना जरूरी है। जब सीधे तरीकों से देश न बदले, तब विद्रोह जरूरी है।।
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तेरी जिंदगी से बहुत दूर चले जाना है, फिर न लौट कर इस दुनिया में आना है, बस अब बहुत हुआ, अब किसी का भी चेहरा इस दिल में कभी नहीं बसाना है, तुम्हारी जिंदगी में अब मैं नहीं, तुम्हारी जिंदगी में अब कोई और सही, पर मेरे दिल में तुम हमेशा रहोगे, मेरा अधूरा ख्वाब बनकर, मेरे हमनशीं, न कर मुझे याद करके मुझपर और एहसान, ऐसा न हो मुझे पाने की तमन्ना में, चली जाए तेरी जान, मैं भी कोशिश करूँगा भुलाने की तुझे, नहीं तो हो जाऊँगा तेरे नाम पर कुर्बान , हसरतें दिल में दबी रह गयी, तुझे पाकर भी जिंदगी में कुछ कमी रह गयी, आँखों में तड़प और दिल में दर्द अब भी है, न जाने तेरे जाने के बाद भी, आँखों में नमी रह गयी, मन करता है जो दर्द है दिल में, बयां कर दूँ हर दर्द तुझसे, अब ये दर्द छुपाए नहीं जाते, लेकिन नहीं कह सकता कुछ तुझसे, क्योंकि दिलो के दर्द दिखाए नहीं जाते!
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मैं भारतमाता का पुत्र प्रतापी, सीमा की रक्षा करता हूं। जो आके टकराता है, अहम चूर भी करता हूं। दुश्मन की कोई भी, दाल न गलती। लड़कर दूर भगाता हूं, अपने भारत के वीर गीत को, हर मौके पर गाता हूं। आतंकवादी अवसरवादी, आने से टकराते हैं। आ गए मेरी भूमि में, तहस-नहस हो जाते हैं। अपने देश की माटी का, माथे पर तिलक लगाता हूं। -शंभू नाथ
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आज नई सज-धज से गणतंत्र दिवस फिर आया है। नव परिधान बसंती रंग का माता ने पहनाया है। भीड़ बढ़ी स्वागत करने को बादल झड़ी लगाते हैं। रंग-बिरंगे फूलों में ऋतुराज खड़े मुस्काते हैं। धरती मां ने धानी साड़ी पहन श्रृंगार सजाया है। गणतंत्र दिवस फिर आया है। भारत की इस अखंडता को तिलभर आंच न आने पाए। हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई मिलजुल इसकी शान बढ़ाएं। युवा वर्ग सक्षम हाथों से आगे इसको सदा बढ़ाएं। इसकी रक्षा में वीरों ने अपना रक्त बहाया है। गणतंत्र दिवस फिर आया है।
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पावन है गणतंत्र यह, करो खूब गुणगान। भाषण-बरसाकर बनो, वक्ता चतुर सुजान॥ वक्ता चतुर सुजान, देश का गौरव गाओ। श्रोताओं का मान करो नारे लगवाओ॥ इसी रीति से बनो सुनेता ‘रामसुहावन’। कीर्ति-लाभ का समय सुहाना यह दिन पावन॥ भाई तुमको यदि लगा, जन सेवा का रोग। प्रजातंत्र की ओट में, राजतंत्र को भोग॥ राजतंत्र को भोग, मजे से कूटनीति कर। झण्डे-पण्डे देख, संभलकर राजनीति कर॥ लाभ जहां हो वहीं, करो परमार्थ भलाई। चखो मलाई मस्त, देह के हित में भाई॥ कथनी-करनी भिन्नता, कूटनीति का अंग। घोलो भाषण में चटक, देश-भक्ति का रंग॥ देश-भक्ति का रंग, उलीचो श्रोताओं पर। स्वार्थ छिपाओ प्रबल, हृदय में संयम धरकर॥ अगले दिन से तुम्हें, वहीं फिर मन की करनी। स्वार्थ-साधना सधे, भिन्न जब करनी-कथनी॥ बोलो भ्रष्टाचार का, होवे सत्यानाश। भ्रष्टाचारी को मगर, सदा बिठाओ पास॥ सदा बिठाओ पास, आंच उस पर न आए। करे ना कोई भूल, जांच उसकी करवाए॥ करे आपकी मदद, पोल उसकी मत खोलो। है गणतंत्र महान, प्रेम से जय जय बोलो॥ कर लो भ्रष्टाचार का, सामाजिक सम्मान। सुलभ कहां हैं आजकल, सदाचरण-ईमान॥ सदाचरण-ईमान मिले तो खोट उछालो। बन जाओ विद्वान, बाल की खाल निकालो॥ रखो सोच में लोच, उगाही दौलत भर लो। प्रजातंत्र को नोच, कामना पूरी कर लो॥
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नहीं सिर्फ जश्न मनाना, नहीं सिर्फ झंडे लहराना, ये काफी नहीं है वतन पर, यादों को नहीं भुलाना, जो कुर्बान हुए उनके लफ़्ज़ों को आगे बढ़ाना, खुदा के लिए नही ज़िन्दगी वतन के लिए लुटाना, हम लाएं है तूफ़ान से कश्ती निकाल के, इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल के….|| आज शहीदों ने है तुमको, अहले वतन ललकारा, तोड़ो गुलामी की जंजीरें, बरसाओ अंगारा, हिन्दू-मुस्लिम-सिख हमारा, भाई-भाई प्यारा, यह है आजादी का झंडा, इसे सलाम हमारा ||
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सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्ताँ हमारा हम बुलबुलें हैं इसकी, यह गुलिस्ताँ हमारा || तैरना है तो समंदर में तैरो नदी नालों में क्या रखा है, प्यार करना है तो वतन से करो इस बेवफ़ा लोगों में क्या रखा है ||
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देखो 26 जनवरी है आयी, गणतंत्र की सौगात है लायी। अधिकार दिये हैं इसने अनमोल, जीवन में बढ़ सके बिन अवरोध। हर साल 26 जनवरी को होता है वार्षिक आयोजन, लाला किले पर होता है जब प्रधानमंत्री का भाषन, नयी उम्मीद और नये पैगाम से, करते है देश का अभिभादन, अमर जवान ज्योति, इंडिया गेट पर अर्पित करते श्रद्धा सुमन, 2 मिनट के मौन धारण से होता शहीदों को शत-शत नमन। सौगातो की सौगात है, गणतंत्र हमारा महान है, आकार में विशाल है, हर सवाल का जवाब है, संविधान इसका संचालक है, हम सब का वो पालक है, लोकतंत्र जिसकी पहचान है, हम सबकी ये शान है, गणतंत्र हमारा महान है, गणतंत्र हमारा महान है।
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माह जनवरी छब्बीस को हम सब गणतंत्र मनाते | और तिरंगे को फहरा कर, गीत ख़ुशी के गाते || संविधान आजादी वाला, बच्चो ! इस दिन आया | इसने दुनिया में भारत को, नव गणतंत्र बनाया || क्या करना है और नही क्या ? संविधान बतलाता | भारत में रहने वालों का, इससे गहरा नाता || यह अधिकार हमें देता है, उन्नति करने वाला | ऊँच-नीच का भेद न करता, पण्डित हो या लाला || हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, सब हैं भाई-भाई | सबसे पहले संविधान ने, बात यही बतलाई || इसके बाद बतायी बातें, जन-जन के हित वाली | पढ़ने में ये सब लगती हैं, बातें बड़ी निराली || लेकर शिक्षा कहीं, कभी भी, ऊँचे पद पा सकते | और बढ़ा व्यापार नियम से, दुनिया में छा सकते || देश हमारा, रहें कहीं हम, काम सभी कर सकते | पंचायत से एम.पी. तक का, हम चुनाव लड़ सकते || लेकर सत्ता संविधान से, शक्तिमान हो सकते | और देश की इस धरती पर, जो चाहे कर सकते || लेकिन संविधान को पढ़कर, मानवता को जाने | अधिकारों के साथ जुड़ें, कर्तव्यों को पहचानो ||
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गणतंत्र दिवस की कविता का कोश इस प्रकार हैं :
आज नई सज-धज से गणतंत्र दिवस फिर आया है। नव परिधान बसंती रंग का माता ने पहनाया है। भीड़ बढ़ी स्वागत करने को बादल झड़ी लगाते हैं। रंग-बिरंगे फूलों में ऋतुराज खड़े मुस्काते हैं। धरती मां ने धानी साड़ी पहन श्रृंगार सजाया है। गणतंत्र दिवस फिर आया है। भारत की इस अखंडता को तिलभर आंच न आने पाए। हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई मिलजुल इसकी शान बढ़ाएं। युवा वर्ग सक्षम हाथों से आगे इसको सदा बढ़ाएं। इसकी रक्षा में वीरों ने अपना रक्त बहाया है। गणतंत्र दिवस फिर आया है।
आपके लिए: 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस पर निबंध
केवळ ध्वज फडफडत नाही, आठवणी विसरून विसरू नका, आठवणी विसरू नका, त्यांच्या चूक पुढे जाण्यासाठी, जीवनासाठी नाही, आयुष्यासाठी लूटण्याकरिता, आम्ही वादळ पासून कसं काय बाहेर आणले आहे, माझ्या मुलांवर नियंत्रण ठेवण्यासाठी हा देश ठेवा….
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आज मेरे देश में गणतंत्र हैं आया देश में हर तरफ लोकतंत्र हैं छाया ना करना अब हमसे कोई सवाल स्वइच्छा किया हैं हमने मतदान अब न सुनेंगे कोई बहाना लोकतंत्र ही हैं शक्ति भलीभांति जाना अगर की अपनी मनमानी सुनेंगे नहीं कोई कहानी फिर से उठालेंगे हथियार मतदान हैं हमारा अधिकार अगर आना हैं अगली बार विकास करो मोदी इस बार
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भारत देश हमारा है यह हमको जान से प्यारा है दुनिया में सबसे न्यारा यह सबकी आंखों का तारा है मोती हैं इसके कण- कण में बूँद- बूँद में सागर है प्रहरी बना हिमालय बैठा धरा सोने की गागर है भूमि ये अमर जवानों की है वीरों के बलिदानों की रत्नों के भंडार भरे हैं गाथा स्वर्णिम खानों की सत्य, अहिंसा, शांति बाँटता इसकी शान तिरंग़ा है गोद खेलती नटखट नदियाँ पावन यमुना- गंगा है चंदन की माटी से महके मातृभूमि को वंदन है कोटि-कोटि भारतवालों का सुंदर सा यह नंदन है दुनिया में सबसे न्यारा यह सबकी आँखों का तारा है हमको जान से प्यारा यह भारत देश हमारा है.- जय हिन्द ,जय भारत..
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मत घबराओ, वीर जवानों वह दिन भी आ जाएगा। जब भारत का बच्चा बच्चा देशभक्त बन जाएगा।। कोई वीर अभिमन्यु बनकर , चक्रव्यू को तोड़ेगा कोई वीर भगत सिंह बनकर अंग्रेजो के सिर फोढेगा।। धीर धरो तुम वीर जवानों , मत घबराओ वीर जवानों वह दिन भी आ जायेगा जब भारत का बच्चा बच्चा देशभक्त बन जाएगा।। कलकल करती गंगा यमुना , जिसके गुण ये गाती हैं भारत की इस पुण्य धरा में, अपना गुंजार सुनती हैं।। आज तिरंगे के रंगों को फीका नहीं होने देगे इस तिरंगे की शान के लिए , अपना सर्वस्व लूटा देगे।। अब मत घबराओ वीर शहीदों , मत घबराओ वीर जवानों वह दिन भी आ जायेगा , जब भारत का बच्चा बच्चा देशभक्त बन जाएगा।। वीर अमर शहीदों की कुर्बानी को, कोई भुला ना पाएगा जब आत्याचार बढ़ेगा धरती पर, एक महापुरुष आ जायेगा मत घबराओ वीर जवानों जब भारत का बच्चा बच्चा देशभक्त बन जाएगा।।
जब देश हमारा है सोचो ऐसा, “कैदी होते हम तो क्या माना पाते कोई त्यौहार जिसके पीछे कुर्बान किया था कुछ लोगों ने अपना देह और अपना घर परिवार कैसे कह दूँ देह भक्ति करता हूँ में न कभी देखि सरहद और न देखा कभी दुश्मनों का वार में बस इतना कहूँगा देखो खुला आसमान वह आजादी की धूप और हवा सिर्फ हमारे शहीदों का तोहफा है । कहते थे सोने की चिड़िया एक बार सोचो क्या अभी भी हमारा देश वही है? माँगूँगा जी भर के रोटी माँ ने जो पकाई होगी मेहनत और खून पसीने से पापा ने जो कमाई होगी लेकिन भूल न जाना उन किसानों को जिनके रात दिन लग गए खेतो मे खेती करी किसानों ने और सैनिक खड़ा रहा रेतों में खेती और देश भक्ति में कोई फर्क नही है खेती पेट पालती है और भक्ति देश पालती है - शानू गुप्ता (लेखक)
वतन हमारा ऐसे न छोर पाए कोई, वतन हमारा ऐसे न छोर पाए कोई, रिश्ता हमारा ऐसा ना तोड़ पाए कोई, दिल है हमारे एक है, एक है हमारी जान, दिल है हमारे एक है, एक है हमारी जान, हिन्दुस्तान हमारा है हम है इसकी शान ||
हर तूफान को मोड़ दे जो हिन्दोस्तान से टकराए चाहे तेरा सीना हो छलनी तिरंगा उंचा ही लहराए |
बंद करो ये तुम आपस में खेलना अब खून की होली उस मा को याद करो जिसने खून से चुन्नर भिगोली |
कुछ कर गुजरने की गर तमन्ना उठती हो दिल में भारत मा का नाम सजाओ दुनिया की महफिल में |
इतना ही कहेना काफी नही भारत हमारा मान है अपना फ़र्ज़ निभाओ देश कहे हम उसकी शान है।
किसकी राह देख रहा , तुम खुद सिपाही बन जाना सरहद पर ना सही , सीखो आंधियारो से लढ पाना।
विकसित होता राष्ट्र हमारा , रंग लाती हर कुर्बानी है फक्र से अपना परिचय देते,हम सारे हिन्दोस्तानी है।
साथ ही लोग 26 जनवरी पर शायरी, गणतंत्र दिवस पर स्लोगन, गणतंत्र दिवस पर लेख, गणतंत्र दिवस पर भाषण, गणतंत्र दिवस पर कविता, 26 जनवरी पर कविता, गणतंत्र दिवस पर मंच संचालन, गणतंत्र दिवस गीत भी सर्च करते हैं।
आज यहां पधारे सभी आदरणीय अतिथिगण, प्रधानाचार्य जी, एवं मेरे साथ कार्यरत सभी शिक्षकगण व हमारे सभी प्यारे विद्यार्थियों को नमस्कार!
सर्वोत्तम सभी आगंतुकों व सभी प्रस्तुत अतिथियों को 26 जनवरी की हार्दिक बधाइयाँ। गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई के साथ साथ मेरी और से आप सभी के परिवार वालों को 26 जनवरी की हार्दिक बधाइयाँ। वर्तमान में आज के दिन भारत देश का 73वां गणतंत्र दिवस मनाया जा रहा है। गणतंत्र दिवस भारत देश के लिए मुख्य दिवस माना गया है।
गणतंत्र दिवस भारत देश भारत देश के लिए महत्वपूर्ण दिवस इसलिए माना जाता है क्योंकि इस दिन भारत का संविधान लागू किया गया था और भारत एक संवैधानिक देश में घोषित हो गया था। साधारण शब्दों में कहा जाए तो 26 जनवरी के दिन भारत में कानून प्रथा की स्थापना की गयी थी। गणतंत्र दिवस भारत के लिए सरकारी अवकाश का दिन है। गणतंत्र दिवस भारत में राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाया जाता है।
गणतंत्र दिवस के दिन सम्पूर्ण भारत में सरकारी अवकाश तो रहता ही है और इसके साथ साथ सरकारी समारोह और देशभक्ति के गीत संगीत का दृश्य देखने को भी मिलता है। गणतंत्र दिवस के दिन भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित इंडिया गेट से परेड निकल कर लाल किले तक ले जाई जाती है। इस परेड में भारत के सभी राज्यों द्वारा उनकी संस्कृति व उनके रहने का तरीका उनके भाषा का उल्लेख व उनकी भाषा में संगीत को दृश्य अनोखा ही प्रतीत होता है।
भारत में गणतंत्र दिवस के दिन अलग अलग राज्यों की संस्कृति को दिखा कर ये संदेश दिया जाता है कि हमारे पड़ोसी राज्यों के रहन सहन कैसा है? क्या हम लोगों की रीति रिवाज भाषा, कपड़े पहनना और रहने का तरीका कैसा होता है।
गणतंत्र दिवस के दिन देशभक्ति गीतों की गूंज पड़ोसी देशों तक भी पहुँचती है। देश भक्ति गीतों व भाषण आदि के शब्द पड़ोसी देशों में रहने वाले लोगों तक टेलीविजन, इंटरनेट के माध्यम से भी पहुँचा जाता है। गणतंत्र दिवस 2022 के दिन भारत गणतंत्र देश में घोषित हो गया था। भारत 15 अगस्त 1947 को ब्रिटिश से आजाद हो गया था और भारत में आजादी की गूंज बहुत दूर दूर तक फैली थी।
भारत की आजादी के बाद सभी जगह एक नया सा माहौल बन गया लेकिन कानून की जरूरत बहुत दूर दूर तक थी जैसे की मानव के मौलिक अधिकारों की स्थापना की गयी जिसमें 6 मौलिक अधिकारों की स्थापना हुई।
ये सभी अधिकार संवैधानिक है और इनका हनन करने पर कानूनी कार्यवाही की जाती है और उसके हिसाब से कानून सजा देने का भी उल्लेख है। भारत की आजादी 15 अगस्त 1947 को सक्षम हुई और उसके करीब 2 साल 11 महीने और 18 दिनों के बाद 26 जनवरी को भारत का लोकतंत्र स्थापित किया गया।
भारतीय गणतंत्र दिवस की स्थापना की बात करें तो आजादी के कुछ दिन बाद ड्राफ्ट कमेटी द्वारा 28 अगस्त 1947 की मीटिंग में भारत के स्थायी संविधान का प्रारूप तैयार करने के बाद डॉ भीमराव अम्बेडकर की अध्यक्षता में 04 नवम्बर 1947 को भारतीय संविधान के प्रारूप को सदन में प्रस्तुत किया गया इस प्रक्रिया में करीब ढाई साल का समय लगा और उसके बाद 26 जनवरी 1950 को गणतंत्र दिवस की स्थापना हो गयी।
गणतंत्र दिवस की महत्वता बहुत ही बड़ी है और प्रत्येक व्यक्ति इस दिन को प्रत्येक वर्ष मनाता है, सभी कॉलेजों विद्यालयों आदि में इस दिन को बहुत याद किया जाता है। गणतंत्र दिवस के दिन जगह जगह जुलूस निकाले जाते है, देशभक्ति गीत चलाएं जाते है और अपने देश के प्रति प्यार को प्रकट करते है। 26 जनवरी के दिन सम्पूर्ण भारत में परेड आदि का दृश्य देखने को मिलता है यही नहीं आज के दिन हमारे वीर हमारे शहीद फौजी भाइयों को याद भी किया जाता है और उन्हें श्रद्धान्जली भी दी जाती है।
हमारे देश को आजादी दिलाने के लिए हमारे शहीदों, हमारे देशभक्त क्रांतिकारियों को बहुत संघर्ष करना पड़ा था। भारत में जगह जगह जहां पर हमारे शहीदों की मूर्ति स्थापना की गयी है गणतंत्र दिवस के दिन उनकी प्रतिमा पर फूल माला चढ़ाई जाती है और उनकी याद में फौजियों द्वारा उन्हें सैल्यूट दिया जाता है।
आज हम सभी गर्व महसूस करते है कि हम एक ऐसे देश में जीते हैं जहां लोग बाहर देश के लोग हमारे देश में अपना जीवनयापन करने के लिए कोशिश करते है। हम सभी को अपने देश के लिए एक सैल्यूट तो करना ही चाहिए। आप सभी ने मुझे गणतंत्र दिवस का भाषण बोलने का सुनहरा अवसर दिया उसके लिए पूरे दिल से धन्यवाद! जय हिन्द
पूरे संसार में भारत ही एक ऐसा देश है जहां कई जाती धर्म के लोगों को एक साथ रहने के लिए स्वतंत्रता प्राप्त है। भारत सबसे अलग है और सर्वोपरि माना जाता है। भारत में सभी लोगों को मौलिक अधिकार प्राप्त है। यहां लोग स्वतंत्र रूप से जीवन जी सकते है। संसार में भारत देश की प्रशंसा की गूंज दुनियाभर में फैली हुई है।
उम्मीद करता हूँ कि आपको भारतीय गणतंत्र दिवस का भाषण अध्यापक द्वारा पढ़ने में बहुत ही आनंद आया होगा। अगर आपको ये गणतंत्र दिवस की जानकारी अच्छी लगी हो तो आप इसे आगे share करना न भूलें आपका share करना बहुत ही मदद दायक है। Poem on Republic Day in Hindi की इन सभी कविताओं का इस्तेमाल जरूर करें और जितना हो सके इस लेख को सोशल मीडिया पर शेयर करें।
आप सभी को भारतीय गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं!
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Aapka yah post bahut hi achha lga isko share karne ke liye Dhnybad.
बहुत ही बढ़िया कविता ..जय हिन्द